- किंजौली की कीमती सरकारी जमीन पर कब्जा
-अर्जुन झा-
बकावंड ब्लॉक मुख्यालय बकावंड से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम किंजौली के एक फार्म हाउस मालिक ने अच्छी खासी सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। उसका कहना है कि उसे यह सरकारी जमीन खेती करने के लिए ठेके पर मिली है। मिली जानकारी के अनुसार सन 2000 के दशक में खेती करने के प्रयोजन से किंजौली आए मुकेश चावड़ा ने यहां के ग्रामीणों और किसानों से 8 हजार रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक प्रति एकड़ के भाव से जमीन खरीद कर कृषि कार्य शुरू किया। उन्होंने अपनी मेहनत से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर सब्जियों और अन्य फसलों का उत्पादन शुरू किया। यह निसंदेह बड़ी अच्छी बात है, लेकिन उन्होंने अपने फार्म हाउस के आसपास की सरकारी जमीन को भी अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है, यहगलत बात है और इसे लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। मुकेश चावड़ा अब ग्राम किंजौली के निवासी बन चुके हैं।
उन्होंने अपने कृषि फार्म के बाजू में शासकीय भूमि खसरा नंबर 1153 व 1154 की शासकीय भूमि पर भी अवैध कब्जा कर लिया है और उस पर खेती करना शुरू कर दी है। ग्रामीणों ने उन्हें सरकारी जमीन पर खेती करने से मना किया, तो उनका कहना है कि मैं खर्च कर चुका हूं इसलिए एक साल कमा लेता हूं। 1 साल बाद बाजू में स्थित किसी कमजोर किसान की जमीन को ठेके पर ले लिया और अब कहने लगे हैं कि पूरी शासकीय जमीन को भी मैंने 10 वर्ष के लिए ठेके पर ले लिया है। अब गांव वाले सवाल उठा रहे हैं कि सरकारी जमीन को किस अधिकारी ने ठेके पर फार्म हाउस मालिक के हवाले कर दिया है और क्या इसके लिए ग्राम पंचायत एवं ग्रामसभा की सहमति ली गई है? गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के आवास निर्माण व सरकारी भवन निर्माण के लिए उक्त जमीन का उपयोग किया जा सकता था। गांव के कई गरीब परिवार को आवास की स्वीकृति मिली है ऐसे लोगों को उक्त स्थान पर आवास हेतु जगह दी जा सकती थी लेकिन रसूखदार फार्म हाउस मालिक तो गांव के बड़े -बड़े लोगों का मुंह बंद कर दिया है। गांव वालों का कहना है उनकी खरीदी जमीन तो उनके पास है पर सरकारी जमीन को किस से लिखाकर ठेका में लिया है और शासकीय जमीन को ठेका में कौन देता है? इसलिए राजस्व विभाग से हम गुजारिश करते हैं कि मामले की जांच कर सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने की कार्रवाई की जाए।