कांग्रेस और भाजपा नेताओं की करनी की सजा मिली डीईओ को

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  • शिक्षकों की पदोन्नति में दोनों दलों के नेताओं ने जमकर मचाई है लूट
  • कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को हटाया, जिपं सीईओ को प्रभार

अर्जुन झा

जगदलपुर. बस्तर जिले में शिक्षकों की पदोन्नति और तबादले में हुए भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की गाज जिला शिक्षा अधिकारी पर गिरी है. कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार छीन कर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को दायित्व सौंप दिया है. पदोन्नति और तबादले के नाम पर लाखों रुपयों की वसूली को मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेताओं ने अंजाम दिया है. इन नेताओं की करनी की सजा जिला शिक्षा अधिकारी को भुगतनी पड़ी है. बस्तर जिले के शिक्षा विभाग में प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं के लगभग बारह सौ सहायक शिक्षकों की प्रधान पाठक पद पर पदोन्नति, पदस्थापना तथा स्थानांतरण का मामला विवादों में घिर गया था. बकावंड ब्लॉक के भाजपा व कांग्रेस के दो बड़े नेताओं की इस मामले में लिप्तता सुर्खियों में रहा है. आरोप है कि इन दोनों नेताओं ने पदोन्नति दिलाने, मनचाही शाला में पदस्थ कराने और स्थानांतरण कराने के लिए शिक्षकों से लाखों रुपयों की वसूली की है. इन नेताओं ने जिला शिक्षा अधिकारी पर अपने रसूख की धौंस जमाकर और दबाव डालकर शिक्षकों को पदोन्नति दिलाई. ऐसे शिक्षकों को भी पदोन्नत करा दिया गया, जो पात्र नहीं थे. जिन शिक्षक शिक्षिकाओं के पास बी एड की डिग्री नहीं है, उन्हें भी पदोन्नति का लाभ दिला दिया गया. बताया जाता है कि दस साल के शिक्षकीय कार्याकाल व अनुभव को आधार बनाकर शिक्षकों को पदोन्नत करा दिया गया. जबकि,15- 20 वर्ष की सेवा अवधि पूरी कर चुके दर्जनों शिक्षक शिक्षिकाओं के अनुभव और सेवाकाल की अनदेखी करते हुए उन्हें प्रमोशन के लाभ से वंचित रखा गया. दोनों दलों के नेताओं के दबाव में जिला शिक्षा अधिकारी को नियम विरुद्ध फैसले लेने पड़े. और अब इन नेताओं की करनी की सजा जिला शिक्षा अधिकारी को उनका प्रभार छीनने के रूप में दी गई है. कांग्रेस व भाजपा के नेता तो मालामाल हो गए हैं लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी जो कि महिला हैं, उन्हें मानसिक यंत्रणा के दौर से गुजरना पड़ रहा है. कलेक्टर बस्तर ने एक आदेश जारी कर जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रकाश कुमार सर्वे को सौंप दिया है. अब जिला शिक्षा कार्यालय के सारे कामकाज और फाइलों का निपटारा सर्वे ही करेंगे. एक तरह से महिला जिला शिक्षा अधिकारी को अधिकार विहीन बना दिया गया है.
बगैर जांच ये कैसी कार्रवाई
पदोन्नति, पदस्थापना और स्थानांतरण के मामलों की जांच कराए बगैर जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ की गई इस तरह की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव के दिन करीब आ रहे हैं. चर्चा है कि चुनाव में नुकसान से बचने के लिए सत्तारूढ़ दल एवं प्रमुख विपक्षी दल के शीर्ष नेताओं के इशारे पर ऐसी कार्रवाई की गई है. यहां यह भी बताना जरूरी है कि शिक्षा विभाग में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए हाल ही में संचालक लोक शिक्षण ने उच्च स्तरीय दल जगदलपुर भेजा था. इस दल ने संभवतः संचालक लोक शिक्षण को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी होगी. वहीं बस्तर के संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ने भी मामले की जांच शुरू करा दी है. विभागीय जांच जारी रहने के बीच जिला शिक्षा अधिकारी पर की गई कार्रवाई संदेहों को जन्म दे रही है.