ईडी के डर से अनलोड नहीं कराई जा रही थीं शराब लदी गाड़ियां

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  • छत्तीसगढ़ के शराब प्रेमियों को दो माह बाद अब जाकर राहत मिलेगी
  • दूसरे राज्यों से शराब लेकर आए ट्रक भनपुरी यार्ड में हो रहे खाली

अर्जुन झा

नगरनार छत्तीसगढ़ में ईडी के भय के चलते ही बाहर से आने वाली शराब का जायका यहां के मदिरा प्रेमियों को नहीं मिल पा रहा था। अब शराब प्रेमियों को इस संकट से एक दो दिन में ही छुटकारा मिल जाएगा। पसंदीदा ब्रांड की शराब की आपूर्ति सरकारी दुकानों में बहाल होने वाली है। दूसरे राज्यों से शराब लेकर पहुंचे ट्रक अब भनपुरी यार्ड में खाली होने लगे हैं। पिछले दो माह से छत्तीसगढ़ के सभी जिलों की शराब दुकानों में मध्यम और उच्च क्वालिटी की अंग्रेजी शराब तथा बीयर नहीं मिल रही थी। सिर्फ छत्तीसगढ़ में उत्पादित होने वाली अंग्रेजी शराब और बीयर को ही लोग मन मारकर खरीद रहे थे। इसकी वजह यह ईडी द्वारा राज्य के आबकारी विभाग और छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों से की जा रही पूछताछ रही है। ईडी के भय के कारण तेलंगाना, महाराष्ट्र के मुंबई, मध्यप्रदेश के इंदौर, हिमाचल प्रदेश के जगजीत नगर, पंजाब, पांडिचेरी आदि राज्यों से जो शराब की गाड़ियां आई थीं, वे सभी गाड़ियां भनपुरी के शराब यार्ड में पिछले दो माह से खड़ी थीं। ट्रकों से माल न तो उतारा जा रहा था और न ही उसे गोडाउन में रखवाने की हिम्मत यहां के अधिकारी जुटा पा रहे थे।*बॉक्स**’डर’ ने लगाई ठेकेदारों को ढाई करोड़ की चपत* छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग द्वारा जिन चार ठेकेदारों को शराब खरीदने और राज्य में उसकी आपूर्ति करने का ठेका दिया गया था, उन्हें भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था। सूत्र बताते हैं कि इन ठेकेदारों को प्रतिदिन एक गाड़ी भाड़ा तीन हजार रु. प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करना पड़ रहा था। आबकारी विभाग से जुड़े लोगों ने जो जानकारी दी है कि पिछले दो माह से 125 गाड़ियां भनपुरी में गोडाउन के बाहर खड़ी थीं। इस लिहाज से ठेकेदारों को खड़ी गाड़ियों का प्रतिदिन लगभग चार लाख रु. का भाड़ा वहन करना पड़ रहा था। दो माह में इन बड़े ठेकेदारों को लगभग ढाई करोड़ की चपत ईडी के डर की वजह से लग चुकी है।आज 29 अप्रैल से गोदाम में माल उतरना प्रारंभ हुआ है।*बॉक्स**प्लेसमेंट एजेंसी को भी हुई बड़ी क्षति*सूत्र बताते हैं कि बाहर से आई शराब और बीयर का वितरण 3 – 4 दिनों में प्रदेश के जिलों की शराब दुकानों में शुरू हो जाएगा। प्लेसमेंट एजेंसी भी काफी परेशान थी। इस एजेंसी को भी इन दो महिनों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। सूत्रों ने बताया कि विभाग को हर शराब दुकान में दो काउंटर रखने पड़ते हैं। एक काउंटर सरकार के राजस्व के लिए और दूसरा काउंटर कथित ‘अदृश्य शक्ति’ के राजस्व के लिए। इस तरह हर दुकान में न्यूनतम चार कर्मचारी कार्यरत होते हैं, जिनके वेतन और दीगर खर्चो पर बड़ी रकम जाया हुई है। सरकार और कथित अदृश्य शक्ति को भी राजस्व की क्षति पहुंची है।