करपावंड और भानपुरी थाना क्षेत्रों में अवैध धंधों की बहार

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  • ओड़िशा से लाकर क्षेत्र में खपाई जाती है गांजा और शराब की खेप
  • साप्ताहिक बाजार में सरेआम खेलाया जाता है खड़खड़ी का खेल
  • हाथ पर हाथ धरे बैठा है करपावंड और भानपुरी थाना का अमला

बकावंड पड़ोसी राज्य ओड़िशा की सीमा से लगे बस्तर जिले करपावंड और भानपुरी थाना क्षेत्रों के गांवों में अवैध धंधों की बहार आई हुई है। इन अवैध धंधों में लिप्त लोग चांदी काट रहे हैं और करपावंड पुलिस आश्चर्यजनक ढंग से हाथ पर हाथ धरे बैठी है। ओड़िशा राज्य के सीमावर्ती बस्तर जिले के गांवों में तमाम तरह के अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहे हैं। पड़ोसी राज्य से तस्करी कर लाए जाने वाले धान को बस्तर जिले के सरकारी खरीदी केंद्रों में खापाए जाने के अनेक मामले सामने आ चुके हैं। वहीं अब ओड़िशा से गांजा और शराब लाकर बस्तर जिले के गांवों में खापाए जाने की शिकायतें भी आने लगी हैं। ओड़िशा का गांजा न सिर्फ बस्तर के गांवों में बेचा जाता है, बल्कि इस गांजे की तस्करी बस्तर के रास्ते छत्तीसगढ़ के रायपुर, भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव जिलों तथा मध्यप्रदेश तक में की जाती है। बस्तर पुलिस गांजा तस्करी के कई मामले पकड़ चुकी है, मगर यह धंधा गांजा तस्करों और पुलिस वालों की मोटी कमाई का बड़ा जरिया है, इस वजह से तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण नहीं लग पा रहा है। इसी तरह भानपुरी और करपावंड थाना क्षेत्र के गांवों में ओड़िशा से बड़े पैमाने पर शराब लाकर बेची जाती है। ओड़िशा के शराब कारोबारियों और उनके गुर्गो तथा सीमावर्ती थानों के स्टॉफ की मिलीभगत से शराब की तस्करी का खुला खेल चल रहा है। गांजा और ओड़िशा की शराब की लत बस्तर सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों को तबाह कर रही है। लोग बर्तन, अनाज आदि बेचकर लत पूरी करने लगे हैं। इसकी वजह से पारिवारिक कलह आम हो गई है। करपावंड और भानपुरी थानों में पदस्थ कई पुलिस वालों की शराब, गांजा तस्करों से सेटिंग की बात ग्रामीण दबी जुबान से बताते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक तस्करी इन पुलिस वालों को हर माह बंधी बंधाई रकम देते हैं।

बाजार में सरेआम खड़खड़ी का खेल

सीमावर्ती गांवों में शराब, गांजा की तस्करी के साथ ही खड़खड़ी (एक तरह का जुआ ) का खेल भी सरेआम चलता है। करपावंड थाना और भानपुरी क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मोहलई (लावागांव) में रविवार को लगने वाले सप्ताहिक बाजार में खड़खड़ी का खेल खेलाया जाता है। खड़खड़ी में रुपयों की बाजी लगाई जाती है। जीतने वाले को उतनी ही रकम यह खेल खेलाने वाला व्यक्ति देता है, मगर जीत के मौके बहुत ही कम आते हैं। यानि ज्यादातर बार बाजी इस खेल को खेलाने वाले व्यक्ति के पक्ष में ही होती है। ग्रामीण जीत की उम्मीद में दांव पर दांव लगाते रहते हैं। इस संबंध में ग्राम के कुछ भले ग्रामीणों द्वारा कई बार थाने में सूचना दी जा चुकी है, मगर पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करती। पुलिस वाले बाजार में पहुंचते भी हैं, तो खड़खड़ी खेलाने वाले व्यक्ति से मिलकर बिना कार्यवाही किए लौट जाते हैं। अवैध कारोबारों से प्रभावित गांवों के प्रमुखों ने ऐसे गोरखधंधों पर लगाम लगाने की मांग बस्तर के पुलिस अधीक्षक से की है।