मनरेगा अधिकारी डाल रहे हैं आदिवासियों के हक पर डाका

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  • मनरेगा मद से कुआं बनाने में की जा रही जमकर गड़बड़ी
  • परियोजना अधिकारी ने कुंए बनवाए नहीं, रकम हड़प ली, कुंए हैं अर्ध निर्मित हालत में

अर्जुन झा

बकावंड विभिन्न योजनाओं के तहत निर्माण कार्यों के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा भेजी जाने वाली राशि का बकावंड विकासखंड में जमकर हेराफेरी चल रही है। मनरेगा के परियोजना अधिकारी भी इस खेल में पीछे नहीं हैं। परियोजना अधिकारी ने मनरेगा मद से कुंआ निर्माण में खूब गड़बड़ी की है। बिना कुंए बनवाए ही सारी रकम हड़प ली गई है। वहीं अनेक आदिवासी किसानों के खेत या बाड़ी में जो कुंए बनवाए भी गए हैं, वे अर्ध निर्मित अवस्था में हैं और भ्रष्टाचार की गवाही दे रहे हैं।

बकावंड विकासखंड में मनरेगा के तहत कराए जाने वाले कार्यों में सरकारी धन की लूट चल रही है। केंद्र और राज्य सरकार की मंशा है कि गरीब आदिवासी और छोटे किसान अपनी बाड़ियों में सब्जी, अनाज आदि की पैदावार लेकर धन अर्जित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आदिवासियों और छोटे किसानों की बाड़ियों व खेतों में मनरेगा के तहत कुंआ निर्माण की योजना चलाई जा रही है। बकावंड ब्लॉक की ग्राम पंचायत टलनार के अनेक किसानों व आदिवासियों के नाम पर कुंआ निर्माण के लिए डेढ़ – डेढ़ लाख की राशि स्वीकृत हुई है। मनरेगा के परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा ने इन हितग्राहियों के खेतों व बाड़ियों में कुंआ निर्माण आरंभ जरूर कराया गया, मगर सिर्फ दिखावे के लिए। कुंओं का निर्माण आधा अधूरा कराया गया है। कुंए के भीतरी हिस्से में पत्थरों की जोड़ाई सीमेंट से न कराकर मिट्टी से करा दी गई है। वहीं कुंओं में जगत का निर्माण भी नहीं कराया गया है। सभी कुंए आधी अधूरी हालत में छोड़ दिए गए हैं। ये कुंए कई माह से अर्ध निर्मित अवस्था में हैं। डबरी और वर्मी कंपोस्ट निर्माण में भी फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। इन सारे मामलों की शिकायत उप सरपंच तेनसिंह सेठिया ने जनपद पंचायत में की है।

इनके कुंए पड़े हैं आधे अधूरे

टलनार ग्राम पंचायत के आदिवासी सुदरू पिता लक्ष्मण, मानसाय पिता सगराम, सुदरू पिता चक्रधर, चिंगरू पिता बुरंदा, शांति – कुरसो, अंतराम पिता बुरंदु आदि के खेत – बाड़ी में कुंआ निर्माण आधा अधूरा कराया गया है। कुंए के भीतरी हिस्से की तल से लेकर जगत तक की जोड़ाई पत्थर और सीमेंट से कराने तथा पक्का जगत बनवाने का प्रावधान है, मगर मनरेगा परियोजना अधिकारी ने जोड़ाई मिट्टी के गारे से करवा दी है। इससे कुंओं के धसकने का खतरा है। अंतराम के कुंए में भी ऐसा ही घटिया कार्य कराया गया है। सभी कुंओं की गहराई बहुत ही कम है। महज 6-7 फीट ही गहरे कुंए खोदे गए हैं। मनरेगा के ई मस्टर रोल में इम्प्लीमेंट एजेंसी ग्राम पंचायत टलनार दर्शाया गया है, जबकि पंचायत सचिव लखबंधु का कहना है कि परियोजना अधिकारी की देखरेख में हुआ है। ये सारे कुंए मनरेगा परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा के भ्रष्टाचार की पोल खोलते नजर आ रहे हैं।

डबरी में भी भ्रष्टाचार की डुबकी

मनरेगा मद से कई किसानों की जमीन पर डबरी और वर्मी कंपोस्ट यूनिट निर्माण के लिए भी राशि स्वीकृत कराई गई है, लेकिन न कहीं डबरी बनाई गई है और न वर्मी कंपोस्ट यूनिट। मनरेगा की डबरी में भी भ्रष्टाचार की डुबकी लगाने में परियोजना अधिकारी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। वहीं जानकारी मिली है कि बजावंड के चार आदिवासी किसानों के नाम पर कुंआ निर्माण की आड़ में फर्जीवाड़ा किया गया है। बजावंड के आदिवासी किसानों के नाम दर्शाकर प्रति कुंआ 1 लाख 50 हजार रुपए के मान से छह लाख रुपए आहरित कर लिए गए हैं।

वर्सन

बड़ी गड़बड़ी हुई है

टलनार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत कुंआ, डबरी और वर्मी कंपोस्ट यूनिट निर्माण में बड़ी गड़बड़ी की गई है। मैंने मामले की लिखित शिकायत जनपद पंचायत के सीईओ के समक्ष की है। मामले की जांच होनी चाहिए।