- मेडिकल कॉलेज के 45 छात्रों को अपात्र घोषित कर परीक्षा से कर दिया वंचित
- कम प्राप्तांक वाले छात्रों पर बरसाई विशेष कृपा
अर्जुन झा–
जगदलपुर स्व. बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल प्रशासन ने 45 मेडिकल स्टूडेंट्स के डॉक्टर बनने के सपने की भ्रूण हत्या कर दी है। थ्योरी और प्रेक्टिकल परीक्षाओं में उपस्थिति का हवाला देते हुए 45 छात्र – छात्राओं को एमबीबीएस तृतीय वर्ष भाग 1 की मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित कर दिया गया है, जबकि नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों का उल्लंघन करते हुए उन छात्रों से भी कम उपस्थिति वाले कई चहेते छात्र – छात्राओं को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी गई है। कॉलेज प्रशासन के इस दोहरे रवैए को लेकर परीक्षा से वंचित छात्र – छात्राओं में भारी नाराजगी है। पीड़ित स्टूडेंट्स ने मुख्य सतर्कता अधिकारी नई दिल्ली को दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ शिकायत भेजकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
स्व. बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज जगदलपुर को छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज होने का गौरव प्राप्त है, मगर कॉलेज प्रशासन इस गरिमा की मिट्टी पलीद करने पर आमादा है।आएदिन अनियमितता की खबरें कॉलेज से आती रहती हैं। अब एमबीबीएस तृतीय वर्ष के 45 छात्र- छात्राओं को अपात्र घोषित कर परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया गया है। कॉलेज के डीन और एचओडी पर आरोप है कि उन्होंने अपने लोगों को उपकृत करने कम प्राप्तांक वाले अपात्र छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है। इस बात से नाराज छात्र- छात्राओं ने नेशनल मेडिकल काउंसिल और केंद्र सरकार के मुख्य सतर्कता अधिकरी को मामले से जुड़े दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ शिकायत भेजकर प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से भी निवेदन किया गया है कि है प्रकरण की जांच पूरी होने तक एमबीबीएस तृतीय वर्ष की परीक्षा स्थगित रखी जाए। ऐसा न होने पर गलत तरीके से अपात्र घोषित किए गए 45 मेडिकल छात्र- छात्राओं का वर्ष खराब हो जाएगा। मेडिकल कॉलेज का नियम है कि परीक्षार्थी को पिछली परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक तथा 50 प्रतिशत उपस्थिति जरुरी है। इन दोनों में विफल छात्र- छात्राओं को अगली परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाती। इसके आधार पर ही एमबीबीएस तृतीय वर्ष के 45 छात्र- छात्राओं को परीक्षा से वंचित किया गया है, वहीं दूसरी ओर 20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है। इससे प्रदेश भर के छात्र-छात्राओं में जबरदस्त आक्रोश है। मेडिकल कालेज जगदलपुर के डीन द्वारा महाविद्यालय के 45 विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा एमबीबीएस तृतीय भाग 1 हेतु अपात्र घोषित कर आगामी 16 जनवरी की परीक्षा से वंचित कर दिया गया है। उक्त परीक्षा हेतु विद्यार्थियों के चयन में एनएमसी द्वारा निर्धारित नियमों की अनदेखी कर अपने कृपापात्र विद्यार्थियों को ही परीक्षा मे बैठने की अनुमति दी गई है। छात्रों ने कहा कि डीन यूएस पैकरा एवं कम्युनिटी मेडिसन के एचओडी केपी ब्रमहापुरकर को हटाकर मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए एवं जांच होने तक परीक्षा स्थगित रखी जाए। ताकि पात्र विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हो सकें।
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*इस तरह हुआ है घालमेल*
छात्रों ने निम्न बिंदुओं की जांच की मांग रखी है कि एनएमसी के नियमानुसार थ्योरी मे 75 प्रतिशत एवं प्रैक्टिकल मे 80 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। एमबीबीएस तृतीय वर्ष भाग 1 की उपस्थिति सूची के अनुसार क्रमांक 1, 2, 4, 8, 9, 12, 14, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 25, 31, 32, 37, 39, 40, 41, 42, 49, 52, 53, 56, 57, 62, 64, 67, 70, 71, 76, 80, 82, 83, 87, 95, 96, 97, 98,99, 101, 102, 106, 108, 110, 111, 114, 120, 121, 122, 124 वाले छात्र छात्राओं की उपस्थिति मानक से कम होने के बाद भी उन्हें परीक्षा में शामिल किया जा रहा है। यह भी बताया गया कि क्रमांक 76 पर अंकित छात्र पल्लव ओझा की थ्योरी में उपस्थिति केवल 57 प्रतिशत और क्रमांक 84 वाले छात्र आदित्य सिंह की प्रैक्टिकल मे उपस्थिति सिर्फ 62 प्रतिशत है, फिर भी उन्हें परीक्षा हेतु पात्र घोषित कर दिया गया है। जबकि अपात्र किए गए 45 विद्यार्थियों में से कई विद्यार्थियों की थ्योरी और प्रेक्टिकल में उपस्थिति पात्र विद्यार्थियों से अधिक है, फिर भी उन्हे अपात्र बताया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के नियमों और एनएमसी नार्म्स के अनुसार थ्योरी तथा प्रैक्टिकल का न्यूनतम अंक 50 प्रतिशत होना चाहिए एवं अलग- अलग न्यूनतम 40 प्रतिशत होना चाहिए। एमबीबीएस तृतीय भाग 1 के विद्यार्थियों की अंक तालिका प्रस्तुत कर स्पष्ट किया गया है कि पात्र विद्यार्थियों में से क्रमांक 9, 12, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 25, 31, 32, 33, 36, 39, 47, 49, 55, 57, 61, 62, 63, 67, 70, 71, 73, 74, 76, 79, 80, 81, 82, 83, 92, 95, 96, 99, 101, 102, 106, 108, 111, 121, 122 एवं 124 के अंक मानक से कम है। वहीं क्रमांक 62 पर अंकित छात्र मेहुल सुराना का थ्योरी में अंक केवल 27 व 26 है। इधर क्रमांक 36 के छात्र फिरोज खरे का प्रैक्टिकल में अंक केवल 20 है। फिर भी उन्हें पात्र घोषित किया गया है। जबकि अपात्र बताए गए विद्यार्थियों में अनेक के थ्योरी और प्रैक्टिकल में अंक इनसे ज्यादा हैं। फिर भी उन्हे अपात्र ठहरा दिया गया है। सूची प्रकाशन के बाद क्रमांक 114 की छात्रा तृप्ति देवांगन का नाम अपात्र सूची में क्रमांक 41 पर दर्ज है। उसे बाद मे पात्र बना दिया गया है। छात्रों का आरोप है कि कम्युनिटी मेडिसन के एनएमसी केपी ब्रमहापुरकर द्वारा किए गए इंटरनल अंक पूर्णतया पक्षपात पूर्ण है। विद्यार्थियों द्वारा अर्जित थ्योरी और प्रैक्टिकल अंक और इंटरनल अंक के आंकलन से इसे स्पष्ट समझा जा सकता है। ज्ञात हो कि केवल कम्युनिटी मेडिसन मे ही सभी विद्यार्थी अपात्र हैं, अन्य विषयों मे नहीं। इस संदर्भ में मेडिकल कॉलेज के डीन यूएस पैकरा से संपर्क करने का प्रयास किया गया, किंतु बात नहीं हो पाई।