मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भरोसे को मजबूत किया इस चौकड़ी ने

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  • भरोसे का सम्मेलन को सफल बनाने में मंत्री लखमा, सांसद बैज और विधायक रेखचंद जैन व लखेश्वर बघेल की रही अहम भूमिका

अर्जुन झा

जगदलपुर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 13 अप्रैल को शहर के लालबाग मैदान पर आयोजित ‘भरोसे का सम्मेलन’ को उम्मीद से कहीं ज्यादा सफलता मिली। सम्मेलन में लगभग एक लाख लोग जुटे। जितनी भीड़ पंडाल के अंदर थी, उससे एक चौथाई लोग बाहर बैठकर बड़ी स्क्रीन पर कार्यक्रम का लाईव प्रसारण देख रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘भरोसे का सम्मेलन’ को सफल बनाने के लिए जो भरोसा बस्तर के चार बड़े नेताओं क्रमशः केबिनेट मंत्री कवासी लखमा, बस्तर के सांसद दीपक बैज, जगदलपुर के विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन तथा बस्तर के विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल और बस्तर की जनता पर जताया था, उस भरोसे को इन चारों नेताओं ने टूटने नहीं दिया। चारों नेताओं ने मुख्यमंत्री श्री बघेल के भरोसे को और भी मजबूती दे दी है।भरोसे का सम्मेलन कई मायनों में इतिहास रच गया। पहला तो यह कि सम्मेलन में 50 हजार से 75 हजार के बीच लोगों की भीड़ जुटने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उम्मीद से कहीं ज्यादा एक लाख लोग उमड़ पड़े।. पंडाल खचाखच भरा हुआ था। वहां लोगों के खड़े होने के लिए भी जगह नहीं बची थी। वहीं पंडाल के बाहर भी जबरदस्त भीड़ नजर आई। तेज गर्मी के बावजूद लोग खुले आसमान तले खड़े रहकर बाहर लगी विशाल स्क्रीन पर पंडाल के अंदर चल रहे कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देखते रहे। चिलचिलाती धूप और प्यास से सूखते कंठ की भी परवाह लोगों को नहीं थी। उमड़ी अपार भीड़ को देखने से लग रहा था कि बस्तर वासियों का भरोसा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उद्योग मंत्री एवं जिला प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, संसदीय सचिव एवं विधायक जगदलपुर रेखचंद जैन, बस्तर आदिवासी क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल पर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दूसरी अहम बात यह रही कि भीड़ में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले बहुत ज्यादा थी। पचासों महिलाएं अपने दूधमुहे बच्चों को लेकर पहुंची थीं। बस्तर के इन चारों नेताओं ने भरोसे का सम्मेलन को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने के लिए जो परिश्रम किया था, उसे दाद देनी पड़ेगी। लखमा, बैज, जैन व बघेल ने लोगों को सम्मेलन में लाने के लिए दिन रात एक कर दिए थे। सप्ताह भर पहले से ही चारों नेता संभाग के अलग अलग हिस्सों के गांवों का दौरा कर ग्रामीणों को सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए जुट गए थे। इन नेताओं द्वारा बहाया गया पसीना व्यर्थ नहीं गया। उनकी श्रम – बिंदु यानि पसीने की हर बूंद जन – सागर बनकर जगदलपुर की धरा पर अवतरित हो गईं और सम्मेलन को सार्थक कर गई। नेताओं की यह चौकड़ी बस्तर संभाग की दशा और दिशा बदलने में भी लगी हुई है। इस चौकड़ी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी भरपूर सहयोग मिलता है। बस्तर के समग्र विकास, जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराने और पार्टी संगठन को मजबूत बनाने के लिए ये चारों नेता प्रणप्राण से जुटे हुए हैं। इनकी मेहनत और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष कृपादृष्टि की बदौलत आज बस्तर लगातार विकास का नया आयाम रच रहा है। इन चारों जनप्रतिनिधियों की मेहनत की बदौलत सम्मेलन में बस्तर, कांकेर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर जिलों के लोगों ने बढ़ चढ़ कर उपस्थिति दर्ज कराई।*प्रियंका गांधी के प्रवास ने जोड़ा कुनबा*छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर चर्चाएं होती ही रहती हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के आक्रामक तेवर की बानगी अक्सर सामने आती ही रही है, वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी कुछ दिनों पहले विधानसभा में अपने गृह जिले कोंडागांव से संबंधित जिला खनिज न्यास मद की राशि की बंदरबांट का मामला उठाकर अपनी सरकार के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर दी थी। मरकाम के बाद बस्तर संभाग के नारायणपुर से विधायक एवं हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप ने भी आदिम जाति कल्याण विभाग के आश्रमों और स्कूलों से जुड़े भ्रष्टाचार का मुद्दा विधानसभा में उठाकर विभागीय मंत्री के पेशानी में बल ला दिए थे। इससे लगने लगा था कि बस्तर के इन कांग्रेस नेताओं के बीच सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है, लेकिन प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जगदलपुर प्रवास ने इस भ्रम को धराशायी कर दिया। प्रियंका गांधी और भूपेश बघेल के जगदलपुर प्रवास को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम भी सक्रिय नजर आए। श्री मरकाम ने एयरपोर्ट पर प्रियंका गांधी और भूपेश बघेल का स्वागत किया तथा उनके साथ मंच भी आसीन रहे। वहीं नारायणपुर जिले से भी अच्छी भीड़ भरोसे के सम्मलेन में पहुंची थी तथा वहां के विधायक चंदन कश्यप भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। इस तरह प्रियंका गांधी का आगमन कांग्रेस नेताओं के बीच बन रही खाई को पाटने में सहायक साबित हुई।