बस्तर विधानसभा क्षेत्र में कार्यरत खंड शिक्षा अधिकारी सहित 16 शिक्षको और बाबुओं का स्थान्तरण जिला शिक्षा अधिकारी जगदलपुर के द्वार आचार संहिता के पूर्व प्रशासनिक आधार पर किया गया था। प्राप्त सूत्रों के अनुसार इनमे ऐसे शिक्षक शामिल है, जिनका
अध्यापन कार्य से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है,
ये कभी सी. ए. सी. कभी छात्रवित्तीय प्रभारी, कभी बाबू तो कभी कार्यालय में नोडल अधिकारी बन कर बैठे रहे और इन्होंने कई वर्षो से चॉक तक नहीं पकड़ा और ट्रांसफर होने पर अब इन्हें बच्चों के पढ़ाई और परीक्षा की चिंता सताने लगी है पूर्वार्ति कांग्रेस सरकार मे ऊंची पहुंच के कारण कई बार शिकायत होने के बावजूद भी पद पर बने रहे, जिन बाबुओं का स्थानांतरण हुआ है उनके खिलाफ भी लगातार छोटे-छोटे कार्य जैसे मातृत्व अवकाश स्वीकृत और अन्य कार्य भी बिना लेनदेन के नही होती थी।
जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने प्रशासनिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए इन सभी का स्थांतरण किया है।
ताकी ये चुनाव को प्रभावित न कर सके और लोकसभा चुनाव निष्पक्ष हो सके।
डी.ई.ओ.ऑफिस से जुड़े सूत्रों का दावा है की अभी और भी ऐसी ही कार्यवाही होनी शेष है।
दूसरी ओर कांग्रेस से जुड़े एक गुट का दावा है की कांग्रेस कार्यकाल में शिक्षको के ट्रांसफर मामले में इन्ही लोगो ने सैंकड़ो शिक्षको को अपना निशाना बनाकर उनसे ट्रांसफर के नाम पर कई लाख रुपए भी हड़प लिए थे मांगने पर पूर्व कांग्रेस मंत्री और पूर्व विधायक का डर दिखाकर उनका राशि को हजम कर लिया गया था, अब मिली जानकारी के अनुसार बस्तानार, तोकापाल विकासखंड के ऐसे ही कामचोर शिक्षको की लिस्ट सामने आ शक्ति है जो पिछले पांच वर्ष ऐसी ही हरकत में अपना पेशा से दूरी बनाकर केवल वसूली कार्य मे लिप्त थे।
देर ही सही बीजेपी सरकार के आते ही प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय होकर शिक्षा का अलख जगाने में लग गए है। प्रभारी डीईओ की इस सर्जरी की काफी लोगो ने सराहना की है