कमीशनबाजी के चक्कर में पिट गए लोक निर्माण विभाग के अधिकारी अग्रवाल

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  • अवैध कमाई से लालम लाल हो चुके अधिकारी को ठेकेदार ने कर दिया लाल
  •  मांग पूरी न होने पर अफसर ने की थी काम में अड़ंगेबाजी
    अर्जुन झा-
    जगदलपुर बस्तर संभाग में लोक निर्माण विभाग अधिकारी कमीशन की अवैध कमाई के दम पर लालम लाल हो रहे हैं। कई अधिकारियों ने अकूत अवैध संपत्ति अर्जित कर ली है। उनके गृह नगरों, गांवों और अन्य शहरों में करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति है। अधिकारियों की नाजायज डिमांड से ठेकेदार त्रस्त हो चले हैं। कमीशन इतना ज्यादा मांगा जाता है कि ठेकेदार असहाय हो जाते हैं। लाखों रुपए लगाकर शुरू किए जा चुके सड़क निर्माण कार्य में विभाग के अफसर अड़ंगेबाजी करते हैं। ऐसे में ठेकेदारों का गुस्सा फूट पड़ना लाजिमी है। बस्तर संभाग के कांकेर में विभाग के अधिकारी के साथ हुई घटना को इसी गुस्से की परिणति माना जा रहा है।
    बस्तर संभाग के कांकेर जिले में पदस्थ लोक निर्माण विभाग के अधिकारी पवन कुमार अग्रवाल के साथ बीते दिनों मारपीट की घटना हुई, जो पूरे संभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है। पुलिस में दर्ज पवन कुमार अग्रवाल की रिपोर्ट के मुताबिक विभाग के ठेकेदार शैलेष शर्मा और कुछ अन्य लोगों ने पवन कुमार अग्रवाल के साथ मारपीट कर दी थी। कांकेर पुलिस ने शैलेष शर्मा और उनके साथियों के खिलाफ धारा 294, 323, 34 और 506 के तहत मामला पंजीबद्ध किया है। हालांकि ऐसी घटना निंदनीय है, लेकिन इस पूरे मामले के पीछे की जो कहानी सामने आई है, वह लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की अवैध तरीके से धन कमाने की लालसा को उजागर कर रही है। जानकार के सूत्र बताते हैं कि पवन कुमार अग्रवाल मूलतः अंबिकापुर निवासी हैं और उनका शुरू से ही विवादों से नाता रहा है। विभाग में कार्य करने वाले अन्य ठेकेदारों से भी उनका कई बार विवाद हो चुका है। सरकार में काबिज दल के नेताओं से मधुर संबंध बनाकर ठेकेदारों पर रौब गांठना, उनसे नाजायज मांग करना, स्वीकृत कार्यों की राशि में से भारी भरकम कमीशन की डिमांड करना उनकी फितरत बन गई है। जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, तब उन्होंने कांग्रेस से जुड़े एक स्वजातीय नेता से उनके मधुर संबंध जग जाहिर रहे। उस समय भी वे कांकेर में ही पदस्थ थे। चर्चा है कि कांग्रेस शासनकाल में श्री अग्रवाल अपने हितैषी कांग्रेस नेता के दम पर आएदिन विभागीय ठेकेदारों को प्रताड़ित किया करते थे। अब सरकार बदलने के बाद उन्होंने भाजपा के एक स्थानीय नेता को अपना हमदर्द बना लिया है और उनके भरोसे ठेकेदारों पर रौब गालिब करने लगे हैं। उनकी कमीशन की डिमांड काफी बढ़ गई है।. लागत राशि में 30 प्रतिशत तक कमीशन की मांग की जाने लगी है। मांग पूरी न करने वाले वे ठेकेदारों के स्वीकृत सड़क निर्माण कार्यों में तरह तरह के अड़ंगे लगा देते हैं। यहां तक कि गुपचुप तरीके से टेंडर निकाल कर दूसरे ठेकेदार को वही काम सौंप दिया जाता है। अग्रवाल के ऐसे व्यवहार से अब स्थानीय ठेकेदारों के सब्र का बांध टूटने लगा है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक पीडब्ल्यूडी अधिकारी पवन अग्रवाल से कथित तौर पर मारपीट करने वाले ठेकेदार शैलेष शर्मा को केशकाल से बांसकोट अमरावती रोड के 1 से 9 किमी तक के हिस्से का काम मिला हुआ है। यह कार्य 1 करोड़ 84 लाख रुपए का है। बताते हैं कि कार्य शुरू कराने से पहले ही अधिकारी ने ठेकेदार के सामने तीस लाख रुपए की डिमांड रख दी। ठेकेदार ने काम शुरू हो जाने और कुछ भुगतान मिल जाने के बाद ही राशि देने की बात कही, तो अधिकारी आग बबूला हो उठे और काम में अड़ंगेबाजी शुरू कर दी। चूंकि ठेकेदार सड़क के कार्य में काफी रकम लगा चुके थे और अधिकारी ने गुपचुप तरीके से दूसरे व्यक्ति को काम सौंप दिया। इससे मजबूर होकर ठेकेदार शैलेष शर्मा को ऐसा कदम उठाना पड़ा। ठेकेदारों और क्षेत्र के नागरिकों का कहना है कि शासन इस अधिकारी के तमाम कार्यों और उनके द्वारा अर्जित संपत्ति की मामले की जांच कराए और जिले के प्रबुद्ध लोगों से इस मामले में रायशुमारी करे। ठेकेदार भी निर्माण एजेंसी के प्रमुख सहयोगी होते हैं। अतः पूरे घटनाक्रम में गड़बड़ी को केवल कमीशनबाजी ही नहीं माना जा सकता। अधिकारी द्वारा उस ठेकेदार को दी गई मानसिक प्रताड़ना के बाद ही ऐसी घटना घटित हुई होगी। इस मामले में पीआर विभाग के अधिकारी का बयान आना बाकी है