सड़क पर ठोका मालिकाना हक, शुरू करा दिया है मकान निर्माण

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  • सामने आया खम्हार गांव ग्राम पंचायत में अजीबो गरीब मामला
  • जब सड़क बन रही थी, तब नहीं की आपत्ति, अब जतना लगा हक

जगदलपुर गांव में निर्मित सड़क पर एक ग्रामीण ने स्वयं के मालिकाना हक का दावा कर दिया है। इस व्यक्ति ने सड़क को घेरकर उस पर मकान बनवाना भी शुरू कर दिया है। सड़क पर कब्जा कर लिए जाने से गांव के दो मोहल्लों के बीच आवागमन ठप हो गया है। जगदलपुर शहर से लगी ग्राम पंचायत खम्हारगांव में सड़क पर अपना निजी अधिकार जताने का यह अजीबो गरीब मामला सामने आया है। मिली जानकारी के अनुसार खम्हारगांव पंचायत के आश्रित ग्राम फूटपदर के तलपारा मोहल्ले से भूतल पारा मोहल्ले तक लगभग 300 मीटर लंबी सीसी रोड का निर्माण जिला खनिज निधि न्यास की रकम से पिछले साल कराया गया था। इस सड़क के लंबाई वाले भाग के करीब 50 मीटर हिस्से को अपने स्वामित्व की जमीन पर निर्मित होने का दावा करते हुए बस्ती के ही ग्रामीण पूरण राई ने कब्जा कर लिया है। पूरन ने अब सड़क की चौड़ाई वाले आधे हिस्से को घेर लिया है और उस पर मकान निर्माण भी शुरू करा दिया है। सड़क पर दीवार खड़ी कर दी गई है, जिसके कारण तलपारा और भूतल पारा के लोगों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा। पूरण राई ने सड़क व उससे लगी छह डिसमिल जमीन पर अपना दावा ठोका है। इससे सड़क की उपयोगिता सिद्ध नहीं हो पा रही है और ग्रामीणों में असंतोष पनपने लगा है। बाईक गुजरने लायक जगह ही सड़क में शेष रह गई है। बैलगाड़ी तो निकल ही नहीं सकती।

दोनों पक्ष हैं बराबर के जिम्मेदार

ग्राम पंचायत खम्हारगांव के सरपंच शिरो नाग ने बताया कि पिछले साल जब सीसी रोड का निर्माण कराया जा रहा था, तब पूरण ने उस जमीन पर अपने अधिपत्य का दावा नहीं किया था और न ही किसी तरह की आपत्ति की थी। बाद में अचानक उसने सड़क से लगकर स्थित अपनी जमीन का सीमांकन पटवारी से कराया, तबसे वह सड़क वाली जमीन को अपना बताने लगा है। वहीं पूरण राई का कहना है कि अगर ग्राम पंचायत उसे गांव में दूसरी जगह भी उतनी ही जमीन दे देती है, तो वह सड़क से अपना दावा छोड़ देगा। पूरण के कब्जे में अब तीन चार विशाल पेड़ भी आ गए हैं।सवाल यह भी है कि ग्राम पंचायत ने सीसी रोड का निर्माण कराने से पहले जमीन की नाप जोख क्यों नहीं कराई और सड़क निर्माण के दौरान ही पूरण राई ने जमीन पर अपना हक जता दिया होता, तो शासन के लाखों रु. जाया होने से बच गए होते। इस तरह देखा जाए तो ग्राम पंचायत और पूरण राई दोनों ही इस मामले के लिए बराबर जिम्मेदार माने जा सकते हैं।