जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सरकार मनरेगा व वनोपज संग्रहण ( तेंदुपत्ता खरीदी व अन्य वनोपज संग्रहण) कराने के निर्देश दिए हैं, वन विभाग के जिम्मेदार बस्तर के मुख्य वन संरक्षक ने एसडीएम को पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई थी किंतु जंगल महकमा कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़कर तथा उसके कानून की धज्जियां उड़ाते हुए मशीनरी खरीदी के लिए ठेकेदारों को आमंत्रित किया गया जिसके कारण ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े अधिकारी ही नियम कायदों को तोड़ रहें हैं।
वन विभाग के सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार वन क्षेत्रों में मनरेगा योजना अंतर्गत निर्माण कार्य बंद पड़े और तेंदुपत्ता संग्रहण के प्रति रुचि नहीं दिखाई जा रही है और सीसीएफ व वन मंडलाधिकारी द्वारा जिला प्रशासन को गुमराह करके उपर वर्णित कार्यों के लिए निविदा आमंत्रित किए जाने की सूचना एसडीएम को दी जबकि उसके बावजूद यह कार्यों के एवज के बदले मशीनरी खरीदी करने की प्रक्रिया हेतु ठेकेदार आमंत्रित किए गए।
आनलाईन टेंडर की बजाय प्री-बीड की प्रक्रिया पर उठे सवाल, तकनीकी युग में कागज पत्री का खेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की मंशा है कि किसी भी कार्य में पारदर्शिता बनाए रखने आनलाईन टेंडर प्रक्रिया किया जाये किंतु इन सबके बीच बस्तर संभाग में प्री-बीड प्रक्रियाओं के तहत् ठेकेदारों को आमंत्रित किया गया जबकि सभी प्रक्रियाओं को आनलाईन किया जा सकता था।या फिर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इस प्रक्रिया को अपनाया गया है। टेंडर प्रक्रिया के पहले ठेकेदारों को आमंत्रित करने के पिछे का खेल है कि रसुकदारों फायदा पहुंचाया जाए और इस दौरान छोटे ठेकेदारों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएं।
वन विभाग द्वारा सभी प्रकार के निर्माण कार्यों के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया था जिसमें कई भारी मशीनरी खरीदने की इच्छा जताई है किंतु कितनी संख्या में मशीनरी खरीदी का स्पष्ट उल्लेख नहीं है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वन महकमा पर्दे के पीछे बड़े गोलमाल करने की प्रक्रिया है। इसके लिए अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने व मंत्री के दवाब पर किसी दूसरे को कार्य देने के लिए यह षड्यंत्र रचा गया है जिसके कारण ठेका प्रक्रिया विवादों में घिर रही है।