संजारी बालोद में संगीता की राह हो गई है और भी आसान

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  •  मीना साहू पर लटक रही है निष्कासन की तलवार
  •  मीना के बागी होने से कांग्रेस को होगा फायदा
    -अर्जुन झा-

बालोद विधानसभा चुनाव के पहले चरण में संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के लिए भी मतदान होगा। नामांकन वापसी के आखिरी दिन कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय नामांकन भरने वाली मीना सत्येंद्र साहू ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया। अब उनका चुनाव लड़ना तय हो गया है। इसी के साथ मीना साहू पर निष्कासन की तलवार लटक रही है। कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने पर पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा सकती है। मीना साहू कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य हैं। वे लगातार दूसरी दफे जिला पंचायत सदस्य चुनी गई हैं। लोगों का कहना है कि मीना साहू के बागी हो जाने से कांग्रेस प्रत्याशी संगीता सिन्हा के वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उल्टे संगीता सिन्हा को लाभ ही होगा।
संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट के लिए मीना साहू ने भी दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी ने पुनः वर्तमान विधायक संगीता सिन्हा पर भरोसा जताते हुए उन्हें अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है। संगीता सिन्हा के प्रत्याशी घोषित होने के बाद जहां एक ओर अन्य दावेदार संगीता को जिताने का संकल्प लेते हुए कांग्रेस के पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य मीना साहू टिकट न मिलने पर नाराजगी जताते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंकते हुए मैदान पर डटी हुई हैं।

जातिवाद का नहीं है असर
बालोद क्षेत्र में 23 साल तक साहू समाज के विधायक रहे हैं। 2013 में संजारी बालोद की तस्वीर बदल गई। बीते 10 सालों से संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में जातिवाद हावी नही रहा। 2013 में भाजपा के प्रीतम साहू को कांग्रेस के भैय्याराम सिन्हा को हराया था, तो वहीं 2018 के चुनाव में कांग्रेस की संगीता सिन्हा ने भाजपा के पवन साहू और जनता जोगी कांग्रेस एवं साहू समाज के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दिवंगत अर्जुन हिरवानी को हराया था। बीते एक दशक से विधानसभा चुनाव में संजारी बालोद और गुंडरदेही क्षेत्र में जातिवाद हावी नहीं रहा। गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र में भी 2013 के चुनाव में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े राजेंद्र राय ने भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र साहू को और 2018 के चुनाव में कांग्रेस के कुंवर सिंह निषाद ने भाजपा के दीपक ताराचंद साहू को हराया था। जबकि यहां से ज्यादातर बार साहू समाज से ही विधायक चुने जाते रहे हैं। लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। इसलिए पार्टी ने भी सोच समझकर दांव खेला है। जातिवाद का तर्क देने वाले कहते रहे कि साहू समाज के मतदाता एकजुट व संगठित हैं। जातिवाद पर बाजी लगाकर भाजपा पिछला चुनाव जीत नहीं पाई। समाजिक समीकरण की बात करें तो समाज में भी कई लोग कांग्रेस तो कई भाजपा से ताल्लुक रखते हैं। किसी भी समाज का पूरी तरह एकतरफा झुकाव किसी भी दल की ओर कभी नहीं रहा है।

सच साबित हुईं हिरवानी की बातें
2018 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में जातिवाद को लेकर चलती रही चर्चाओं पर दिवंगत अर्जुन हिरवानी ने कहा था कि राजनीति में सामाजिक स्तर ज्यादा मायने नहीं रखता। हालांकि ये सच है कि समाज की बहुलता भी देखी जाती है, लेकिन अब मतदाता जागरुक हो चुके हैं। इसलिए जातिवाद को लेकर मैं कोई कमेंट नहीं कर सकता। अर्जुन हिरवानी ने ये बातें तब कही थी, जब वे साहू समाज के जिला अध्यक्ष थे। अर्जुन हिरवानी की कही ये बातें चुनाव नतीजे आने पर सच भी साबित हो गईं। कलार समाज की संगीता सिन्हा का चुनाव जीतना इस बात का प्रमाण है।

कायम है संगीता की उत्कृष्टता
सिन्हा, डड़सेना कलार समाज को भी साहू बहुल संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने गले लगाने में गुरेज नहीं किया है। मिलजुल कर रहने की प्रवृत्ति इस विधानसभा क्षेत्र की उत्कृष्ट पहचान है। सिन्हा, डड़सेना कलार समाज की बेटी संगीता सिन्हा को भी इस क्षेत्र ने भरपूर स्नेह दिया। पिछले चुनाव में संगीता सिन्हा ने अच्छी खासी बढ़त के साथ जीत हासिल की थी। क्षेत्र के विकास और विधानसभा की गतिविधियों में भागीदारी के मामले में संगीता का परफॉरमेंस बेहतरीन रहा। विधानसभा में संगीता सिन्हा के आचरण, कामकाज के तरीके और क्षेत्र के विकास के लिए उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें उत्कृष्ट विधायक के खिताब से नवाजा गया था। संगीता सिन्हा ने सभी जाति समाज को साथ लेकर बालोद विधानसभा क्षेत्र में विकास की नई गाथा लिखी है। गुरुर ब्लॉक से लेकर बालोद ब्लॉक के ग्रामीण इलाके में अपने बेहतरीन काम के लिए वे जानी जाती हैं। उनकी लोकप्रियता का परचम आज भी क्षेत्र में लहरा रहा है। आम मतदाताओं का कहना है कि संगीता सिन्हा समाज के सभी तबकों के लिए उत्कृष्ट कार्य कर सभी जाति समाजों का विश्वास जीतने में स