अफसर के एजेंट बनकर लाखों वसूले डीईओ दफ्तर के बाबुओं ने

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  • मामला पदोन्नत शिक्षकों और शिक्षिकाओं की पदस्थापना का
  • जिला शिक्षा कार्यालय को बना दिया गया अवैध उगाही का अड्डा
  • वसूली कांड में शिक्षक संघ के भी कुछ पदाधिकारियों की भूमिका


 
जगदलपुर. बस्तर जिले में 12 सौ शिक्षकों की पदोन्नति एवं पदस्थापना में जमकर हुई वसूली में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बस्तर के कुछ बाबुओं ने अपने अफसर का एजेंट बनकर शिक्षक – शिक्षिकाओं से उगाही को अंजाम दिया. लाखों रुपयों के वारे न्यारे के इस खेल में शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारी भी शामिल रहे. वहीं इस खेल से विकास खंड शिक्षा अधिकारियों को पूरी तरह से दूर रखा गया. जिसका उन खंड शिक्षा अधिकारियों को मलाल भी है.
जिला शिक्षा विभाग बस्तर के अधीन प्राथमिक शालाओं के 1200 शिक्षक शिक्षिकाओं को पदोन्नत कर प्रधान पाठक बनाया गया है. पहले पदोन्नति देने के नाम पर इन शिक्षक शिक्षिकाओं मोटी रकम वसूली गई. इसके बाद उन्हें जिला मुख्यालय व ब्लॉक मुख्यालयों की शालाओं में पदस्थापना देने के नाम पर उनसे एक एक लाख रु. तक की डिमांड की गई. वांछित शालाओं में पदस्थापना पाने के लिए पदोन्नत शिक्षक शिक्षिकाओं ने यह डिमांड पूरी भी कर दी. विभाग के सूत्रों के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ तीन बाबुओं तथा शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारियों ने अपने जिला अफसर के लिए वसूली एजेंट की भूमिका निभाई. इसके एवज में उन्हें तयशुदा कमीशन दिया गया. मिली जानकारी के अनुसार पदस्थापना के नाम पर प्रत्येक पदोन्नत शिक्षक से एक लाख रुपए तक की वसूली की गई है. वसूली की रकम शाला ग्राम की जिला व ब्लॉक मुख्यालयों से दूरी के आधार पर रखी गई थी. दूरी के लिहाज से रकम कम व ज्यादा तय थी. प्रायः सभी पदोन्नत शिक्षिकाओं ने जिले के अपने वरिष्ठतम अफसर की यह डिमांड पूरी भी की. अगर डिमांड पूरी ना करते तो बाद में उन्हें तरह- तरह की मुसीबतें उठानी पड़ती. जिला शिक्षा कार्यालय में पदस्थ तीन बाबुओं और शिक्षक संघ के कथित पदाधिकारियों के अलावा जरा-बहुत सियासी रसूख रखने वाले लोग भी दलाल के रूप में जिलेभर में सक्रिय रहे। बताते हैं कि पूरी रकम मिल जाने के बाद ही जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा पदस्थपना सूची पर अंतिम मुहर लगाई गई. पता चला है कि लेनदेन के इस खेल में विकास खंड शिक्षा अधिकारियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया गया. इस बात का मलाल विकास खंड शिक्षा अधिकारियों को जरूर रहा होगा. मलाई खाने में शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारी रहे. इन पदाधिकारियों के दिए गए नामों को ही पदस्थापना सूची में वरीयता मिली है। ये पदाधिकारी पदोन्नति के दौरान भी स्कूल छोड़ डीईओ कार्यालय में ज्यादा नजर आया करते थे। जिन पदोन्नत शिक्षकों ने डिमांड पूरी नहीं की उन्हें दूर दराज की शालाओं में भेज दिया गया है. हेते स्थानों से दूर रखा गया है। ऐसे शिक्षक अब इस भ्रष्टाचार की पोल खोलने लगे हैं. ये शिक्षक अब दबी जुबान से कह रहे हैं कि अगर बस्तर जिले में हुई पदोन्नति और पदस्थापना प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच कराई गई तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो जाएंगे.
अफसर के खास हैंतीनों बाबू
 सूत्रों ने बताया कि जिन तीन बाबुओं और शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने बेतहाशा वसूली में योगदान दिया है, वे सभी अपने विभाग प्रमुख के बेहद करीबी और ख़ासमखास माने जाते हैं. विभाग से जुड़े हर उस कार्य जिसमें कमाई की गुंजाईश रहती है, उसे इन्हीं बाबुओं और शिक्षक संघ के पदाधिकारियों के मार्फ़त अंजाम दिलाया जाता है. चाहे वह शिक्षकों के आर्थिक हितों से जुड़ा मामला हो या ताबदले का. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के इन बाबुओं और वसूली एजेंट के रूप में काम करने वाले शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने अपने दलालों का नेटवर्क पूरे जिले में फैला रखा है. ये दलाल जानकारी जुटाते रहते हैं कि किस शिक्षक को जिला शिक्षा कार्यालय से कौन सा कार्य कराना है. इसके बाद लेनदेन की बात तय की जाती है. Bataते हैं कि पहले शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को ऐसे मामलों से दूर ही रखा जाता था, लेकिन जब वे विरोध में आवाज़ उठाने लगे तो उन्हें भी इस खेल में शामिल कर लिया गया. बस्तर जिला शिक्षा विभाग में चल रही बेतहाशा उगाही की भनक राजधानी में के कुछ विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों को भी लग गई है.
ऊपर तक जाएगी जांच की आंच
 शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक की मौत जहां अब तक अनसुलझी पहेली बनी हुई है, वहीं यह बस्तर के डीईओ और बीईओ के लिए मुसीबत का सबब भी बन गई है। चर्चा है कि ज्वाइंट डायरेक्टर अपना कार्य ईमानदारी के साथ करते आ रहे थे. विभाग में चल रही गफलतबाज़ी जब उनकी नज़रों के सामने आई तो उन्होंने एक्शन लेना शुरू कर दिया था. जेडी का यह कदम काली कमाई में लगे अधिकारियों को नागवार गुजरा और एक बड़ी लॉबी जेडी के खिलाफ हो गई. जेडी को परेशान करने के लिए तरह तरह के हठकंडे अपनाए जाने लगे. उन पर राजनैतिक दबाव डलवाया जाने लगा. ऐसी ही परिस्थितियों के बीच जेडी की मृत्यु हुई थी. जांच दल द्वारा जेडी की मौत के साथ ही विकासखंड शिक्षा अधिकारी द्वारा विभिन्न मदों से प्राप्त शासन के धन का मनमाना उपयोग किए जाने के मामले की भी जांच शुरू कर दी गई है. लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय चार सदस्यीय जांच दल बस्तर पहुंच कर पड़ताल शुरू कर चुका है. यह दल फिलहाल जगदलपुर बीईओ से जुड़े मामले को खंगाल रही है.
लेकिन जांच की आंच जिले के दूसरे विकासखंड शिक्षा अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारी तक भी पहुंच सकती है. ऐसी खबर है कि जिले के प्रायः सभी विकास खंडों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इसी तरह का कारनामा किया है. इस कृत्य में जिला शिक्षा अधिकारी की भी बराबर की भूमिका रही है. जांच दल अगर ईमानदारी से जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है, तो कई अधिकारी लपेटे में आ जाएंगे.