- बकावंड ब्लॉक की अनेक पंचायतों में एक वर्ष से गोबर खरीदी बंद, उजड़ गया मुर्गी – बकरियों का शेड भी
अर्जुन झा
बकावंड विकासखंड बकावंड की अनेक ग्राम पंचायतों में गोठान और गोधन न्याय योजना का सरेआम गुड़ गोबर करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट को जमीन पर रौंदा जा रहा है। ताजा उदाहरण सतोसा ग्राम पंचायत का है, जहां सालभर से गोबर खरीदी बंद है और मुर्गियों एवं बकारियों के लिए निर्मित कमरे का शेड देखरेख के अभाव में उड़ गया है। लाखों रुपए खर्च कर सतोसा ग्राम पंचायत मुख्यालय में गोठान को विकसित किया गया था। वहां गोबर क्रय करने व वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए टीन शेड वाला स्ट्रक्चर खड़ा किया गया है और मुर्गे, मुर्गियों तथा बकरे बकरियों को रखने के लिए एक बड़ा सा कमरा भी बनाया गया है। लाखों रुपए फूंक डाने के बाद भी सतोसा में एक साल से गोबर की खरीदी नहीं की जा रही है। गोबर खरीदी और मवेशियों के चारा पानी के लिए शासन द्वारा दी जा रही रकम किसकी जेब में जा रही है, यह सवाल ग्रामीण उठा रहे हैं। गौठान में एक वर्ष से गोबर खरीदी बंद रहने की पुष्टि सतोसा के अनेक ग्रामीणों ने की है। ग्रामीणों का कहना है कि जिन पंचायत प्रतिनिधियों संस्था के लोगों को गोठान संचालन तथा गोबर खरीदी एवं वर्मी कंपोस्ट बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, वे गोठान की तरफ झांकने के लिए भी नहीं आते।
न चूजा है, न मेमना, कमरा हुआ जर्जर
वहीं उन्नत नस्ल की मुर्गी एवं बकरी पालन के लिए तैयार कराए गए कमरे की हालत भी बेहद खराब हो चली है। चारों ओर कमरे की दीवारें खड़ी कर छांव के लिए कमरे के ऊपर टीन का जो शेड लगाया गया था, वह भी उड़ चुका है। जबकि इस कमरे का इस्तेमाल भी शुरू नहीं हो पाया है। इस कमरे में एक चूजा और एक अदद मेमना भी नहीं पहुंच सका है। हैरत की बात तो यह है कि इस मुर्गी – बकरी पालन केंद्र में दरवाजा तक नहीं लगाया गया है। दरवाजे के नाम पर पुरानी साड़ी का पर्दा मात्र लगा दिया गया है। शेड के उड़ जाने से इस कमरे का आधा भाग छत विहीन हो चला है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां आज तक उन्नत नस्ल की मुर्गियां और बकरियां नहीं पहुंचाई गई हैं। इस मद की रकम कहां गई? यह भी एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है। वहीं वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए सीमेंट के जो बड़े बड़े टैंक बनाए गए हैं, उनमें मिट्टी और कचरे का मलबा भरा हुआ है तथा खर पतवार उग आई है।
भूपेश सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास
गोठान एवं गोधन न्याय योजना भूपेश बघेल सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस अभिनव योजना को देश कुछ अन्य राज्यों की गैर कांग्रेसी सरकारों ने भी आत्मसात किया। यह छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गौरव की बात है, मगर बड़े दुख की बात तो यह है दीगर राज्यों के लिए नजीर बन चुकी छत्तीसगढ़ शासन की यह योजना अपने ही जन्मदाता राज्य के एक हिस्से में चरमरा गई है। चर्चा है कि ऐसा करके भूपेश बघेल सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों और चंद अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना रवैए और भ्रष्टाचार के चलते विपक्षी दल भाजपा को भूपेश बघेल सरकार पर हमलावर होने का मौका मिल रहा है। बता दें कि भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर गोठान योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूरे राज्य में ‘चलबो गोठान, खोलबो पोल’ अभियान चला रखा है। बस्तर संभाग के कई बड़े नेता इस अभियान के तहत गोठानों में लगातार पहुंच रहे हैं।सतोसा ग्राम पंचायत में गोठान योजना की मौत हो गई है और इसके लिए वहां के सरपंच व सचिव ही जिम्मेदार माने जा रहे हैं। गोबर खरीदी बंद रहने, वर्मी कंपोस्ट न बन पाने और मुर्गी – बकरी पालन कक्ष की दुर्दशा पर ग्राम पंचायत के सचिव गोलमोल जवाब देते रहे। वे ठोस कारण नहीं बता पाए।
होगी कड़ी कार्रवाई
आपके जरिए सतोसा ग्राम पंचायत का यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। जल्द ही जनपद पंचायत से एक टीम सतोसा जाकर पड़ताल करेगी। गोबर खरीदी और कंपोस्ट निर्माण का काम बंद रहने तथा अन्य गड़बड़ियों के लिए जो भी जिम्मेदार पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।