- सार्वजनिक शौचालय के लिए स्वीकृत राशि हड़पी
- सालभर से अधूरा पड़ा है मैलबेड़ा का शौचालय
अर्जुन झा
बकावंड खुले में शौच करने से माताओं और बहनों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। कई बार उनकी आबरू भी लूट ली जाती है। इसीलिए घर – घर निजी और गांवों में सार्वजनिक शौचालय सरकारी खर्चे पर बनवाए जा रहे हैं। शौचालय को इज्जत घर नाम दिया गया है। ताकि माता – बहनों की आबरू कायम रहे। मगर पंचायत प्रतिनिधि इज्जत घर में डाका डालने और मातृशक्ति की अस्मिता को तार तार करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
विकासखंड बकावंड के अंतिम छोर पर स्थित ग्राम पंचायत मैलबेड़ा में सालभर से सार्वजनिक शौचालय का निर्माण अधूरा पड़ा है। यह कार्य ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव द्वारा कराया जा रहा है। इन दोनों ने मिलकर शौचालय निर्माण के लिए स्वीकृत पूरी राशि आहरित कर ली है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच सचिव ने रकम हजम कर ली है और निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ दिया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत मैलबेड़ा में सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए रोजगार गारंटी योजना के तहत लाखों रुपए की स्वीकृति बीते साल मिली थी। निर्माण की जिम्मेदारी सरपंच और सचिव को दी गई थी। स्वीकृत राशि से एक ही कांपलेक्स में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग – अलग शौचालय और स्नानागार का निर्माण कराया जाना था। इसके लिए मिले सरकारी धन पर मैलबेड़ा के सरपंच व सचिव की मैली नजर पड़ गई। उन्होंने भ्रष्टाचार करते हुए शौचालय को भी नहीं बख्शा। निर्माण के नाम पर एक ढांचा भर खड़ा कर दिया गया है। टॉयलेट में न सीटें लगाई गई हैं और न ही कांप्लेक्स की छत ढलाई का काम कराया गया है। वहां पानी की व्यवस्था के लिए बोर भी नहीं कराया गया है। जबकि बोर कराने, मोटर पंप व अंदर नल लगाने के लिए भी राशि मंजूर हुई है। पूरी रकम की बंदरबांट अधिकारियों के साथ मिलकर कर ली गई है। शौचालय के अभाव में ग्रामीण खुले में शौच करने मजबूर हैं। महिलाओं, युवतियों व किशोरियों को खुले में शौच करने के दौरान शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। प्रधानमंत्री ने शौचालय को इज्जत घर नाम दे रखा है, ताकि नारी की मर्यादा पर आंच न आने पाए और कोई भी अधर्मी व्यक्ति माता बहनों की आबरू पर मैली नजर न डाल सके, मगर यहां तो सरपंच सचिव की ही मैली नजर आड़े आ गई है। उन्होंने इज्जत घर में डाका डालकर लाखों रुपए हड़प लिए हैं।
अधिकारी ने नहीं दिया जवाब
इस संबंध में राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अधिकारी कौस्तुभ वर्मा से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब न देकर टालमटोल वाली नीति अपना ली। उनके मोबाईल फोन नंबर 7587077788 पर भी बार बार कॉल किया गया, मगर उन्होंने फोन रिसीव ही नहीं किया। जनपद पंचायत बकावंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसएस मांडवी ने भी इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया।