घायल 3 घंटे तक तड़पता रहा , डॉक्टर घर में आराम फरमाते रहे

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  • मौत हो गई तब भी नही पहुंचे मॉडल हॉस्पिटल के बेदर्द डॉक्टर
  • बकावंड के सरकारी चिकित्सालय के चिकित्सकों ने मानवता को कर दिया शर्मसार

अर्जुन झा

बकावंड गंभीर रूप से घायल एक युवक अस्पताल में घंटों तड़पता रहा और डॉक्टर साहिबान अपने घरों में आराम फरमाते रहे। युवक ने दम तोड़ दिया, तब भी बेदर्द डॉक्टरों ने अस्पताल पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। और तो और जिस नर्स की ड्यूटी थी, वह भी नदारद रही।अस्पताल में भर्ती सारे मरीजों को एक ट्रेनी नर्स के भरोसे छोड़ दिया गया था। किसी मरीज का ब्लड प्रेशर काफी बढ़ गया था, किसी मरीज की सांसें उखड़ी जा रही थीं, तो किसी मरीज को चढ़ाई गई सलाईन की बोतल खाली हो गई थी और हवा नसों में प्रवेश कर रही थी। डॉक्टरों को किसी की परवाह ही नहीं थी।

ऐसा दर्द भरा नजारा मॉडल हॉस्पिटल बकावंड में हमेशा देखने को मिल जाता है। गुरुवार को दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल ओड़िशा के अमड़ीगुड़ा गांव निवासी अनुसूचित जाति के युवक थबीर बधेल पिता कपूरचंद को उसके परिजन इसी अस्पताल में लेकर आए थे। दोपहर 3 बजे लाए गए इस युवक का इलाज करने के लिए अस्पताल में एक भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। घंटों तड़पते रहने के बाद इस युवक ने आखिरकार दम तोड़ दिया। युवक की मौत के बाद भी डॉक्टरों ने अस्पताल पहुंचने की जरूरत नहीं समझी। उसका शव उसी वार्ड की एक बेंच पर रखा रहा, जहां दर्जन भर मरीज एडमिट थे। पूरी रात सारे मरीजों के बीच शव रखा रहा। यही नहीं वहां भर्ती मरीजों को महज एक प्रशिक्षु नर्स के भरोसे छोड़कर अस्पताल का सारा स्टॉफ नदारद रहा। इनमें से दो मरीजों का ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ गया था। एक मरीज की सांसें थमती सी जा रही थीं। एक मरीज को जो सलाईन चढ़ाई गई थी, वह खाली हो चुकी थी। सुई के जरिए एयर उसके शरीर में प्रविष्ट हो रहा था। इकलौती प्रशिक्षु नर्स किस मरीज को देखती और किसे नहीं। मरीजों की तिमारदारी करते करते वह भी बेदम हुई जा रही थी। वैसे भी वह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है, लिहाजा उससे मरीजों की सही देखभाल की उम्मीद भला कैसे की जा सकती है? जिस नर्स की रात्रि ड्यूटी थी, उसका कोई अता – पता नहीं था। अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को उनके हाल पर छोड़कर सरकारी अस्पताल का सारा अमला अपने घरों में परिजनों के साथ समय गुजारते रहे। बस्तर जिले के बकावंड तहसील मुख्यालय में संचालित सरकारी मॉडल हॉस्पिटल का यहां पदस्थ डॉक्टरों ने मजाक बना रखा है। इस अस्पताल में शासन ने तमाम जरूरी सुविधाएं, संसाधन उपलब्ध करा रखे हैं तथा पर्याप्त डॉक्टर्स और स्टॉफ की नियुक्ति कर रखी है। दवाइयां भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई हैं, लेकिन इन तमाम सहूलियतों का जरा सा भी लाभ अंचल के ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। इसकी इकलौती वजह यहां पदस्थ बीएमओ और डॉक्टरों की बेपरवाही ही है। यह अस्पताल सिर्फ नाम का मॉडल हॉस्पिटल है। इतनी सारी विसंगतियों से भरा यह मॉडल हॉस्पिटल दीगर अस्पतालों के लिए रोल मॉडल भला कैसे साबित हो सकता है? यह सवाल अंचल के हर आदमी की जेहन में गूंज रहा है। उल्लेखनीय है कि बकावंड अंचल में इस मॉडल हॉस्पिटल के अलावा और कोई बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है। पचास हजार से भी अधिक की आबादी स्वास्थ्य सेवा के लिए इस अस्पताल पर निर्भर है। बकावंड विकास खंड से लगे पड़ोसी राज्य ओड़िशा के गांवों के मरीजों तथा दुर्घटनाओं में घायल लोगों को भी यहां लाया जाता है, मगर यहां के डॉक्टरों की मनमानी के कारण लोगों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

जाति, धर्म, राज्य देखते हैं डॉक्टर

कहते हैं डॉक्टर जात पात, धर्म मजहब और राज्य नहीं देखते। इलाज के लिए पहुंचा व्यक्ति किसी डॉक्टर की नजर में सिर्फ मरीज होता है और उस मरीज की जान बचाना डॉक्टर का धर्म। मगर मॉडल हॉस्पिटल बकावंड के डॉक्टरों पर यह बात फिट नहीं बैठती। यहां के डॉक्टर्स पैसा और पहुंच को तरजीह देते हैं। ओड़िशा से लाए गए घायल दलित युवक के परिजन सब कुछ गंवा बैठने के बाद यह कहते सुने गए कि हम ओड़िशा के रहने वाले दलित लोग हैं, हमारी पुकार भला कौन यहां सुनेगा ? पूर्व जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र पाणिग्रही के समक्ष इस दलित परिवार का यह दर्द छलक पड़ा। पाणिग्राही बीती रात करीब आठ बजे किसी कार्य से मॉडल हॉस्पिटल पहुंचे थे, तब उनके समक्ष घायल युवक के साथ ओड़िशा से आए लोगों और अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों ने अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था की पोल खोलकर रख दी।

अव्यवस्था चरम पर : पाणिग्रही

पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं भाजपा नेता जितेंद्र पाणिग्रही ने कहा है कि मॉडल हॉस्पिटल बकावंड में अव्यवस्था चरम पर है। डॉक्टर अपनी ड्यूटी के प्रति जरा भी गंभीर नहीं हैं। प्रायः सभी डॉक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस पर ज्यादा ध्यान देते हैं। हॉस्पिटल में उपलब्ध कराई गई दवाइयों और इंजेक्शन का इस्तेमाल वे अपनी निजी क्लिनिक में आने वाले मरीजों के लिए करते हैं। यहां के डॉक्टर्स शासन से मोटी तनख्वाह लेते हैं, नक्सली प्रभावित क्षेत्र होने के कारण उन्हें शासन से विशेष भत्ता मिलता है तथा हॉस्पिटल कैम्पस में ही उन्हें सर्व सुविधाओं से युक्त आवास भी उपलब्ध कराए गए हैं। इतनी सारी साहूलियतें हासिल करने के बाद भी ये डॉक्टर्स बदले में मरीजों को कुछ भी नहीं देते। बीती रात जब पाणिग्रही हॉस्पिटल पहुंचे थे, तब उन्हें वहां एक ट्रेनी नर्स ही मौजूद मिली। ड्यूटी वाले डॉक्टर और नर्स नदारद थे। रात में अचानक अपने निजी काम से हॉस्पिटल पहुंचा एक डॉक्टर उनसे दुर्व्यवहार करने पर आमादा हो गया था। डॉक्टर यह बताने को तैयार ही नहीं था कि किस डॉक्टर की नाइट ड्यूटी है। जितेंद्र पाणिग्रही ने ओड़िशा से लाए गए घायल दलित युवक के परिजनों की व्यथा भी सुनाई। उन्होंने लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई कर हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने की मांग बस्तर के कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी से की है।

करेंगे अस्पताल का निरीक्षण

कल ही अस्पताल में अव्यवस्था और डॉक्टरों के रात में न रहने की शिकायत मिली है। जल्द ही मॉडल हॉस्पिटल का निरीक्षण कर हालात का जायजा लेंगे और दोषी पाए जाने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई होगी।
ओपी वर्मा
अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व
बस्तर, बकावंड