मप्र में पिछड़ा वर्ग को ताज, आदिवासी होगा छ्ग का सरताज

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  • राजस्थान में राजघराने से, मप्र में ओबीसी और छग में आदिवासी मुख्यमंत्री संभव
  • विष्णुदेव, रेणुका, केदार कश्यप, लता उसेंडी, विक्रम उसेंडी पर टिकी निगाहें

अर्जुन झा

जगदलपुर कांग्रेस, जद यू, राजद समेत प्रायः सभी विपक्षी दल जहां जातिगत जनगणना में ही उलझे हुए हैं, वहीं भाजपा छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आदिवासी एवं ओबीसी कार्ड खेलकर जातिवादी राजनीति पर घड़ों पानी उंडेलने की तैयारी कर चुकी है।

हालिया संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में जबरदस्त जीत हासिल की है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है, जबकि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार की पुनरावृति हुई है। कांग्रेस ने तेलंगाना का किला फतह किया है। तेलंगाना में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कांग्रेस ने बिना विलंब किए कर दी। वहां सरकार का गठन भी हो चुका है। शेष तीनों भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर भाजपा में उहापोह की स्थिति निर्मित हो गई है। विपक्षी दलों के नेता इसे लेकर भाजपा पर तंज कसने से नहीं चूक रहे हैं। कांग्रेस, जदयू और राजद जातिगत जनगणना कराकर जिसकी जितनी आबादी, उस जाति को उतना अधिकार देने का दम भर रहे हैं। भाजपा इससे जुदा रहकर एक ऐसा कदम छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में उठाने जा रही है, जो कांग्रेस के सपने पर पानी फेर सकता है। भाजपा जहां मध्यप्रदेश में ओबीसी कार्ड और छत्तीसगढ़ में आदिवासी कार्ड खेलने वाली है।

इनमें से हो सकता है मुख्यमंत्री

नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में मौजूद एक भरोसेमंद सूत्र के मुताबिक राजस्थान का राजकाज भाजपा वहां के राजघराने के हाथों में सौंपने जा रही है। राजघराने से मतलब यह कि महारानी वसुंधरा या राजकुमारी दीया कुमारी में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वहीं मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग से किसी विधायक को मुख्यमंत्री का ताज मिल सकता है। इधर छत्तीसगढ़ की बात करें, तो यहां आदिवासियों की बहुलता के लिहाज से छत्तीसगढ़ का सरताज कोई आदिवासी विधायक ही बनेगा। भाजपा के आदिवासी नेताओं में विष्णुदेव साय, रेणुका चौधरी, बस्तर संभाग से निर्वाचित विधायक केदार कश्यप नारायणपुर, लता उसेंडी कोंडागांव, विक्रम उसेंडी अंतागढ़ के नाम सामने आ रहे हैं। अगर भाजपा किसी आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाती है, तो फिर छत्तीसगढ़ में लोकसभा की सभी सीटों पर वह आसानी से चुनाव जीत जाएगी और राज्य की सत्ता भी अगले दस साल तक उसके हाथ से फिसलने वाली नहीं है।