बस्तर संभाग में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ करने की है दरकार

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  • चित्रकोट, तीरथगढ़ में सस्ते कॉटेज बनाने की जरूरत
  •  ग्रामीणों द्वारा संचालित होम स्टे पड़ रहे हैं भारी
  • पर्यटन मंडल के कॉटेज हैं महंगे, नहीं रुक पाते पर्यटक
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर बस्तर संभाग के पर्यटन स्थल बाहर से आने वाले सैलानियों को भारी पड़ रहे हैं। पर्यटन स्थलों में रुकने खाने की सुविधाen बड़ी महंगी हैं। आम पर्यटक यहां कुछ दिन बिताने का साहस नहीं जुटा पाते। लिहाजा पर्यटकों को बस्तर की ओर आकर्षित करने के लिए अभी शासन स्तर पर बहुत कुछ करने की दरकार है।
    बस्तर संभाग में पर्यटन और धार्मिक आस्था के लिहाज से अपार संभावनाएं हैं। यहां चित्रकोट वाटर फॉल, तीरथगढ़ वाटर फॉल, दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा, केशकाल घाटी, कोरली का इंद्रावती व्यू पॉइंट, विशाल गणेश प्रतिमा, सुकमा जिले का रामा राम मंदिर जैसे दर्जनों दर्शनीय स्थल हैं। इन स्थलों पर आम पर्यटकों के ठहरने के लिए सुविधापूर्ण और सस्ती आरामगाह नहीं है। चित्रकोट, तीरथगढ़ में पर्यटन मंडल के कॉटेज तथा स्थानीय ग्रामीणों द्वारा संचालित होम स्टे हैं, मगर ये इतने महंगे हैं कि आम सैलानी यहां ठहर ही नहीं सकते। कॉटेज और निजी होम स्टे का किराया बहुत ज्यादा है और वहां भोजन भी महंगा है। ऐसे में जिला पंचायत के माध्यम से हर दर्शनीय स्थल पर सुविधापूर्ण और सस्ते कॉटेज बनाए जाने की जरूरत है, ताकि इन स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आ सकें।

सस्ते सुलभ इंतजाम जरुरी
बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आम सैलानियों को सुविधा उपलब्ध कराना पहली आवश्यकता है। बस्तर के पर्यटन स्थलों में पर्यटकों के ठहरने और भोजन के लिए सस्ती और सुलभ व्यवस्था नहीं है। जो निजी व्यवस्थाएं हैं, वे काफी महंगी हैं। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के कॉटेज और ग्रामीणों द्वारा संचालित होम स्टे का किराया बहुत ज्यादा है। भारी भरकम किराया वहन कर पाना मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास के बूते की बात नहीं है। इस संदर्भ में जिला प्रशासन को सुझाव दिया गया है कि हर दर्शनीय स्थल पर कम से कम 10 -15 कमरों वाला विश्राम स्थल बनवाया जाए। वहां पार्किंग व्यवस्था भी हो। इन विश्राम स्थलों में सोलर एनर्जी का उपयोग कर बिजली की व्यवस्था की जा सकती है। सोलर एनर्जी से मोटर पंप चलाकर वहां जलापूर्ति भी की जा सकती है। ऐसा करके इन विश्राम स्थलों पर अतिरिक्त खर्च से बचा जा सकता है। सस्ता विश्राम बनाने से जहां आम लोगों को राहत मिलेगी, वहीं बस्तर के पर्यटन स्थलों तक ज्यादा से ज्यादा सैलानी पहुंच रात्रि विश्राम भी कर पाएंगे। बस्तर का पारंपरिक बाजार और व्यंजनों का कारोबार बढ़ेगा। परिवहन सुविधा का विस्तार होगा। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा तथा क्षेत्र विशेष की पारंपरिक वस्तुओं काष्ठ शिल्प, टेराकोटा शिल्प, बांस शिल्प की वस्तुओं की बिक्री भी बढ़ेगी। इन विश्रामस्थली का संचालन का दायित्व महिला स्व सहायता समूहों को दिया जा सकता है। इससे ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी।

युवाओं को मिलेगा रोजगार
सस्ते और सुलभ विश्रामस्थल बनने से बाहरी पर्यटक यहां ज्यादा दिन ठहर पाएंगे और बस्तर के ज्यादा से ज्यादा दर्शनीय स्थलों का आनंद उठा पाएंगे। युवकों को गाइड का काम मिलेगा। यहां के नए पर्यटन स्थलों की पूछ परख बढ़ेगी। जैसा ढोलकल के बाद अब लोग कोरली और तिरिया पहुंचने लगे हैं। नागरिकों का सुझाव है कि इस दिशा में जिला पंचायत को काम करना चाहिए।