अब आरएसएस या भाजपा का दामन थमने वाले हैं बस्तर के कद्दावर आदिवासी नेता अरविंद नेताम

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  • 5 जून को संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग में मुख्य अतिथि होंगे नेताम 
  • छत्तीसगढ़ की आदिवासी राजनीति में आ सकता है बड़ा भूचाल 

अर्जुन झा

जगदलपुर लंबे समय तक देश में कांग्रेस के सबसे बड़े आदिवासी चेहरा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जरिए भाजपा में जाने वाले हैं? या फिर आरएसएस से जुड़कर आदिवासी समाज की सेवा करने की मंशा रखते हैं? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आरएसएस ने अपने एक बड़े कार्यक्रम में अरविंद नेताम को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है। वैसे श्री नेतान आरएसएस के कार्यों और सिद्धांतों से काफी प्रभावित भी हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को लेकर यह कयास और सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि 5 जून को आरएसएस मुख्यालय नागपुर के रेशम बाग स्थित स्मृति मंदिर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता विकास वर्ग- द्वितीय का आयोजन चल रहा है। इसका समापन 5 जून गुरुवार को शाम 6.30 बजे होना है। समापन समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को बनाया गया है। इस कार्यक्रम में सरसंघ चालक डॉ. मोहन भगवत का संबोधन होगा।आरएसएस का यह बहुत बड़ा कार्यक्रम है और मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती की उपस्थिति वाले इस बड़े कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की बड़ी आदिवासी हस्ती अरविन्द नेताम को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाना बेहद अहम है। अरविंद नेताम आदिवासी समाज के सर्वमान्य नेता हैं। एक जमाने में कांग्रेस में उनकी तूती बोलती थी। उनकी सहमति के बिना अविभाजित मध्यप्रदेश की कांग्रेस की राजनीति में कोई फैसला नहीं लिया जाता था। स्व. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी अरविंद नेताम के कामकाज और उनकी आक्रामक मगर सौम्य छवि से प्रभावित थीं। यही वजह थी की केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी। उस दौर में श्री नेताम ने बस्तर सहित समूचे आदिवासी समाज को कांग्रेस के पक्ष में एकजुट किया था। अरविंद नेताम ने बस्तर में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभुत्व को कम कर कांग्रेस की पैठ बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। बाद के वर्षों में अरविंद नेताम को कांग्रेस में किनारे करने का सिलसिला शुरू हो गया, फिर उन्हें पूरी तरह हासिये पर डाल दिया गया। इसके बाद अरविंद नेताम ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। चूंकि बस्तर और छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी जगह नहीं बना पाई थी लिहाजा अरविंद नेताम कोई बड़ा बदलाव नहीं ला पाए और उनका राजनीतिक पतन शुरू हो गया। चूंकि अरविंद नेताम कांग्रेस में बड़े बड़े पदों पर रहे थे, इसलिए राजनीति में कद घटने से छटपटाहट लाजिमी थी, इसलिए वे कभी इस दल में, तो कभी उस दल में जाते रहे। दल बदल करते करते वे ऐसे दलदल में फंस गए कि उनका राजनीतिक अस्तित्व ही संकट में पड़ गया। अरविंद नेताम निसंदेह एक सौम्य छवि के बेदाग आदिवासी नेता हैं, मगर उनका अस्थिर चित्त उनके राजनीतिक जीवन को उधेड़ता रहा। अब राष्ट्रीय स्वयं संघ के कार्यक्रम में अरविंद नेताम को बतौर प्रमुख अतिथि आमंत्रित किए जाने से फिर एक नए सवाल का जन्म हो गया है। सवाल है कि क्या यह कार्यक्रम श्री नेताम के राजनीतिक जीवन का बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित होगा?संघ के बड़े नेता अगर इस आदिवासी हीरे को अपने संग कर लेने में कामयाब हो जाते हैं, तो छत्तीसगढ़ में भाजपा के उन आदिवासी नेताओं को खुद की ओर झांकना होगा कि उनके रहते भाजपा आदिवासी समाज में वैसी पकड़ क्यों नहीं बना पाई है, जैसी पकड़ कांग्रेस की है। बीजेपी के मुकाबले के लिए कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता दीपक बैज को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। हालांकि भाजपा ने आदिवासी नेता नंद कुमार साय को भी प्रदेश अध्यक्ष बनाया था और अभी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी आदिवासी वर्ग के हैं, बावजूद आदिवासी समाज में भाजपा की स्थिति कांग्रेस के मुकाबले उन्नीस ही है। क्या इस खाई को पाटने के लिए आरएसएस ने आदिवासी नेता अरविंद नेताम को अपने पाले में करने की कोशिश शुरू कर दी है? अगर अरविंद नेताम आरएसएस के इस कार्यक्रमके बहाने भाजपा से जुड़ गए, तो यह न सिर्फ भाजपा के लिए ब्रम्हास्त्र साबित होगा, बल्कि स्वयं अरविंद नेताम के सियासी करियर के लिए निर्णायक कदम होगा।

संघ से प्रभावित हैं नेताम

वैसे अरविंद नेताम आरएसएस के कामकाज, कार्यप्रणाली से बेहद प्रभावित हैं। संघ द्वारा आदिवासियों और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए चलाए जा रहे वनवासी कल्याण आश्रम, विद्यालय सरीखे कार्यक्रमों को वे बहुत अच्छी पहल मानते हैं, मगर कुछ शिकवा भी उन्हें हैं। अरविंद नेताम का कहना है कि आरएसएस राष्ट्रहित और आदिवासी हित में काम करने वाला एकमात्र संगठन है, मगर भाजपा की विचारधारा के कारण भाजपा और आदिवासियों के बीच अभी भी खाई है, जिसे पाटने की जरूरत है। श्री नेताम ने कहा कि अगर उन्हें नागपुर के आरएसएस के कार्यक्रम में बोलने का मौका मिला तो वे इस मुद्दे पर जरूर बात रखेंगे।