- दुकानों से ऊंची शराब गायब होने के मामले में बड़ा खुलासा
- बारों में उपलब्ध शराब दुकानों में क्यों नहीं आ रही?
-अर्जुन झा-
जगदलपुर आबकारी विभाग की वेबसाईट तो महंगी और ब्रांडेड शराब से छलक रही है, मगर मयकशों की प्याली खाली की खाली ही है। वेबसाईट में ऐसी शराब की उपलब्धता दिखाई जा रही है, लेकिन सरकारी दुकानों से वह नदारद है। वहीं बारों में ब्रांडेड शराब जमकर परोसी जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब आबकारी विभाग ही बारों और दुकानों में शराब की आपूर्ति करता है, तब भला दुकानों से महंगी शराब कैसे गायब है ?
छत्तीसगढ़ शासन के आबकारी द्वारा संचालित अंग्रेजी शराब दुकानों में किसी भी अच्छी ब्रांड की शराब की उपलब्ध नहीं है। आबकारी विभाग की वेबसाईट को सर्च करने पर सभी दुकानों मे हर अच्छी किस्म की अंग्रेजी शराब की उपलब्धता दिखाई जा रही है। वेबसाईट के मुताबिक जगदलपुर के नया बस स्टैंड, केवरामुंडा, हिकमीपारा आदि की शराब दुकानों में बीयर, वाइन, वोदका, रम, व्हीस्की, स्काच, ब्रांडी आदि ऊंची ब्रांड वाली शराब उपलब्ध है, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इनमें से किसी भी विलायती शराब दुकान में ब्रांडेड शराब है ही नहीं। वेबसाईट में ऑर्डर देने पर एक निश्चित रकम लेकर ब्रांडेड शराब देने का भी जिक्र है। ग्राहक ऊंची शराब की डिमांड करते -करते थक जाते हैं, मगर दुकानों के सेल्समैन वांछित ब्रांड उपलब्ध न होने व सप्लाई बंद रहने की दुहाई देते नहीं थकते। वहीं दूसरी ओर जगदलपुर शहर के सभी बारों में अच्छी किस्म की शराब आसानी से मिल रही है। बारों में ये ब्रांडेड शराब ऊंची कीमत पर मिलती है। विलायती दुकानों के साथ ही बारों में भी शराब आबकारी विभाग ही उपलब्ध कराता है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि ऊंचे ब्रांड वाली शराब क्या सिर्फ बारों में बैठकर शौक पूरा करने वाले लोगों के लिए ही है? सवाल तो यह भी उठता है कि आबकारी विभाग की वेबसाईट झूठी है या फिर विभागीय अधिकारी झूठ का रायता फैला रहे हैं?
श्रमबिंदु ने अपने पिछले अंक में आबकारी विभाग के अफसरों करनामे का भंडाफोड़ किया था। हमने बताया था कि आबकारी महकमे के आला अफसरों और जिला आबकारी अधिकारियों ने बस्तर संभाग के साथ ही छत्तीसगढ़ की ज्यादातर सरकारी अंग्रेजी शराब दुकानों में ब्रांडेड शराब की कृत्रिम किल्लत पैदा कर दी है। ब्लंडर प्राइड, सिग्नेचर, ओल्ड मंक जैसी ब्रांडेड शराब की जगह हल्के दर्जे की लोकल शराब सरकारी दुकानों के जरिए खपाई जा रही है। ग्राहकों को यह कहकर छला जा रहा है कि ब्रांडेड शराब का उत्पादन बंद हो गया है। लोगों को हल्के दर्जे की शराब पीने मजबूर किया जा रहा है। वहीं लोकल शराब में भी मिलावट की जा रही है। बस्तर संभाग समेत पूरे छत्तीसगढ़ की ज्यादातर अंग्रेजी शराब दुकानों में ग्राहकों को ब्लंडर प्राइड, सिग्नेचर, ओल्ड मंक, हंड्रेड पाईपर व अन्य ब्रांडेड व्हीस्की, रम, ब्रांडी, वोदका, बीयर नहीं मिल रही है। इन ब्रांडों वाली शराब की मांग करने पर ग्राहकों से कहा जाता है कि इनका उत्पादन बंद हो गया है और लंबे समय से आपूर्ति भी नहीं हो रही है। इनकी जगह ग्राहकों को 8 पीएम, एसी नीट, इंडिया नंबर 1, फ्रंट लाइन, आईबी, विकर, पार्टी स्पेशल जैसी हल्की क्वालिटी की लोकल शराब की बोतलें थमा दी जाती हैं।ग्राहकों से इनकी कीमत ब्रांडेड शराब की जैसी वसूली जाती है। ग्राहक मन मारकर स्तरहीन शराब खरीदने मजबूर हो जाते हैं।खेल तो कमीशनखोरी का है
मध्यप्रदेश, ओड़िशा, दिल्ली, राजस्थान, आंध्राप्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों की शराब दुकानों में हर ब्रांडेड कंपनी की अंग्रेजी शराब मिल जाती है। सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में उक्त ब्रांडेड शराब की बिक्री कमीशनखोरी के चक्कर में नहीं करवाई जा रही है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व गोवा की कुछ शराब निर्माता कंपनियां अपनी शराब खपवाने के एवज में आबकारी विभाग के वरिष्ठ अफसरों तथा जिला आबकारी अधिकारियों को भारी भरकम कमीशन, महंगे गिफ्ट, फॉरेन टूर के पैकेज देते हैं। इसी फेर में छत्तीसगढ़ की सरकारी विलायती शराब दुकानों में ब्रांडेड लिकर कंपनियों की शराब की आपूर्ति बंद कर दी गई है। बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर, कोंडागांव जिलों की शराब दुकानों के जरिए धड़ल्ले से लोकल ब्रांड की अंग्रेजी शराब खपाई जा रही है। लोकल शराब निर्माता कंपनियों से जिला आबकारी अधिकारियों को हर माह लाखों रुपए बतौर कमीशन मिल रहे हैं।