- नगर के सैकड़ों स्कूली विद्यार्थी शामिल हुए रैली में
जगदलपुर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर शहर में स्कूली बच्चों ने विशाल रैली निकालकर नेताजी को याद किया। रैली में अधिकांश स्कूलों के विद्यार्थी शामिल हुए।
नेताजी अमर रहे, भारत माता कि जय, जब तक सूरज चांद रहेगा नेताजी का नाम रहेगा, वंदे मातरम् के नारों से शहर गुंजायमान होता रहा। इस दौरान आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि भारत की आजादी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। नेताजी ने तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जयहिंद का नारा दिया था। अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी -ने कई आंदोलन किए। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का प्रभावती देवी था। वह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे और पढ़ाई में तेज थे। उन्होंने इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से सिविल परीक्षा पास की।
लेकिन वर्ष 1921 में जब उन्होंने अंग्रेजों द्वारा भारत में किए जाने शोषण के बारे पढ़ा तो उसी वक्त भारत को आजाद कराने का प्रण ले लिया और इंग्लैंड में प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ अपने देश वापस आकर आजादी की मुहिम में जुट गए। माना जाता है कि जर्मन के तानाशाह अडोल्फ हिटलर ने ने सुभाष चंद बोस को पहली बार नेताजी कहकर बुलाया था। नेताजी के साथ ही सुभाष चंद्र बोस को देश नायक भी कहा जाता है। वर्ष 1919 में बोस ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास की, हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नेताजी को 1921 से 1941 के बीच 11 बार देश के अलग- अलग जेल में कैद रखा गया। सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में दो बार अध्यक्ष चुना गया था। जलियांवाला बाग हत्याकांड के हृदय विदारक दृश्य से सुभाष चंद्र बोस काफी विचलित हुए थे। इसके बाद ही वे भारत की आजादी के संग्राम से जुड़ गए थे। प्रतिवर्ष 23 जनवरी को उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाते हैं। इसकी शुरुआत 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। नेताजी का संपूर्ण जीवन हर भारतीय के लिए आदर्श है। उन्होंने आजाद भारत की मांग करते हुए आजाद हिंद फौज का गठन किया। उन्होंने आजाद हिंद बैंक भी स्थापित किया, जिसे 10 देशों का समर्थन मिला। उन्होंने भारत की आजादी की जंग विदेशों तक पहुंचा दी।