देशभक्त और गरीबों के मसीहा थे वीर नारायण सिंह : बघेल

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  • शहीद की स्मृति में आदिवासी लोकनृत्य महोत्सव आयोजित

जगदलपुर जिला प्रशासन बस्तर द्वारा संभाग व जिला स्तरीय आदिवासी लोकनृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बस्तर विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के विअध्यक्ष लखेश्वर बघेल शामिल हुए। समारोह को संबोधित करते हुए बघेल ने कहा कि सत्रहवीं सदी में सोनाखान राज्य की स्थापना की गई थी।

वीर नारायण सिंह के पूर्वज सारंगढ़ के जमींदार थे। सोनाखान का प्राचीन नाम कुर्रूपाट डोंगरी था, जहां युवराज नारायण सिंह की वीरगाथा का इतिहास दफन है। नारायण सिंह के पास एक स्वामी भक्त घोड़ा था। वे घोड़े पर सवार होकर अपनी रियासत का भ्रमण करत थे। सोनाखान क्षेत्र में एक नरभक्षी शेर ने आतंक मचा रखा था। नारायण सिंह ने तलवार से शेर को ढेर कर दिया। इस बहादुरी से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें वीर की पदवी से सम्मानित किया इस सम्मान के बाद से युवराज वीर नारायण सिंह के नाम से प्रसिध्द हुए। बघेल ने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने नारायण सिंह के रिश्तेदार के सहयोग से छलपूर्वक देशद्रोही व लुटेरा होने का बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें बंदी बना लिया।

10 दिसम्बर 1857 को रायपुर के चौराहे जयस्तंभ चौक पर वीर नारायण सिंह को फांसी दी गई। बाद में उनके शव को तोप से उड़ा दिया गया। इस तरह से भारत के एक सच्चे देशभक्त की जीवनलीला समाप्त हो गई। उल्लेखनीय है कि शेर कहे जाने वाले अमर शहीद वीरनारायण सिंह को राज्य का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा प्राप्त है।कार्यक्रम में सहायक आयुक्त बस्तर आस्था राजपूत, छत्तीसगढ़ कृषक कल्याण बोर्ड के सदस्य जानकी राम सेठिया, कांग्रेस ओबीसी विभाग के संभागीय अध्यक्ष दिनेश यदु, जितेंद्र तिवारी, राजेश कुमार एवं कर्मचारी उपस्थित थे।