तिरिया मुठभेड़: एक महिला समेत दो चढ़े एनआईए के हत्थे

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28 जुलाई 2019 को नगरनार थाना क्षेत्र में हुई थी मुठभेड़ == 18 मार्च 2021 को मामला सौंपा गया राष्ट्रीय जांच एजेंसी को

जगदलपुर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बस्तर जिले के तिरिया गांव के पास सीपीआई (माओवादी) संगठन के नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर 2019 में किए गए हमले के आरोप में एक महिला सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इस घटना में छह माओवादी मारे गए थे। इस मामले को तिरिया मुठभेड़ मामले के रूप में जाना जाता है। एनआईए ने 2021 में झारखंड और छत्तीसगढ़ में आतंक और हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने की माओवादी साजिशों से जुड़े कई अन्य मामलों के साथ इस मामले की जांच शुरू की थी। दोनों व्यक्तियों को एनआईए ने इस मामले में व्यापक जांच के बाद रविवार को हिरासत में लिया था। इस मामले में एनआईए अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। एनआईए की जांच में पता चला था कि 18 जून 2023 को गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी देश विरोधी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व के साथ सक्रियता से जुड़े हुए थे। एनआईए ने इससे पहले दोनों आरोपियों के आवास परिसरों पर की तलाशी के दौरान सीपीआई (माओवादी) कैडरों की गतिविधियों से संबंधित कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद की थीं। गिरफ्तार आरोपियों में से एक महिला की पहचान बीसीएच पद्मा उर्फ मोडेम पद्मा उर्फ ललिता बताया गया है। यह पहले भाकपा माओवादी की मंडल समिति सदस्य के रूप में सक्रिय थी और वर्तमान में अग्र संगठनों और भाकपा (माओवादी) पार्टी के बीच समन्वयक के रूप में कार्य कर रही थी। साथ ही भाकपा (माओवादी) की विचारधारा का प्रसार भी वह कर रही था।

दूसरा आरोपी करता था कुरियर का काम

दूसरा आरोपी दुबासी देवेंद्र है, जो कोर क्षेत्र में सक्रिय भाकपा (माओवादी) कैडरों से निकटता से जुड़ा हुआ हैं। वह सीपीआई (माओवादी) के लिए एक कूरियर के रूप में भी काम कर रहा था, और गुप्त रूप से उनके संचार कागज आधारित और डिजिटल दोनों का परिवहन कर रहा था। वह नक्सलियों की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को सुविधाजनक बना रहा था।

सर्चिंग के दौरान हुई थी मुठभेड़

मुठभेड़ जुलाई 2019 में हुई थी। तब स्थानीय जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी ), विशेष कार्य बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक संयुक्त टीम ने बस्तर जिले के नगरनार थाना के तिरिया के पास वन क्षेत्र में सर्चिंग गश्त पर थी। यह संयुक्त टीम माओवादी कैडरों के एक समूह द्वारा 28 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाते हुये एक बड़ी घटना को अंजाम देने के इरादे से इकट्ठा होने की सूचना मिलने के बाद वहां अभियान पर गया था। मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से हथियार और गोला बारूद व कई आपत्तिजनक हस्तलिखित दस्तावेज, साहित्य आदि बरामद किए थे। शुरूआत में आर्म्स एक्ट और यूए (पी.) एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत नगरनार थाने में 28 जुलाई 2019 को जुर्म दर्ज किया गया था। एनआईए ने 18 मार्च 2021 को आरसी -01/ 2021/ एनआईए / आरपीआर के रूप में फिर से मामला पंजीबद्ध किया था।