ये तो भर्राशाही और अफसरशाही की हद है

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  •  पदस्थापना वाली जगह से 130 दूर का दे दिया दायित्व
  • कोंटा ब्लॉक में शासन के आदेश की खुली अवहेलना
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर बस्तर संभाग के सुकमा जिला अंतर्गत विकासखंड कोंटा में समग्र शिक्षा रायपुर के आदेश की खुली अवहेलना की जा रही है। इसी कड़ी में सीएसी पद हेतु अपात्र लोगों को पात्र साबित करते हुए 120 से 130 किमी दूर के केंद्रों का दायित्व सौंपा गया है। कोंटा विकासखंड से सीएसी की जो सूची हमें मिली है, उसके अनुसार वर्तमान में बनाए गए सीएसी के नए दायित्व वाले केंद्र की उनकी मूल संस्था से दूरी को देखने से पता चलता है कि वहां किस कदर भर्राशाही और अफसरशाही चल रही है।
    सीएसी की जारी सूची के अनुसार डीपी देवांगन का मूल पदस्थापना संस्था माध्यमिक शाला किस्टाराम है।वे गोल्लपल्ली के सीएसी के रूप में कार्यरत हैं। प्राथमिक शाला जोनागुड़ा के शिक्षक शत्रुघन कोसमा को संकुल सीएसी सिलगेर बनाया गया है। नियमो के विपरीत इनकी मूल संस्था से इन केंद्रों की दूरी 120 से 130 किलोमीटर है। इसी तरह बी. उमा महेश्वर रेड्डी की मूल पदस्थापना संस्था प्राथमिक शाला केरलापेंद्रा है है और उन्हें सीएसी किस्टाराम का दायित्व दिया गया है।इनकी मूल संस्था से संकुल की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। जगमोहन की मूल पदस्थापना संस्था माध्यमिक शाला दोरनापाल है।

उन्हें संकुल सीएसी कोंटा -2 बनाया गया है। दोरनापाल से संकुल केंद्र की दूरी लगभग 42 मिलोमीटर है। यह भी नियमों के विपरीत है। इंजरम संकुल के सीएसी भानुप्रताप सिंह चौहान की मूल पदस्थापना संस्था माध्यमिक शाला वीरापुरम है। इनकी मूल संस्था से संकुल केंद्र की दूरी लगभग 90 मिलोमीटर है। घनश्याम सिंह चौहान की मूल संस्था पोटा केबिन चिंतागुफा है। उन्हें गोरखा संकुल का सीएसी बनाया गया है। गोरखा से मूल संस्था की दूरी लगभग 80 मिलोमीटर है। यह नियम के विपरीत है। शंकर मरकाम की मूल संस्था प्राथमिक शाला मंगलगुड़ा है और उन्हें संकुल सीएसी दुब्बाकोटा बनाया गया है। उनकी मूल संस्था से संकुल की दूरी लगभग 55 किमी है। एम. परमेश की मूल संस्था पोटा केबिन कोंटा है। उन्हें संकुल सीएसी दोरनापाल बनाया गया है। इन दोनों स्थानों की दूरी परस्पर लगभग 42 किलोमीटर है। कालिका प्रसाद सीएसी पेदाकुरती की मूल संस्था माध्यमिक शाला दुब्बाकोटा है। पेदाकुरती से दुब्बाकोटा की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है। यह पदांकन भी नियम के विपरीत है। सधुराम नाग की मूल संस्था प्राथमिक शाला पालामड़गू है और उन्हें सीएसी जगरगुड़ा बनाया गया है। शाला से संकुल की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। इन सबके बावजूद संकुलों के वर्तमान सीएसी नियमों के विपरीत अपने – अपने स्तर पर जुगाड़ लगाकर पद हासिल किए हुए हैं और कई सीएसी विगत 10 से 20 वर्षों से सीएसी पद पर कार्यरत हैं। यह भी भर्राशाही की एक मिसाल है।


मात्राओं का भी नहीं है ज्ञान
सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड में कई सीएसी तो ऐसे भी हैं, जिन्हे ईमला लिखने तक नहीं आता और मात्राओं का भी ज्ञान उन्हें नहीं है। ऐसे में उन्हें किस प्रकार से सीएसी के पद पर नियुक्ति मिल गई है, यह एक गंभीर विषय है। कुल मिलाकर कोंटा विकासखंड में सभी सीएसी की नियुक्ति शासन के नियमों के विपरीत हुई है। सूची के अध्ययन से साफ जाहिर हो जाता है कि सीएसी नियुक्ति में लेनदेन का बड़ा खेल हुआ है। इस मामले की जांच की मांग उठ रही है। अगर ईमानदारी से और निष्पक्ष जांच की गई तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे।