शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर अब नींद टूटी भाजपा की

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  • शिक्षकों की पदोन्नति सूची निरस्त कर काउंसिलिंग के जरिए पदस्थापना की मांग उठाई भाजपा नेताओं ने
  • पार्टी का प्रतिनिधि मंडल मिला बस्तर के संभाग आयुक्त से


जगदलपुर. बस्तर जिला शिक्षा विभाग में पदोन्नति, पदस्थापना और तबादले में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा नेताओं की नींद लंबे अरसे बाद टूटी. इस मामले में भाजपा की भूमिका पर सवाल उठने के बाद आखिरकार भाजपा के प्रतिनिधि मंडल ने संभाग आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर पदोन्नति और तबादला सूची निरस्त करने तथा काउंसिलिंग के जरिए शिक्षकों को पदोन्नति देने व उनका स्थानांतरण करने की मांग की है.
प्रतिनिधि मंडल में जिला पंचायत उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति के सभापति मणिराम कश्यप, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष शिक्षा समिति उपाध्यक्ष सुब्रतो विश्वास, रामानुज आचार्य, अनतराम कश्यप व पूर्व जनपद पंचायत उपाध्यक्ष जितेन्द्र पानीग्राही शामिल थे. इन नेताओं ने कमिश्नर बस्तर सम्भाग से मिलकर प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों की प्रधान पाठक पद पर हुई पदोन्नति को नियम विपरीत बताते हुए पदोन्नति सूची तथा स्थानांतरण सूची को निरस्त करते हुए जिला व ब्लाक स्तर पर कमेटी गठन कर नई सूची जारी करने तथा काउंसिलिंग के माध्यम से पदोन्नति देने व नए सिरे से तबादले करने की मांग रखी. सभी नेताओ ने कहा कि बस्तर जिले के साथ सम्पूर्ण बस्तर सम्भाग में पदोन्नति व नियुक्ति मे भारी अनियमितता की गई है। परिणाम स्वरूप पूरी शिक्षा व्यवस्था चरमराई गई है। एकल शिक्षकीय स्कूल के शिक्षक की यदि पदोन्नति होता है, तो नियमानुसार उस शिक्षक का उसी शाला मे पदांकन किया जाना चाहिए था। पर ऐसा ना कर अन्य शाला व अन्य ब्लाक में पदांकन कर दिया गया। पदोन्नति सूची अलग- अलग और एक – एक निकाली गई, ताकि किस शिक्षक को कहां पदस्थ किया गया यह पता ना चल सके। जिले की शिक्षा समिति व ब्लाक की शिक्षा समिति सदस्यों व सभापति को किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिल पाई।अगर ब्लाक मे पद रिक्त हैं, तो नियुक्ति ब्लाक में ही की जानी थी। पर एक ब्लाक से अन्य ब्लाक में पदस्थापना मनमाने तरिके से की गई। विकलांग, बीमार व महिला शिक्षकों को भी 50 – 60 किलोमीटर दूर की शालाओं में भेज दिया गया।
पदोन्नति में भी हुई गड़बड़ी
भाजपा नेताओं ने ज्ञापन में कहा है कि एक वर्ष के भीतर दो बार पदोन्नति नहीं दी जा सकती। मगर बस्तर जिले में 30 से अधिक शिक्षकों को एक साल मे दो बार पदोन्नति दी गई है।कुछ विशेष नान डी- एड शिक्षकों को भी दस वर्ष के अनुभव को आधार बताकर पदोन्नत किया गया. 50 – 60 शिक्षक ऐसे भी हैं, जिनको पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया. जबकि ये शिक्षक सन 1998 से 2005 के मध्य की नियुक्ति वाले हैं. इन शिक्षकों का कभी स्थानान्तरण नहीं हुआ और ना ही उनका प्रकरण अदालत में लंबित है और जो प्रथम नियुक्ति के समय से ही से एक ही संस्था में पदस्थ हैं।
कमिश्नर से आग्रह किया गया है कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने सम्पूर्ण सूची निरस्त कर नए सिरे से कमेटी का गठन कर पदोन्नति देने व कर काउंसिलिंग के माध्यम से पदांकन किया जाए.
प्रतिनिधि मंडल में दागी भी
कमिश्नर से मुलाकात करने वाले भाजपा नेताओं के प्रतिनिधि मंडल में एक ऐसा भी नेता शामिल था, जिसके दामन में इस घोटाले के दाग लगे हैं. आरोप है कि इस भाजपा नेता ने शिक्षकों से उन्हें पदोन्नति दिलाने तथा मनचाही शाला में उनका तबादला कराने के नाम पर लाखों रु. की वसूली की है. जब पानी सिर से ऊपर होने लगा तब यह नेता शिकायतकर्ता बनकर सामने आ गया. इस भाजपा नेता के अलावा कांग्रेस के भी एक नेता पर इसी तरह की उगाही करने के आरोप लगे हैं.