एक डिप्टी रेंजर पर इतनी मेहरबानी क्यों… बस्तर वन मंडल में भ्रष्टाचार को संरक्षण…

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जगदलपुर… वन विभाग हमेशा अपने भ्रष्टाचार भरे कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहता है चाहे वनोपजों की खरीदी का मामला हो या वन सुरक्षा समिति के माध्यम से कराए गए कार्यों की बात हो वन विभाग के अधिकारी आपसी सांठगांठ से शासन-प्रशासन को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ते… ऐसा ही एक मामला बस्तर वन मंडल में देखने को मिल रहा है जहां एक डिप्टी रेंजर देवेंद्र वर्मा को विभाग ने पिछले 4 सालों से रेंजर का प्रभार दिया हुआ है यह डिप्टी रेंजर पूर्व में करपावंड वन परिक्षेत्र में बतौर डिप्टी रेंजर पदस्थ था जहां पदस्थ रहने के दौरान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इस डिप्टी रेंजर के माध्यम से कराए गए कार्य गुणवत्ताहीन होने के साथ-साथ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए…


वर्तमान में यह डिप्टी रेंजर देवेंद्र वर्मा पिछले 4 वर्षों से बस्तर वन मंडल के अंतर्गत महत्वपूर्ण माने जाने वाले जगदलपुर वन परिक्षेत्र में रेंजर के तौर पर पदस्थ है दिलचस्प बात यह है क्या वन विभाग के पास रेंजरो की कमी है या कोई मजबूरी… इस बात को वन विभाग ना खुल कर स्वीकार कर पा रहा है ना ही इस विषय पर कोई अधिकारी बोलने को तैयार है एक ही डिप्टी रेंजर के पिछले 4 वर्षों से एक एक ही जगह पर बतौर रेंजर पदस्थ रहना एक साथ कई प्रकार के सवालों को जन्म देता है जबकि बस्तर वन मंडल में कई डिप्टी रेंजर ऐसे हैं जो रेंजर का प्रभार पाने की मंशा मन में दबाए बैठे हैं उन्हें तो विभाग ने आज तक मौका नहीं दिया…विभागीय सूत्र बताते हैं कि जगदलपुर क्षेत्र के पूर्व रेंजर स्वर्गीय श्री राव के निधन के उपरांत 20 से 30 लाख रूपए की हेरा फेरी जगदलपुर रेंज में हुई है जिसकी आज तक विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की जांच नहीं कराई गई है सिविल सेवा अधिनियम के अनुसार तो शासकीय सेवक 3 वर्षों से ज्यादा एक जगह पर पदस्थ नहीं रह सकते ऐसी परिस्थिति में एक डिप्टी रेंजर का लगातार 4 वर्षों से एक ही जगह पर पदस्थ रहना वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है कुछ महीनों पूर्व डिप्टी रेंजर ने थोड़े विवादों का आभास होने पर खुद कोमुख्य वन संरक्षक के कार्यालय में अटैच करवा लिया था विभागीय सूत्र यह भी बताते हैं कि जगदलपुर रेंज होने की वजह से किसी भी प्रकार के विभागीय कार्य से संभाग मुख्यालय में आने वाले वन विभाग के अधिकारियों के सारे ऐशो आराम की व्यवस्था भी इसी डिप्टी रेंजर के जिम्में में होती है जिसका इनाम भी वन विभाग इस डिप्टी रेंजर को बतौर रेंजर 4 वर्षों से दे रहा है अब देखना यह है कि ध्यान आकृष्ट कराने के पश्चात वन विभाग संवेदनशीलता दिखाता है या इस डिप्टी रेंजर को बचाने के लिए फिर से कोई नई चाल चलता है खैर हमारा तो काम ही है अगर कुछ गलत हो तो शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराना वह तो हम करते ही रहेंगेे!