रक्तरंजित होती आई बस्तर में अब औद्योगिक क्रांति की आहट

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  • सांसद दीपक बैज के सदप्रयासों से आयाम लेने लगी हैं औद्योगिक गतिविधियां
  • देश और राज्य के बड़े उद्योगपति भी हो रहे यहां उद्योग लगाने आतुर

अर्जुन झा

बस्तर दशकों से रक्तरंजित होती आई बस्तर की धरती पर अब सांसद दीपक बैज के प्रयासों की बदौलत औद्योगिक गतिविधियां आयाम लेने लगी हैं। नक्सली हिंसा से ग्रसित बस्तर में केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन ने शांति बहाली में शानदार कामयाबी हासिल की है। जहां शांति होती है, वहां विकास के रास्ते खुद बखुद खुलने लग जाते हैं। ऐसा ही कुछ अब बस्तर में भी देखने को मिल रहा है। बस्तर में उद्योग स्थापना की शुरुआत हो चुकी है। अनेक नामी उद्योगपति भी इस इलाके में उद्योग लगाने में रुचि दिखा रहे हैं। इसमें बस्तर के सांसद दीपक बैज के योगदान को कतई नकारा नहीं जा सकता। लंबे समय तक नक्सलवाद का दंश झेलते आ रहे बस्तर संभाग की वादियों में अब बंदूकों से निकलने वाली गोलियों की तड़तड़ाहट और बरुदी धमाके बहुत कम सुनाई देते हैं। बारूद की गंध इन वादियों से फना हो गई हैं, अमन की बयार बहने लगी है। लगातार शांति का वातावरण तैयार हो रहा है। यह सब केंद्रीय सुरक्षा बलों और छत्तीसगढ़ पुलिस तथा राज्य के सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशंस की बदौलत संभव हो पाया है। बस्तर की फिजां में अमन लौट आने पर इस आदिवासी इलाके में तरक्की की राह भी खुल गई है। संभाग में बड़े पैमाने पर पुल, पुलिया, सड़क, नाली, सीसी रोड, शालाओं, आंगनबाड़ी केंद्रों, अस्पतालों आदि के भवन बन चुके हैं तथा अभी भी बनाए जा रहे हैं। शुद्ध और स्वच्छ पेयजल लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बस्तर के आदिवासी सुकून की जिंदगी जी पा रहे हैं। जिस राज्य या क्षेत्र में शांति, सुकून और सुरक्षा हो, वहां उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल वातावरण स्वतः बन जाता है। उद्योगपति ऐसे राज्यों और क्षेत्रों में उद्योग लगाने के लिए आतुर हो उठते हैं। ऐसा ही अब बस्तर में भी होने लगा है। सांसद दीपक बैज ने उद्योगपतियों को बस्तर में उद्योग लगाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करने का अभियान ही चला रखा है। वे छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों के भी दर्जनों उद्योगपतियों से चर्चा कर चुके हैं। बैज की पहल पर अनेक उद्योगपति बस्तर में कदम रख चुके हैं। यहां ईमली, महुआ, आंवला, चार, तेंदू, बस्तरिहा खजूर, तेंदूपत्ता, आदि वनोपजों की भरमार है। इन वनोपजों पर आधारित उद्योग जल्द ही बस्तर में खुल जाएंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा यहां के भूगर्भ में लौह अयस्क भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। बैलाडीला, बचेली, किरंदुल की खदानों में बड़े पैमाने पर लौह आयस्क का उत्खनन हो रहा है। बचेली लौह अयस्क खदान के दम पर राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ( एनएमडीसी ) ने बस्तर जिले के नगरनार में स्टील प्लांट की स्थापना भी की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर और बस्तर के सांसद दीपक बैज के प्रयासों से यहां ईमली प्रोसेसिंग यूनिट भी एक उद्योगपति द्वारा लगाई गई है। नगरनार इस्पात संयंत्र और ईमली प्रोसेसिंग यूनिट में बस्तर के सैकड़ों युवाओं और श्रमिकों को रोजगार मिलने लगा है।

वनोपजों पर आधारित उद्योगों को प्राथमिकता

बस्तर में वनोपजों पर आधारित लघु और माध्यम उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता क्रम में रखा गया है। जैसे बीड़ी कारखाना, मक्का से मेज़ प्रोडक्ट बनाने वाली फैक्ट्री, आंवला अचार, मुरब्बा बनाने वाली फैक्ट्री, आदि के लिए यहां अपार संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बेरोजगार ग्रामीण युवक, युवतियों, महिलाओं और मजदूरों को बारहों माह काम और स्वरोजगार उपलब्ध कराने तथा उनमें उद्यमशीलता विकसित करने की पावन मंशा के साथ राज्य में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क ( रीपा ) स्थापित करने की योजना को धरातल पर उतारा है। बस्तर में अब तक ऐसे करीब पंद्रह रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क स्थापित किए जा चुके हैं। बस्तर के तुरेनार में दो माह पहले देश का पहला ग्रामीण औद्योगिक पार्क खोला गया था, जो सफलता पूर्वक काम कर रहा है। 26 मार्च को बस्तर में तेरह और नए ग्रामीण औद्योगिक पार्को का उद्घाटन हुआ। इनके अलावा वनोपज आधारित तथा बस्तर में व्यापक स्तर पर ली जाने वाली कोदो, कुटकी, कुल्थी, मक्का आदि फसलों पर आधारित उद्योगों की स्थापना की राह भी खुल गई है। बस्तर के सांसद दीपक बैज इसके लिए छत्तीसगढ़ और बाहर के उद्योगपतियों को लगातार प्रोत्साहित करते हुए उन्हें बस्तर में उद्योग लगाने के वास्ते प्रेरित कर रहे हैं।