डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल उलनार में मनाई गई महर्षि दयानंद जयंती

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जगदलपुर डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल उलनार में महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई गई।
महर्षि दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के चिंतक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम मूलशंकर था। उन्होंने वेदों के प्रचार- प्रसार और श्रेष्ठ जीवन पद्धति की स्थापना के लिए आर्य समाज की स्थापना की। वेदों की ओर लौटो यह उनका ही दिया हुआ प्रमुख नारा था। उन्होंने कर्म सिद्धांत, पुनर्जन्म तथा सन्यास को अपने दर्शन के आधार स्तंभ बनाए। स्कूल में कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्य मनोज शंकर ने स्वामी दयानंद के छायाचित्र के समक्ष दीपप्रज्वलन एवं पूजा अर्चना कर की। स्वामी के जयकारे लगाए गए। प्राचार्य श्री शंकर ने अपने उदबोधन में कहा कि महर्षि दयानंद का समाज सुधार में व्यापक योगदान रहा। महर्षि दयानंद ने तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों, अंधविश्वासों और रूढियों- बुराइयों, जातिवाद, छुआछूत, बाल विवाह, बहुविवाह, सती प्रथा, मृतक श्राद्ध, पशु बलि, नर बलि, पर्दा प्रथा व देवदासी प्रथा का खंडन व विरोध किया। उनके ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश में समाज को आध्यात्म और आस्तिकता से परिचित कराया गया है। वे योगी थे तथा प्राणायाम पर उनका विशेष बल था। वे सामाजिक पुनर्गठन में सभी वर्णों तथा स्त्रियों की भागीदारी के पक्षधर थे। उनमें न केवल देशभक्ति की भावना दिखाई देती थी, बल्कि वे तो 1857 के स्वतंत्रा संग्राम में भाग लेने वाले अग्रिम लोगो में थे। सभी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने स्वामी जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने का निर्णय लिया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के किया गया।