जिन्होंने बस्तर में कांग्रेस की कब्र खोदी, वही चले पार्टी का वफादार बनने

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  •  ईडी के रडार पर आए पूर्व मंत्री लखमा पुत्रमोह में पार्टी का बेड़ागर्क करने पर तुले
  • कांग्रेस का भट्ठा बिठाने वाले नेताओं की दिल्ली में लॉबिंग

अर्जुन झा

जगदलपुर कांग्रेस के गढ़ रहे बस्तर में जिन पार्टी नेताओं ने कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा है, वही अब खुद को पार्टी के प्रति वफादार दिखाने की कोशिश दिल्ली दरबार में कर रहे हैं। यह सारी नौटंकी सिर्फ बस्तर के कांग्रेस नेता कवासी लखमा के पुत्र हरीश कवासी को उच्च स्तर की राजनीति में लांच करने के लिए की जा रही है। दिल्ली गई कांग्रेस के जयचंदों की टोली में बस्तर के वही नेता शामिल हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग में कांग्रेस को करारी शिकस्त दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। अगर दिल्ली में इन नेताओं की चल गई, तो बस्तर संभाग की दोनों लोकसभा सीटों के साथ ही छत्तीसगढ़ की ज्यादातर सीटों पर आसन्न चुनाव में कांग्रेस को गर्त में जाने से कोई नहीं बचा पाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के खिलाफ मोर्चा खोलने के नाम पर लगता है पूरी कांग्रेस का छत्तीसगढ़ से बिस्तर गोल करने के लिए कुछ कांग्रेस नेताओं ने भाजपा से सुपारी ले रखी है। इनमें बस्तर संभाग के बुजुर्ग कांग्रेस नेता कवासी लखमा का नाम सबसे ऊपर है। कवासी लखमा के साथ बस्तर लोकसभा के दो दर्जन से अधिक नेताओं ने इन दिनों दिल्ली में डेरा डाल रखा है। सूत्र बताते हैं कि इन नेताओं ने कांग्रेस हाईकमान के सामने दीपक बैज को बस्तर लोकसभा सीट से पुनः प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध जताया है। टिकट वितरण से पहले ही कांग्रेस में अंतर्कलह शुरू हो गई है, जो पार्टी के लिए अच्छा संकेत बिल्कुल नहीं कहा जा सकता। कवासी लखमा अपने बेटे हरीश कवासी और समर्थकों के साथ दिल्ली पहुंचक रबस्तर लोकसभा सीट से दीपक बैज को टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में 195 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है।बीजेपी ने बगैर देर किए छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों के लिए भी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में अभी भी प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन का ही दौर चल रहा है। छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कंधों पर एकबार फिर लोकसभा चुनाव में सीटों का आंकड़ा बढ़ाने की बड़ी जवाबदारी आ गई है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के कुछ परिवारवादी नेता अपने ही प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। बताया जा रहा है कि बस्तर लोकसभा सीट से सांसद दीपक बैज को दोबारा टिकट दिए जाने का विरोध खुद उन्हीं की पार्टी के विधायक कवासी लखमा कर रहे हैं। दिल्ली जाने वाले नेताओं में विधायक कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी के साथ ही बीजापुर के विधायक विक्रम मांडवी, मिथलेश स्वर्णकार, बस्तर शहर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजीव शर्मा, बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल, कोंटा के पूर्व विधायक संतराम नेताम, चित्रकोट के पूर्व विधायक राजमन बेंजाम, कुछ ब्लॉक अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्यों समेत 25 लोग दिल्ली में डटे हुए हैं।

बस्तर में हार के यही जिम्मेदार

बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों की 4 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की करारी हार के लिए वही सारे नेता जिम्मेदार हैं, जो इन दिनों दिल्ली गए हुए हैं। ये नेता अब अपने तथाकथित मुखिया कवासी लखमा के साथ मिलकर बस्तर लोकसभा सीट से कवासी लखमा के बेटे हरीश कवासी के लिए कांग्रेस टिकट की मांग पार्टी नेतृत्व से कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग की जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंटा, कांकेर कोंडागांव, केशकाल सीटों पर कांग्रेस की हार में इन्हीं जयचंदों का हाथ रहा है, जो आज खुद को कांग्रेस का सबसे बड़ा झंडाबरदार बताते हुए दिल्ली में पार्टी हाईकमान के पास टिकट केइस मिन्नतें करने पहुंचे हैं। चित्रकोट सीट से कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी रहे दीपक बैज को हराने के लिए जयचंदों की यही टोली क्षेत्र में रात रातभर घूमकर मतदाताओं को बरगलाते रहे। गांव गांव में शराब, साड़ियां, पैसे बांटे गए। जगदलपुर से कांग्रेस प्रत्याशी जतिन जायसवाल और दंतेवाड़ा से कांग्रेस के दिवंगत नेता बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा के पुत्र दीपक कर्मा को हराने के लिए भी ऐसी ही साजिश की गई थी। नतीजा यह हुआ कि इन प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। दरअसल इन जयचंदों ने प्रत्याशियों को नहीं हराया, बल्कि कांग्रेस की ही कब्र खोद डाली है। अब यही जयचंद खुद को पाक साफ बताने दिल्ली में डटे हुए हैं।

  • ईडी से बचने ले रखी है सुपारी?

विदित हो कि परिवारवाद के आरोप से जूझ रही कांग्रेस के ये विघ्नसंतोषी नेता अब शराब घोटाले के आरोपी और ईडी के निशाने पर आए कवासी लखमा के साथ मिलकर पूरी पार्टी को बस्तर में खत्म करने पर आमादा हो गए हैं। इस पूर्व मंत्री की करतूत से पांच विधान सभा क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी पिछले चुनाव में हारी थी। वहीं अब लोकसभा के चुनाव में वे आरोपी नेता के पुत्र को टिकिट दिलवाने और पुनः पार्टी को हराने का षड्यंत्र कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो इस बार पिछली षड्यंत्र करने वाले कवासी लखमा , राजीव शर्मा, मिथलेश स्वर्णकार जैसे लोगों को कांग्रेस कार्यकर्ता सबक सिखाएंगे और कोई भी निष्ठावान कार्यकर्ता इस बार चुनाव में हिस्सा नहीं लेगा। छत्तीसगढ़ के बहु चर्चित शराब घोटाले को लेकर ईडी और सीबीआई फुल एक्शन में हैं। शराब घोटाले की जांच की आंच भूपेश बघेल सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा समेत कई बड़े नेताओं तक पहुंच चुकी है। सूत्रों का तो यह भी दावा है कि ईडी और सीबीआई की गिरफ्त में आने से बचने के लिए कवासी लखमा और अन्य नेताओं ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा से सुपारी ले रखी है। इसे लेकर भाजपा के कुछ बड़े नेताओं के साथ उनकी गुप्त बैठक होने की भी खबर है। यह सर्वविदित तथ्य है कि जिस हरीश कवासी के लिए कांग्रेस टिकट की मांग ये नेता कर रहे हैं, उस हरीश की जान पहचान पूरे सुकमा जिले में ही नहीं है, बस्तर संसदीय क्षेत्र में पहचान तो दूर की बात है।

किंगपिन तो कोई और है जनाब

विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि दीपक बैज को सक्रिय राजनीति से दूर रखने के लिए तभी से लगातार साजिशें रची जाने लगी हैं, जबसे कांग्रेस हाईकमान ने बैज को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया है। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा दीपक बैज को तवज्जो दी जाना भी छत्तीसगढ़ के कुछेक बड़े कांग्रेस नेताओं को नागवार गुजरती रही है। यही वजह है कि दीपक बैज इन तथाकथित नेताओं को कांटे की तरह चुभने लगे हैं। इसीलिए उन्हें राज्य की सक्रिय राजनीति से दूर करने के लिए तरह तरह के हठकंडे अपनाए जा रहे हैं। इन साजिशों का किंगपिन तो दरअसल रायपुर में बैठा है, जो अपने प्यादों के दम पर दीपक बैज को रास्ते से हटाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तत्पर हैं। इसी किंगपिन के इशारे पर विधानसभा चुनाव में बस्तर की ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को हरवा कर कांग्रेस हाईकमान तक यही मैसेज पहुंचाने की कोशिश की गई है कि जिस प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के गृह संभाग में कांग्रेस की ऐसी दुर्गति हुई है, वह पार्टी की बागडोर सफलता पूर्वक कैसे सम्हाल सकता है। मगर दीपक बैज ने अपनी कार्य कुशलता, मृदु व्यवहार और नेतृत्व क्षमता के दम पर पार्टी कार्यकर्ताओं को निराशा और हताश की गर्त में जाने नहीं दिया। आज कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ छत्तीसगढ़ में खड़ी है और लोकसभा चुनाव में बेहतर परफार्मेस दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार है।