कांग्रेस कार्यालय के लिए हड़पी सरकारी जमीन, दुकानें बनाकर अपने चहेतों को दे दी

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  •  सुकमा के कोंटा में पूर्व मंत्री पर बड़ा आरोप
  •  ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस की बदनामी
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर बस्तर संभाग के सुकमा जिले के निवासी पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने सत्ता और पद का दुरूपयोग कर कांग्रेस की बड़ी फजीहत करा दी है। कांग्रेस कार्यालय बनाने के नाम पर बेशकीमती सरकारी जमीन हड़पकर वहां दुकानें बना ली गईं। उन दुकानों को औने पौने दाम पर कांग्रेस नेताओं के हवाले कर दिया गया। ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त यह मामला सामने आने से कांग्रेस की जमकर किरकिरी हो रही है और इसका खामियाजा चुनाव में कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है।
    मामला बस्तर संभाग के सुकमा जिले की कोंटा नगर पंचायत का है। यह नगर विधानसभा क्षेत्र कोंटा का मुख्यालय भी है और सुकमा जिले का एकमात्र विधानसभा क्षेत्र है। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पूर्व मंत्री कवासी लखमा कई सालों से करते आ रहे हैं। बीते विधानसभा चुनाव में भी कवासी लखमा यहीं से विधायक चुने गए हैं, लेकिन बड़ी मुश्किल से। मामला यह कि कोंटा में आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के छात्रावास की सरकारी जमीन पर विधायक के सहयोग से कांग्रेस नेताओं ने कब्जा कर लिया। उसके बाद तबके मंत्री और वर्तमान विधायक द्वारा उपलब्ध कराए गए सरकारी धन से कांग्रेस का कार्यालय बनवा लिया। यही नहीं इस तथाकथित कार्यालय के सामने वाले हिस्से पर चार दुकानें भी बनवा ली गईं। दुकानों के निर्माण के लिए भी सरकारी धन का उपयोग किए जाने की खबर है। सूत्र बताते हैं कि हर दुकान के निर्माण में पांच लाख रुपए की लागत आई है, मगर इन दुकानों को मात्र 3- 3 लाख रुपए में बेच दिया गया। खरीदार कोई और नहीं, बल्कि मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक के चहेते कांग्रेस नेता और पार्षद ही हैं। इस तथाकथित कांग्रेस कार्यालय का उद्घाटन स्वयं कवासी लखमा ने किया था। कोंटा के आम कांग्रेस कार्यकर्ता और बेरोजगार आदिवासी युवक उन दुकानों को खरीदकर छोटा मोटा व्यवसाय करने की उम्मीद लगाए बैठे थे, मगर उन्हें और अन्य किसी को भी दुकानों के विक्रय की भनक तक नहीं लगने दी गई। इन युवकों और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि विधायक कवासी लखमा ने ही अपने चहेतों को दुकानों का आवंटन कराया है, वह भी महज तीन -तीन लाख रुपए में। ये दुकानें कांग्रेस नेता नूर अली, पार्षद अंबाटी देवी, पार्षद कट्टम सत्ती और जिला पंचायत उपाध्यक्ष बोड्डू राजा को बेची गईं हैं। इन कांग्रेस नेताओं से बतौर एडवांस महज 20-20 हजार रुपए जमा कराए गए और शेष रकम 15 दिनों में जमा करने कहा गया था। बताते हैं कि किसी आवंटी ने अभी तक पूरी रकम जमा नहीं कराई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और युवकों का कहना है कि दुकानों की कथित बोली गुपचुप तरीके से कराई गई और उस समय नगर पंचायत अध्यक्ष भी मौजूद थीं, मगर दो खरीदार पार्षदों को छोड़कर और कोई पार्षद उपस्थित नहीं था। इस तरह कवासी लखमा और कांग्रेस नेताओं ने बड़ा खेल कर दिया है।

    बेटियों की जमीन पर किया कब्जा !
    जिस जमीन पर कांग्रेस कार्यालय और शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाया गया है, वहां आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग का कन्या छात्रावास था। सालों से इस छात्रावास में रहकर कोंटा अंचल की आदिवासी बेटियां शिक्षा ग्रहण करती आ रहीं थीं। इस तरह तत्कालीन मंत्री और कांग्रेस नेताओं ने आदिवासी बेटियों की जमीन हथिया कर उनका हक छीन लिया। मंत्री जी के खौफ के कारण आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन इस अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई तो दूर की बात, मुंह खोलने का भी साहस नहीं जुटा पाए। आज भी प्रशासन इस अवैध कब्जे के खिलाफ कोई कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है।

    भवन में लगाया सरकारी धन
    चर्चा है कि कांग्रेस कार्यालय और कांग्रेस की दुकानें बनाने के लिए मंत्री ने पहले तो आदिवासी बेटियों के हिस्से की सरकारी जमीन हड़प ली, फिर भवन और दुकान निर्माण के लिए सरकारी धन का जमकर दुरूपयोग किया गया है। बताते हैं कि मंत्री ने इसके लिए विभिन्न मदों से सरकारी धन उपलब्ध कराया है। अगर मान भी लें कि कांग्रेस कार्यालय बनाने के लिए पार्टी फंड से राशि लगाई गई है, तो भी पार्टी फंड के दुरूपयोग का मामला तो बनता ही है। क्योंकि जिन दुकानों को बनाने के लिए पांच -पांच -लाख रुपए की लागत आई है, उन्हें तीन -तीन लाख रुपए में बेच जो दिया गया है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व को अपने ऐसे नेता पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। वैसे भी कोंटा के कांग्रेस कार्यकर्ता और आम युवक मामले की शिकायत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री एवं उच्च अधिकारियों से करने की तैयारी कर चुके हैं।

    कार्यकर्ता हताश और निराश
    देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और बस्तर में कांग्रेस नेताओं की आपसी रंजिश, टांग खिंचाई और मनमानी है कि थमने का नाम ही नहीं ले रही है। कवासी लखमा की कारगुजारी कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। बीते कुछ समय से वे जिस अंदाज में पार्टी विरोधी अभियान को अंजाम देते आ रहे हैं, उससे कांग्रेस की साख को बट्टा लग चुका है। आम मतदाता कांग्रेस से छिटकते जा रहे हैं। अपने बड़े नेता की इस कारगुजारी के कारण पार्टी के लिए समर्पण भाव से काम करने वाले मैदानी कार्यकर्ता हताशा और निराशा का शिकार होते जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं में नाराजगी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। हालत यहां तक पहुंच चुकी है कि पचासों कार्यकर्ता पार्टी छोड़ने का मन बना चुके हैं। इन तमाम कार्यकर्ताओं का कहना है कि आबकारी घोटाले में फंसे कवासी लखमा का राजनैतिक अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, इसलिए वे अपने पुत्र को लांच करने के लिए कांग्रेस का बेड़ागर्क करने पर तुल गए हैं। इन कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी से अपना घर (कोंटा क्षेत्र) तो सम्हाले नहीं सम्हल रहा है और चले हैं बस्तर लोकसभा क्षेत्र को सम्हालने का दंभ भरने।