सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल रहेगी असरकारी

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  • बस्तर की धरती बन गई है कांग्रेस – भाजपा की रणभूमि
  • आज बस्तर में दिखेगी सीएम बघेल और पीसीसी चीफ बैज की जुगलबंदी

अर्जुन झा

जगदलपुर सत्ता के शूरवीरों और संगठन के सिपाहसालारों के बीच की तालमेल कांग्रेस की नैया को चुनावी वैतरणी पार लगाने के लिए अच्छी पतवार साबित हो सकती है। अब तक सत्ता और संगठन में अच्छा सामंजस्य देखने को मिलता आया है। ऐसा ही सामंजस्य टिकट वितरण और चुनावी प्रक्रिया पूरी होते तक बना रहा, तो भूपेश बघेल के नेतृत्व में फिर से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने से कोई भी ताकत नहीं रोक सकती। जिस तरह भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ दीपक बैज की जोड़ी काम कर रही है, वह शुभ संकेत है। इस जोड़ी की दमदार जुगलबंदी 9 अगस्त को भी बस्तर की धरती पर देखने को मिलेगी, ऐसा माना जा रहा है। पूरी की पूरी 12 विधनसभा सीटें देने वाले बस्तर संभाग को जिस भी दल ने साध लिया, उस दल ने प्रदेश की सभी 90 सीटों को साध लिया। ऐसी मान्यता बस्तर के साथ जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि बस्तर की धरती से उठने वाले संदेश का असर समूचे राज्य में दिखता है। यह संभाग पूरी तरह आदिवासी बहुल है। इसके बाद सरगुजा संभाग और राजनांदगांव जिले का नंबर आता है। जिसने भी बस्तर के आदिवासियों का दिल जीत लिया, वही दल पूरे प्रदेश के आदिवासियों के दिलों पर राज करने का हकदार बन जाता है। इसीलिए भाजपा ने भी बस्तर और सरगुजा संभाग पर ज्यादा फोकस करना शुरू कर दिया है। भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बस्तर का एक दौरा कर चुके हैं। इस पार्टी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव कई दफे बस्तर संभाग की खाक छान चुके हैं। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जगदलपुर में आयोजित भरोसे का सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा के साथ यहां मंच साझा कर चुकी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दिल तो जैसे बस्तर में ही धड़कते रहता है। उनका एक पैर राजधानी रायपुर में रहता है, तो दूसरा पैर बस्तर की धरा पर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की जन्मभूमि और कर्मभूमि बस्तर ही है, लिहाजा उनका अपना विशेष प्रभाव यहां देखने को मिलता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत बस्तर की मौजूदा तासीर को भांपकर गए हैं तबसे कई विधायकों की नींद उड़ गई थी। बस्तर संभाग की जनता से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने न सिर्फ नौकरशाही की कार्यशैली के बारे में फीडबैक लिया, लोकशाही का भी हाल देख, सुन और समझ लिया है। जिन विधायकों के परफॉरमेंस में मुख्यमंत्री को कमी नजर आई, उन्हें अपनी सियासी सेहत सुधारने का मौका दिया। इसके बाद अब तक आराम फरमाते आ रहे विधायक भी जी जान लगाकर अपने क्षेत्र की जनता की सेवा में जुट गए। इसका सकारात्मक असर अब कांग्रेस के पक्ष में दिखने लगा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सीधा सा मंत्र है कि काम बोलना चाहिए। वे जानते हैं कि जंग लगी तलवार से जंग नहीं जीती जा सकती। इसलिए वे तलवार की धार को सदा तेज बनाए रखना चाहते हैं। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम भी कई दफा विधायकों को उनके प्रदर्शन पर नसीहत दे चुके थे। सीएम भूपेश बघेल ने भी अपने हर विधायक के कामकाज को परखने में कोई कमी नहीं की है। कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता का रास्ता बस्तर से होकर गुजरता है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के विकास को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल कर रखा है। उन्होंने अब तक बस्तर संभाग को जितनी सौगात दी है, वह इस चुनाव में कांग्रेस के लिए प्लस पॉइंट होगा। वहीं दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना कांग्रेस के लिए सोने पे सुहागा साबित हो रहा है। श्री बैज अभा आदिवासी कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। आदिवासी समुदाय के बीच उनकी विशिष्ट पहचान है। मुख्यमंत्री सोना हैं, तो पीसीसी चीफ दीपक बैज सुहागा। एक- दूसरे के मिलन से ही दोनों का महत्व बढ़ जाता है। इस लिहाज से उम्मीद की जा रही है कि सोना और सुहागा मिलकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के ताज को यूं ही दमकाते रहेंगे। इसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी और शीर्ष नेतृत्व को जौहरी की भूमिका निभानी होगी। वैसे अब तक भूपेश बघेल और दीपक बैज की जोड़ी जिस एकजुटता के साथ काम करती आ रही है, उसे कांग्रेस के लिए शुभ संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

आज भी दिखेगी बेमिसाल जुगलबंदी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के बीच जो तालमेल अब तक देखने को मिली है, उम्मीद है वह हमेशा यूं ही बनी रहेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ दीपक बैज 9 अगस्त को जगदलपुर में आयोजित आदिवासी गौरव दिवस कार्यक्रम में मंच साझा करेंगे। इस दौरान भी उनकी बेमिसाल जुगलबंदी देखने को मिल सकती है।