नगरनार संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ सुलगने लगा है बस्तर

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  • पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने खोला मोर्चा, कर्मचारी भी मुखर
  • ग्राम सभाओं में निजीकरण के विरोध में प्रस्ताव किया पारित

नगरनार एनएमडीसी द्वारा यहां स्थापित इस्पात संयंत्र के निजीकरण के विरोध में चिंगारी उठने लगी है। यह चिंगारी कभी भी शोला बनकर भड़क सकती है। अंचल की अनेक ग्राम पंचायतों में शुक्रवार को ग्रासभाओं का आयोजन कर संयंत्र के निजीकरण के विरोध में प्रस्ताव पारित किए गए। पंच सरपंचों तथा एससी – एसटी कर्मचारी एसोसिएशन व इंटुक के प्रतिनिधियों ने आज ही कलेक्टर से अलग अलग मुलाकात कर निजीकरण पर आपत्ति दर्ज कराई और क्षेत्रवासियों की मंशा केंद्र सरकार तक पहुंचाने का आग्रह कलेक्टर से किया।नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण का बस्तर संभाग में चौतरफा विरोध हो रहा है। बस्तर सांसद दीपक बैज लोकसभा में निजीकरण के प्रयासों का पुरजोर विरोध कर चुके हैं। वहीं जगदलपुर के विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन भी लगातार इस मुद्दे को लेकर लगातार मुखर हैं। वे विधानसभा तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी बस्तरवासियों की भावना से अवगत करा चुके हैं। इसी क्रम में अब नगरनार अंचल के पंचायत प्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों ने भी इस्पात संयंत्र के निजीकरण के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। क्षेत्र की कस्तूरी, चोकवाड़ा, मगनपुर, आमागुड़ा, उपनपाल, बीजापुट, करनपुर आदि ग्राम पंचायतों में शुक्रवार को विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन किया गया। सभी ग्रामसभाओं में ग्रामीणों की भारी भीड़ देखी गई। ग्रामसभा के सभापति चयन को लेकर अमूमन हर पंचायत विरोधाभास की स्थिति पैदा हो जाती है, लेकिन आज की ग्रामसभाओं में यह मिथक टूट गया। सभापति का चयन एकमत से हुआ और इस्पात संयंत्र के निजीकरण का पुरजोर विरोध करते हुए किसी भी हाल में निजीकरण नहीं होने देने का प्रस्ताव एकमत से पारित किया गया। निजीकरण को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश नजर आ रहा था। बाद में सरपंचगण लेखन बघेल नगरनार लेखन बघेल, राजेंद्र बघेल कस्तूरी, वैद्यनाथ बघेल चोकवाड़ा, भगत राम बघेल मगनपुर आमागुड़ा, कामिनी नागेश उपनपाल बीजापुट, तिरुपति नागेश करनपुर आदि के नेतृत्व में जगदलपुर जाकर ग्रामीणों ने कलेक्टर चंदन कुमार को प्रस्ताव की प्रतियों के साथ ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में निजीकरण न होने देने की मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का आग्रह कलेक्टर से किया गया। वहीं विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन के नेतृत्व में एनएमडीसी के एससी – एसटी कर्मचारी एसोसिएशन तथा इंटक के पदाधिकारियों ने भी कलेक्टर से मुलाकात की और संयंत्र के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों में उपजे आक्रोश की जानकारी दी गई। संसदीय सचिव रेखचंद जैन, एसोसिएशन के पदाधिकारी संतराम जेठिया, इंटक के पूर्व सचिव जितेंद्र नाथ, महेंद्र जॉन, रमेश कश्यप, महेश्वर नाग ने नगरनार संयंत्र के निजीकरण को जनभावनाओं के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह कदम बस्तर के हित में नहीं है और स्थिति बिगड़ने का अंदेशा है।

पेसा कानून के खिलाफ है निजीकरण

कलेक्टर के समक्ष सरपंच लेखन बघेल, राजेंद्र बघेल, वैद्यनाथ बघेल, भगत राम बघेल, कामिनी नागेश, तिरुपति नागेश ने कहा कि इस्पात संयंत्र का निजीकरण पेसा कानून के खिलाफ है। इस कानून में जनजातीय बस्तर संभाग को विशेष अधिकार मिले हुए हैं। इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए आदिवासियों की जमीन सरकारी प्रयोजन के नाम पर अधिग्रहित की गई है। इसलिए संयंत्र का निजीकरण नहीं किया जा सकता। सरपंचों ने कलेक्टर के समक्ष मांग रखी कि इस तरह की विशेष ग्रामसभा की अनुमति अन्य ग्राम पंचायतों को भी दी जाए। इस पर कलेक्टर ने कहा कि यह न्याय संगत नहीं है। अगर जिले की सभी ग्राम पंचायतों से ऐसी मांग आती है, तो उस पर विचार किया जा सकता है। इसके प्रत्यत्तर में नगरनार के सरपंच लेखन बघेल ने कहा कि पेसा कानून की पांचवी सूची के तहत बस्तर की सभी ग्राम पंचायतों में इस तरह की ग्राम सभाएं आयोजित की जा सकती हैं।