बेटियों का दर्द : ध्वनि और वायु प्रदूषण से परेशान बच्चों ने लगाई गुहार

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  • इस मुसीबत से बचाएं, वरना गांव छोड़कर कहीं और चली जाएंगी
  • इस्पात संयंत्र से उठने वाली तेज आवाज से थरथराने लगती हैं दीवारें, बदबू से जीना हुआ दूभर
  • स्कूलों में पढ़ाई पर पड़ रहा है प्रतिकूल असर, बच्चे हैं परेशान

अर्जुन झा

बकावंड हमें इस मुसीबत से जल्द छुटकारा दिलाएं, हम ऐसे माहौल में न तो चैन से जी पा रही हैं और न ही पढ़ाई कर पा रही हैं। सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। प्लीज कुछ कीजिए, हमें बचा लीजिए वरना हम गांव छोड़कर कहीं और चली जाएंगी। ये पीड़ा है उन छात्राओं का, जो नगरनार इस्पात संयंत्र से उठने वाली तेज गड़गड़ाहट और जानलेवा बदबू से बुरी तरह परेशान हैं। नगरनार इस्पात संयंत्र बकावंड विकासखंड और पड़ोसी राज्य ओड़िशा के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों के लिए भी मुसीबत का सबब बन गया है।

यह संयंत्र लोगों की नींद लूट रहा है, चैन छीन रहा है और दम घोंट रहा है। संयंत्र के करीब स्थित मकानों के लोग तो घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। दस ग्राम पंचायतों के आदिवासियों की कृषि भूमि तथा शासकीय जमीन अधिग्रहित कर नगरनार में इस्पात संयंत्र की स्थापना की गई है। संयंत्र की विभिन्न यूनिटों में ट्रायल चल रहा है। इसी कारण ग्रामीणों के लिए तरह तरह की परेशानियों का दौर शुरू हो गया है। ग्रामीण बताते हैं कि संयंत्र से इतनी तेज गड़गड़ाहट वाली आवाज आती है कि मीलों दूर रहने वाले लोग भी दहल उठते हैं। कान के पर्दे फटने लगते हैं, धरती और मकानों की दीवारें थरथराने लगती हैं। गड़गड़ाहट इतनी तेज रहती है आमने सामने खड़े व्यक्ति भी एक दूसरे की आवाज सुन नहीं पाते। जब गड़गड़ाहट शुरू होती है, तो वाईब्रेशन की वजह से वस्तुएं खिसकने लग जाती हैं, सिलिंग फैन हिलने लगते हैं, ऊपर पटियों पर रखे बर्तन व सामान नीचे गिर जाते हैं। लोग चैन से सो नहीं पाते। यह तेज गड़गड़ाहट बकावंड विकासखंड तथा बस्तर संभाग की सीमा से लगे ओड़िशा के गांवों तक भी सुनाई देती है। इन गांवों के लोग भी परेशान हो चले हैं। वहीं संयंत्र से अक्सर इतनी तेज बदबू उठती है कि लोगों का दम घुटने लगता है, सांस लेना और खाना पीना भी मुश्किल हो जाता है। उबकाईयां आने लगती हैं। बदबू भरा वातावरण घंटों बना रहता है। संयंत्र में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों का कहना है कि तेज शोर और धमाकों जैसी गड़गड़ाहट पॉवर एंड ब्लोइंग स्टेशन से तब उठती है, जब कोयला जलाने के लिए इस स्टेशन में गैस सप्लाई शुरू की जाती है। वहीं बदबू गैस लीक होने के कारण उठती है।

बकावंड ब्लॉक के प्रभावित गांव

नगरनार इस्पात संयंत्र की कानफोड़ू आवाज और असहनीय बदबू से सिर्फ नगरनार व आसपास की पंचायतों के गांवों के लोग ही परेशान नहीं हैं, बल्कि बकावंड विकासखंड और ओड़िशा के अनेक गांवों के ग्रामीण भी हलकान हो चले हैं। बकावंड जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत बनियागांव, मूली, किंजौली, तारापुर, करितगांव, मालगांव, पीठापुर, पाइकपाल, उलनार तथा बकावंड विकासखंड की सीमा से लगे ओड़िशा के कोसागुमड़ा व अन्य समीपी गांवों तक इस्पात संयंत्र से उठने वाली गड़गड़ाहट की तेज आवज का दुष्प्रभाव देखने में आया है। बनिया गांव के सरपंच भंवर भारती ने बताया कि गांव तक बदबू तो नहीं पहुंचती, लेकिन संयंत्र से आने वाली आवाज इतनी तेज रहती है कि लगता है जैसे बादलों के दर्जनों बड़े बड़े टुकड़े आपस में टकरा रहे हों। बादलों की गर्जना भी संयंत्र की तेज गड़गड़ाहट के सामने हल्की लगती है। भारती ने बताया की गड़गड़ाहट के दौरान जमीन कांपती सी और मकानों की दीवारें हिलती सी लगती हैं। घरों में रखे सामान गिर पड़ते हैं। तारापुर के सरपंच आयतु राम ने बताया की तेज गड़गड़ाहट की आवाज और भीषण बदबू से तारापुर व अन्य गांवों के लोग परेशान हो गए हैं। स्कूलों में पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। आयतुराम ने कहा कि अंचल के सभी सरपंच इस मसले को लेकर जल्द ही क्षेत्रीय विधायक लखेश्वर बघेल एवं जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से मुलाकात करेंगे।

स्कूलों में पड़ रहा पढ़ाई पर व्यापक असर

इस्पात संयंत्र से आने वाली तेज गर्जना और दमघोंटू बदबू से नगरनार व आसपास के गांवों के साथ ही बकावंड क्षेत्र की शालाओं में भी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला की छात्र शिवकुमारी कश्यप व अन्य छात्राओं तथा बकावंड क्षेत्र की शालाओं के विद्यार्थियों ने कहा कि परीक्षाएं नजदीक हैं और हम ढंग से पढ़ नहीं पा रही हैं। टीचर जब पढ़ाते व लेक्चर देते हैं, तो हम उनकी आवाज सुन नहीं पाते। टीचर के भी कानों तक हमारी आवाज नहीं पहुंच पाती। बदबू इतनी असहनीय होती है कि उबकाई आने लगती है, दम घुटने लगता है और सांस लेना और भोजन करना दूभर हो गया है। शिवकुमारी व अन्य छात्राओं ने कहा कि ऐसे माहौल में एक पल भी रह पाना कठिन हो गया है। मन करता है अपना गांव – घर छोड़कर कहीं और चले जाएं। छात्राओं ने शासन प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा कि हमें इस मुसीबत से बचाने के लिए जल्द से जल्द कोई रास्ता निकालें।

ध्यान नहीं दे रहा है प्रबंधन : लेखनराम बघेल

नगरनार के सरपंच लेखन राम बघेल ने बताया कि हम लोग इस संबंध में संयंत्र प्रबंधन के समक्ष विरोध जता चुके हैं। संयंत्र प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रबंधन का कहना है कि अभी ट्रायल चल रहा है, इसलिए ऐसी परेशानियां आ रही हैं। बाद में कोई परेशानी नहीं होगी। सरपंच बघेल ने बताया कि संयंत्र के लिए कुल दस ग्राम पंचायतों और बारह गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई है। प्रभावित भूमि स्वामियों में से करीब ढाई सौ लोग अभी भी इस्पात संयंत्र में नौकरी पाने से वंचित हैं। उन्हें जल्द नौकरी मिलनी चाहिए। बघेल ने कहा कि संयंत्र हमेशा शासकीय रहेगा कहकर हम लोगों से जमीन ली गई है। अब पता चल रहा है कि केंद्र सरकार संयंत्र का निजीकरण करने जा रही है। केंद्र सरकार के इस फैसले का हम सभी सरपंचों और ग्रामवासियों ने विरोध किया है।

हॉस्पिटल का कोई अता – पता नहीं : नागेश

संयंत्र प्रभावित ग्राम पंचायत करनपुर के सरपंच तिरुपति नागेश ने कहा कि तेज गड़गड़ाहट की आवाज उनके गांव तक भी सुनाई देती है। कंपन सा महसूस होने लगता है। लोग सो नहीं पाते। बदबू तो ऐसी रहती है मानों सैकड़ों सड़े अंडे पास में ही फेंक दिए गए हों। कई लोग बदबू की वजह से बेहोश भी हो चुके हैं। नागेश ने बताया कि प्रबंधन ने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने के नाम पर कोपागुड़ा में जमीन भी सुरक्षित कर रखी है, लेकिन लगभग 22 साल बाद भी हॉस्पिटल के नाम एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी है। वहीं सीएसआर मद से भी काम नहीं हो रहा है।

बच्चों के भविष्य से न हो खिलवाड़

संयंत्र से आधा किमी की दूर स्थित हायर सेकंडरी स्कूल तथा गांव के अन्य स्कूलों में संयंत्र से उठने वाली तेज आवाज और बदबू के कारण पढ़ाई चौपट हो रही है। शिक्षक क्या समझा रहे हैं और क्या पढ़ा रहे हैं, यह बच्चों को जरा भी समझ में नहीं आता। शिक्षकों की आवाज बच्चों तक पहुंच ही नहीं पाती। हायर सेकंडरी स्कूल के लेक्चरार संजय कुमार झा और सुमित्रा देवांगन ने बताया कि वे जब अपनी क्लास में लेक्चर दे रहे होते हैं, तभी संयंत्र से तेज गड़गड़ाहट की आवाज उठने लग जाती है और इसकी वजह से हमारी बातें बच्चे सुन नहीं पाते। इसलिए हमें बड़ी ही तेज आवाज में पढ़ाई करवानी पड़ती है। बच्चे अपनी बात रखते हैं, वह हमें सुनाई नहीं देती। झा और श्रीमती देवांगन ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई पर बड़ा बुरा असर पड़ रहा है। उनके भविष्य से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।

मकान छोड़कर जाने मजबूर हैं किराएदार

नगरनार के ग्रामीण सुरेश कुमार नाग ने कहा कि तेज आवाज और बदबू से बच्चे बूढ़े सभी परेशान हैं। गड़गड़ाहट इतनी तेज रहती है कि बच्चों और बुजुर्गों के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। संयंत्र के डेढ़ दो किमी के दायरे में स्थित मकानों में किराए से रह रहे कर्मचारी और दूसरे लोग इस परेशानी की वजह से मकान छोड़ रहे हैं और दूसरी जगहों पर किराए का मकान लेकर रहने लगे हैं। इससे हमारी आय का जरिया छिन रहा है। सुरेश कुमार ने बताया कि शाम के समय आवाज और ज्यादा तेज हो जाती है।

हराम हो गई है नींद, जीना हो गया दूभर : मिश्रा

सामाजिक कार्यकर्त्ता रमेश कुमार मिश्रा ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। रात में लोग सो नहीं पाते। नींद आ भी गई, तो कुछ ही देर में फिर अचानक तेज गड़गड़ाहट शुरू हो जाती और दोबारा नींद नहीं आती। मिश्रा ने बताया कि किराएदार मकान छोड़कर दूसरी जगहों पर जाने लगे हैं। संयंत्र प्रबंधन को जल्द ही दोनों समस्याओं का हल निकालना चाहिए। ग्राम उपनपाल निवासी बुधराम गोयल ने कहा कि सुबह 8 बजे से और शाम को 4 बजे से लगातार दो दो घंटे तक बेहद तेज आवाज संयंत्र से उठती रहती है। बदबू डेढ़ दो घंटे तक उठती रहती है। इसकी शिकायत ग्रामसभा में और संयंत्र प्रबंधन से भी कर चुके हैं। संयंत्र प्रबंधन का कहना है कि अभी शुरूआती दौर है इसलिए ऐसा हो रहा है। बाद में ऐसी समस्या नहीं आएगी।

सिरदर्द, अनिद्रा और बहरेपन की शिकायत बढ़ी

नगरनार के मेडिकल स्टोर संचालक सोनी ने बताया कि तेज शोर, गड़गड़ाहट और बदबू के कारण नगरनार समेत आसपास के सभी गांवों के लोगों में सिरदर्द, माईग्रेन, अनिद्रा, बहरेपन, एलर्जी जैसी शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसी शिकायतें लेकर बड़ी संख्या में लोग डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। उनके पास दवा लेने आने वालों में ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा होती है। सोनी ने बताया कि शोर इतना ज्यादा होता है कि लोगों का बात करना मुश्किल हो जाता है।

मैं अभी कुछ नहीं कहूंगा

जो भी बातें हैं, उन्हें लिखकर दीजिए, साथ ही अपना नाम और पद भी लिखकर दें, तभी जवाब दूंगा। अभी कुछ भी नहीं कहूंगा। रफीक अहमद संवाद एवं संचार प्रमुख एनएमडीसी, नगरनार संयंत्र