फोटोकॉपी की आड़ में सचिव ने हड़पे 49 हजार रु.

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  • बकावंड पंचायत सचिव की एक और बड़ी कारगुजारी
  • सरकारी धन की खुली लूट चल रही है ग्राम पंचायत में


अर्जुन झा-
बकावंड क्या किसी ग्राम पंचायत में दस्तावेजों की फोटोकॉपी कराने पर सालभर में 49 हजार रुपए का खर्चा आ सकता है? आपका यही जवाब होगा कि हरगिज नहीं। हम कहते हैं, ऐसा ही हो रहा है। ग्राम पंचायत बकावंड में तो कोई काम भी नामुमकिन नहीं है। जिस पंचायत सचिव को अदृश्य शक्ति का वरदहस्त प्राप्त हो, वह कुछ भी कर सकता है। फोटोकॉपी कराने के नाम पर 49 हजार तो छोटी रकम है, वह 49 लाख का भी चूना ग्राम पंचायत को लगा सकता है। जी हां! यहां बात हो रही है ग्राम पंचायत बकावंड के सचिव ओंकार गागड़ा की, जो ग्राम पंचायत को विभिन्न मदों से मिलने वाली राशि को दोनों हाथों से लूट रहे हैं।
बकावंड ग्राम पंचायत को पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा ने अपनी अवैध कमाई का अड्डा बना लिया है। ग्राम पंचायत के हर निर्माण कार्य में कमीशनबाजी का खेल खुलकर खेला रहा है। निर्माण सामग्री की अनाप शनाप दरें दर्शा कर और घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग कर शासन को खूब पलीता लगाया जा रहा। हद तो तब हो गई, जब पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा ने ग्राम पंचायत के दस्तावेजों, प्रस्तावों, आवेदनों आदि की फोटोकॉपी कराने के नाम पर ग्राम पंचायत के बैंक खाते से 49 हजार रुपए आहरित कर लिए। यह राशि सन 2022 से सन 2023 में अब तक कराई गई तथाकथित फोटोकॉपी के नाम पर खर्च दर्शाई है। किसी भी ग्राम पंचायत में दस्तावेजों की फोटोकॉपी कराने पर महज सालभर में इतनी बड़ी रकम किसी भी सूरत में खर्च हो ही नहीं सकती।

सचिव का ये कैसा अंक गणित ?
साल में कुल 365 दिन होते हैं। इनमें 52 रविवार साप्ताहिक अवकाश के दिन होते हैं। इसके अलावा माह में औसतन दो शासकीय अवकाश होते हैं। यानि साल में 24 साप्ताहिक अवकाश। इस तरह कुल 76 दिन अवकाश में निकल जाते हैं। बचे 289 दिनों में ऐसे कौन से दस्तावेजों की फोटोकॉपी करा ली गई जिनका बिल 49 हजार रुपए का बना है। अगर कार्य दिवसों पर ही नजर डालें तो प्रतिदिन 125 रुपए से भी ज्यादा की राशि तथाकथित फोटोकॉपी के नाम पर सचिव द्वारा खर्च की गई है। बाजार में एक प्रति फोटोकॉपी की दर अधिकतम मात्र एक रुपए है। अगर सचिव के दावे को सच माना जाए, तो उन्होंने प्रतिदिन 125 प्रतियां फोटोकॉपी कराई है। यह किसी अजूबे से कम नहीं है।

और भी हो चुके हैं कई घोटाले
ग्राम पंचायत बकावंड में घोटाले के नित नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे हैं। मॉडल गोठान निर्माण के लिए बस्तर के विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने ग्राम पंचायत बकावंड को लाखों रुपयों की मंजूरी दी थी। पंचायत सचिव ने मॉडल गोठान निर्माण में भी जमकर अवैध कमाई की है। स्वीकृत राशि खर्च हो चुकी है, लेकिन मॉडल गोठान अब तक पूर्ण आकार नहीं ले पाया है। और तो और इस गोठान में आज तक गोबर खरीदी भी शुरू नहीं हो पाई है। पंचायत सचिव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ड्रीम प्रोजेक्ट माने जाने वाली गोठान और गोधन न्याय योजना को भी पलीता लगाने में बाज नहीं आए हैं। बाजार के शेड निर्माण में भी सचिव ने जमकर खेल खेला है। ग्राम पंचायत के अन्य कार्यों में भी जमकर गड़बड़ी की गई है।

आखिर कौन है वह अदृश्य शक्ति?
ऐसी कौन सी अदृश्य शक्ति है, जो भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों से घिरे पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा के खिलाफ कार्रवाई होने से रोक रही है? यह सवाल ग्रामीण उठा रहे हैं। सचिव की कार्यशैली और भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों द्वारा जनपद पंचायत बकावंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से दर्जनों बार की जा चुकी है। लोग विधायक के समक्ष भी इस तरह की शिकायतें कई बार कर चुके हैं, मगर आज तक सचिव का बाल तक बांका नहीं हो पाया है। अब ग्रामीण यह तक कहने से नहीं चूक रहे हैं कि इस पंचायत सचिव के आगे विधायक लखेश्वर बघेल और बकावंड जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसएस मंडावी भी बौने पड़ गए हैं। इस पंचायत सचिव के पास एक और ग्राम पंचायत का प्रभार है। वहां भी बड़े पैमाने पर आर्थिक गड़बड़ियां हुई हैं। उस ग्राम पंचायत से भी सचिव के खिलाफ आएदिन आवाज उठती रहती है। बावजूद न जाने वह अदृश्य शक्ति कौन है जो लगातार पंचायत सचिव का बचाव करती आ रही है?