- पात्र जातियां अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर क्यों : दीपक बैज
- बस्तर के सांसद ने लोकसभा में उठाया जनजातीय सूची का मुद्दा
बस्तर क्षेत्रीय सांसद दीपक बैज ने लोकसभा में प्रश्न लगाकर छत्तीसगढ़ की अनेक पात्र जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर रखे जाने तथा इसकी वजह से इन जातियों के लोगों को आरक्षण का लाभ न मिल पाने का मुद्दा उठाया। सांसद दीपक बैज लोकसभा के बजट सत्र में लगातार सक्रिय और मुखर हैं। वे छत्तीसगढ़ और बस्तर के लोगों के हितों से जुड़े मुद्दे निरंतर उठाते आ रहे हैं। इसी कड़ी में बैज ने छत्तीसगढ़ की अनेक जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल न किए जाने और उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित रखे जाने का मामला भी प्रमुखता से उठाया। सांसद दीपक बैज ने अतारंकित प्रश्न के माध्यम से केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री से जानना चाहा कि कि पांच साल के दौरान सरकार को छत्तीसगढ़ से जातियों की सूची में सुधार के लिए कितने प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, क्या सूची में अंतर के कारण छत्तीसगढ़ की अनेक जातियों को अनुसूचित जनजाति को प्राप्त होने वाले आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है, इस संबंध में ब्यौरा क्या है, इस संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से प्राप्त प्रस्तावों पर अब तक क्या कार्यवाही की गई है? बैज के प्रश्नों के जवाब में जनजातीय कार्य राज्यमंत्री बिश्वश्वेर टुडू ने बताया कि अनुसूचित जनजाति के रूप में किसी समुदाय की अधिसूचना जारी करने के लिए एक नोडल मंत्रालय है। हालांकि अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी करने और सामाजिक स्थिति के सत्यापन की जिम्मेदारी राज्य शासन की है। 9 दिसंबर 2022 को संविधान ( अनुसूचित जनजाति ) आदेश पांचवा संशोधन विधेयक पेश किया गया था। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और राजयसभा में विचाराधीन है। इस विधेयक में छत्तीसगढ़ राज्य के संबंध में संविधान ( अनुसूचित जनजाति ) आदेश 1950 में कुछ जातियों के समावेश को प्रभावी बनाने के लिए संशोधन करने का प्रस्ताव है। राज्यमंत्री टुंडू ने सांसद दीपक बैज को बताया कि इन जातियों का विस्तृत ब्यौरा भी दिया जिसमें मात्रात्मक त्रुटियों को दूर करते हुए जातियों का उल्लेख है।