करोड़ों का राशन घोटाला करने वालों पर आखिर कब गिरेगी गाज

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  • चार करोड़ से ज्यादा का खाद्यान्न गटक चुके हैं दुकान संचालक
  • बकावंड और बस्तर विकासखंडों में उजागर हो चुकी हैं बड़ी गड़बड़ियां

बकावंड सार्वजनिक वितरण प्रणाली के खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर गड़बड़ी समूचे छत्तीसगढ़ में सामने आई है। बस्तर जिले के राशन दुकान संचालकों ने तो इस मामले में कीर्तिमान ही रच डाला है। जिले में करोड़ों के खाद्यान्न का घपला हुआ है। जांच में गड़बड़ी प्रमाणित होने और जांच प्रतिवेदन जिला प्रशासन तक पहुंच जाने के बावजूद राशन दुकान संचालकों पर अब तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि घोटालेबाज राशन दुकान संचालकों पर कार्रवाई की गाज गिरेगी भी, या नहीं ? बस्तर जिले के बकावंड और बस्तर विकासखंडों की शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में गरीब आदिवासियों के हिस्से के राशन का जमकर घोटाला किया गया है। सैकड़ों क्विंटल चावल, शक्कर, चना, गुड़, नमक आदि की अफरा तफरी की गई है। बस्तर विकासखंड की 96 और बकावंड विकासखंड की लगभग 100 राशन दुकानों की जांच फूड इंस्पेक्टर द्वारा की गई थी। जांच में खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर गड़बड़ी उजागर हुई है। सर्वाधिक हेराफेरी चावल और शक्कर की हुई है। फूड इंस्पेक्टर द्वारा राशन दुकानों की जांच के बाद अंतिम रिपोर्ट एसडीएम बस्तर एवं बकावंड को सौंपी जा चुकी है। एसडीएम ओपी वर्मा ने जांच रिपोर्ट मिलने के बाद कहा था कि राशन दुकान संचालकों को आरआरसी जारी कर घोटाले की रकम की वसूली उनसे की जाएगी। लेकिन पखवाड़ा गुजरने को है, वसूली की कार्रवाई अब तक शुरू नहीं हो पाई है। वहीं राशन दुकान संचालकों को खाद्यान्न के नए स्टॉक का आवंटन माह दर माह लगातार जारी किया जा रहा और संचालक नए स्टॉक में भी घपलेबाजी करने से नहीं चूक रहे हैं। बकावंड विकासखंड की राशन दुकानों में तो तीन दिन से राशन वितरण ही नहीं किया जा रहा है। राशन दुकान संचालकों का कहना है कि ई पास प्रणाली में तकनीकी खराबी के चलते राशन वितरण कर पाना संभव नहीं हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में 1 अरब के राशन की गड़बड़ी

बताते हैं कि समूचे छत्तीसगढ़ में लगभग एक अरब रुपए के सरकारी खाद्यान्न कि अफरा तफरी राशन दुकान संचालकों द्वारा की गई है। इस खाद्यान्न घोटाले की जांच जिलेवार कराई गई थी। सभी जिलों से अंतिम जांच रिपोर्ट शासन तक पहुंच भी चुकी है। खाद्यान्न घोटाले के तेरह मामलों में पुलिस थानों में आपराधिक प्रकरण भी दर्ज कराए गए हैं, लेकिन बस्तर जिले में इस तरह की कड़ी कार्रवाई की कोई सुगबुगाहट भी सुनाई नहीं दे रही है। चर्चा है कि बस्तर के राशन माफिया ने राजनैतिक संरक्षण प्राप्त कर लिया है और इसी वजह से उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर बस्तर और बकावंड विकासखंडों के राशन घोटाले में ईमानदारी से कार्रवाई की गई, तो दर्जनों राशन दुकान संचालक सींखचों के पीछे नजर आएंगे, मगर ऐसा होता दूर दूर तक भी नजर नहीं आ रहा है।