- नक्सलियों के अमानवीय एवं आधारहीन विचारधारा से हुआ एर्रा का मोहभंग
- पूना नर्कोम अभियान से प्रभावित हो उठाया कदम
–अर्जुन झा–
जगदलपुर बस्तर संभाग के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति और सुकमा जिला पुलिस द्वारा पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के मार्गदर्शन में चलाई जा रही पूना नर्कोम मुहिम सचमुच में नक्सलियों और उनके परिवारों के लिए नई सुबह की उम्मीद भरी किरण और उनकी जिंदगी की नई शुरुआत करने वाली साबित हो रही है। शासन की नीति और पुलिस की मुहिम से प्रभावित होकर फिर सुकमा जिले के एक बड़े नक्सली लीडर ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इस नक्सली पर शासन ने आठ लाख रू का ईनाम घोषित कर रखा है। आत्मसमर्पित नक्सली नागेश उर्फ पेड़कम एर्रा को समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने में पुलिस की आसूचना शाखा (आईबी) की विशेष भूमिका रही है
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए नई नीति लागू कर रखी है। इसका व्यापक प्रभाव नक्सलियों और उनके मददगारों पर पड़ रहा है। नक्सली अब हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से तेजी से जुड़ने लगे हैं। वहीं सुकमा जिले में बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी., दंतेवाड़ा रेंज के डीआईजी कमलोचन कश्यप, सुकमा रेंज सीआरपीएफ के डीआईजी (ऑपरेशन) अरविंद राय के मार्गदर्शन एवं सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नक्सल ऑपरेशन सुकमा निखिल अशोक कुमार राखेचा के निर्देशन तथा उप पुलिस अधीक्षक बस्तर फाइटर उत्तम प्रताप सिंह के पर्यवेक्षण में छत्तीसगढ़ शासन की छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन नीति के तहत एवं सुकमा पुलिस द्वारा चलाए जा रहे पूना नर्कोम अभियान का व्यापक सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। पूना नर्कोम का अर्थ ही नई सुबह, नई शुरुआत है और वास्तव में यह अभियान नक्सलियों की जिंदगी में नई सुबह लाने वाला और नई शुरुआत करने वाला साबित हो रहा है। इससे प्रभावित होकर नक्सलियों के अमानवीय व आधारहीन विचारधारा एवं उनके शोषण, अत्याचार तथा बाहरी नक्सलियों द्वारा किए जाने वाले भेदभाव, स्थानीय आदिवासियों के साथ की जा रही निर्मम हिंसा व भयावह आतंरिक वातावरण से त्रस्त होकर प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के सक्रिय नक्सली भी आत्मसमर्पण करते जा रहे हैं। इसी क्रम में नागेश उर्फ पेड़कम एर्रा पिता स्व. एंका ने 26 फरवरी को सुकमा पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर एसपी किरण चौव्हाण, उप पुलिस अधीक्षक बस्तर फाइटर उत्तम प्रताप सिंह, एसडीओपी दोरनापाल निशांत पाठक और रक्षित निरीक्षक रवि उपाध्याय के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण कर दिया।नागेश नक्सली संगठन पीएलजीए की बटालियन -1 का कंपनी कमांडर बटालियन -2 का कमांडर था। नागेश पर शासन ने 8 लाख रू. का ईनाम घोषित कर रखा है। 38 वर्षीय नागेश सुकमा जिले के मंगलगुड़ा, थाना किस्टाराम थाना अंतर्गत मंगलगुड़ा का निवासी है। नागेश को राज्य शासन की छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन नीति के तहत सहायता राशि व अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
बीस साल से सक्रिय था नागेश
नागेश उर्फ पेड़कम एर्रा नक्सल गतिविधियों में बीस साल से सक्रिय था। वर्ष 2003 से 2004 तक वह पालाचलमा एलओएस सदस्य, वर्ष 2005 से 2008 तक पालाचमा एलजीएस सदस्य और कुख्यात नक्सली नेता स्व. रामन्ना का गार्ड भी रहा।वर्ष 2009 से 2011 तक नागेश बटालियन-1 कंपनी नम्बर -2 का सेक्शन कमांडर, 2012 में एक वर्ष तक बटालियन-2, प्लाटून-2 का डिप्टी कमांडर, वर्ष 2013 से 2014 माह अप्रैल तक कंपनी 2 का डिप्टी कमांडर, 2015 से 2019 तक पीएलजीए बटालियन-1, कम्पनी-2 का कमांडर पद पर था।
ताड़मेटला कांड में रहा है हाथ
नागेश सन 2004 में गोलापल्ली और मराईगुड़ा के बीच मुख्य मार्ग को 10-15 स्थानों पर खोदकर आवागमन में अवरोध पैदा करने की घटना में शामिल था। वह वर्ष 2010 में मुकरम और ताड़मेटला के बीच बीमार गुब्बल नामक टेकरी में एंबुश लगाकर फायरिंग करने की घटना में शामिल था। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए एवं 12 जवान घायल हो गए थे। सन 2011-12 में ग्राम तिम्मापुरम के जंगल में हुई पुलिस- नक्सली मुठभेड़ में भी नागेश शामिल था। इस मुठभेड़ में पुलिस के दो जवान शहीद तथा 8 पुलिस जवान घायल हुए थे। वर्ष 2013-14 में ग्राम टेटेमड़गू और पालोड़ी के बीच जंगल में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में वह शामिल था। वर्ष 2014 में ग्राम पिड़मेल और एंटापाड़ के बीच जंगल में पुलिस- नक्सली मुठभेड़ में शामिल था। इस मुठभेड़ में पुलिस के लगभग 6-7 जवान शहीद हुए थे। वर्ष 2015-16 में ग्राम पोटकपल्ली और डब्बामरका के बीच जंगल में पुलिस- नक्सली मुठभेड़ में भी नागेश शामिल था। इस मुठभेड़ में 14 जवान घायल हुए थे। सन 2017 में ग्राम कोत्ताचेरू और भेज्जी के बीच जंगल में पुलिस- नक्सली मुठभेड़ में नागेश शामिल रहा। इस मुठभेड़ में पुलिस के 12 जवान शहीद हुए थे और एवं 2 घायल हो गए थे। सन 2017 में ग्राम बुर्कापाल के पास जंगल में पुलिस- नक्सली मुठभेड़ में नागेश शामिल था। इस मुठभेड़ में पुलिस के 25 जवान शहीद हुए थे। उस समय पुलिस के लगभग 18 हथियार लूट लिए गए थे। वर्ष 2017 में ग्राम टोंडामरका पुलिस नक्सली मुठभेड़ में भी नागेश शामिल था। तब पुलिस के 8 जवान घायल हुए थे एवं हमारा एक नक्सली मारा गया था। सन 2018-19 में ग्राम दारेली और इत्तागुड़ा के बीच जंगल में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में भी नागेश शामिल था।