बस्तर में कांग्रेस के खात्मे के लिए रची जा रही है कदम दर कदम साजिश

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  •  किंगपिन, मौनी बाबा और कथित निष्ठावान कांग्रेस नेता निभा रहे हैं सुपारी किलर की भूमिका

अर्जुन झा

जगदलपुर कांग्रेस और भाजपा की राजनीति को लेकर इन दिनों जगदलपुर में अजीबो गरीब स्थिति देखने में आ रही है। एक तथाकथित कट्टर कांग्रेसी और कांग्रेस के एक मौनी बाबा चर्चा के केंद्र बिंदु बने हुए हैं। बस्तर में कांग्रेस का बेड़ागर्क करने में इन दोनों नेताओं ने विभीषण और जयचंद की भूमिका निभाई है। ये दोनों मौका परस्त कांग्रेसी नेता छत्तीसगढ़ के एक बड़े कांग्रेसी चेहरे के खासम खास माने जाते हैं।

अकेले संभाग मुख्यालय जगदलपुर ही नहीं, बल्कि समूचे बस्तर संभाग में विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण से लेकर लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण तक जो भी घटनाक्रम हुए हैं, वे बताते हैं कि इन दोनों नेताओं ने अपने आका के इशारे पर बस्तर में कांग्रेस के खात्मे के लिए सुपारी ले रखी है। पहले विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में फर्जी आंतरिक सर्वें कराकर स्टैंडिंग विधायकों के बारे में गलत रिपोर्ट हाई कमान तक भेज दी गई। जबकि ये विधायक पूरी तरह फिर से न सिर्फ चुनाव जीतने में बल्कि अच्छी खासी बढ़त हासिल करने में सक्षम थे। लेकिन फर्जी आंतरिक सर्वें की आड़ लेकर जिताऊ स्टैंडिंग एमएलए को टिकट से वंचित करवा दिया गया। इसका सबसे बड़े उदाहरण जगदलपुर के पूर्व विधायक रेखचंद जैन हैं, जो टिकट मिलने पर निश्चित रूप से पुनः विधायक चुन लिए जाते। इसके बाद विधानसभा चुनाव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज समेत उनके करीबी सभी प्रत्याशियों को हराने के लिए किंगपिन और उनके दोनों जमूरों तथा किंगपिन के करीबी बस्तर संभाग के ही एक मंत्री ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। नतीजतन कांग्रेस के गढ़ बस्तर में कांग्रेस की बड़ी दुर्गति हो गई। इसके बाद बारी आती है

लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण की। यहां भी इस तिकड़ी ने पिसीसी चीफ के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी। ये लोग छत्तीसगढ़ी कहावत के अनुसार बासी पेज धरके दिल्ली दरबार तक दौड़ लगाई। पूर्व मंत्री के बेटे को लांच करवाने के लिए पूरी ताकत लगा दी गई थी। परिवार वाद के आरोपों से घिरी कांग्रेस ने बेटे को तो टिकट नहीं दिया अलबत्ता मौजूद विधायक पिता को मैदान पर उतार दिया। जबकि मंत्री रहे पिता गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैं और शराब घोटाले में वे ईडी एवं सीबीआई के रडार पर हैं। ऐसे में बस्तर लोकसभा सीट के चुनाव में कांग्रेस का क्या हाल होगा, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। अब बारी आती है जगदलपुर नगर निगम की बड़ी हस्तियों के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले जाने की। मेयर सफीरा साहू, वरिष्ठ कांग्रेस नेता यशवर्धन राव और दो पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इसे भी किंगपिन और उनके दो सुपारी किलर नेताओं की साजिश के रूप में देखा जा रहा है। इस तरह बस्तर में कांग्रेस का भट्ठा बिठाने का काम सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है। इसके पीछे सिर्फ एक ही मंशा झलकती है कि कैसे भी करके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को कांग्रेस नेतृत्व की नजरों में गिराया जाए।

दोनों तरफ लगी है आग

महापौर सफीरा साहू के बीजेपी में प्रवेश लिए जाने या सोची समझी चाल के तहत भेजे जाने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के लोग भ्रमित हैं। कांग्रेसी यह सोच सोचकर परेशान हैं कि आखिर किस तथाकथित निष्ठावान कांग्रेसी के इशारे पर बीजेपी नेताओं ने सफीरा साहू को पार्टी में प्रवेश देकर अपना नूर बना लिया है? वहीं भाजपा के निष्ठावान नेता कार्यकर्ता यह सोचकर पागल हुए जा रहे हैं कि बीजेपी के किस नेता को परेशानी थी कि उसने ऐसा कदम ठीक लोकसभा चुनाव से पूर्व उठाकर कांग्रेस को झटके देने के बजाय बीजेपी को झटके सहने पर मजबूर कर दिया है। सफीरा साहू के साथ बीजेपी में गए यशवर्धन राव नगर निगम में तालमेल बनाकर चलने वाले नेता माने जाते हैं। आखिरकार वे भी कांग्रेस में ही रहकर अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने के बजाय क्या तथाकथित निष्ठावान नेता की सलाह पर अपनी ही कारगुजारी को अपने साथी कांग्रेसियों के माध्यम से उजागर करवाने पर तुले हैं? निगम में एक महिला को डरा दबाकर और दूसरे को उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण महापौर बनाने में कांग्रेस के मौनी बाबा का बड़ा हाथ रहा है जो पूरे पांच साल तक एड़ा बनकर पेड़ा खाता रहा। वहीं दो कांग्रेसियों ने अपने किंगपिन की सलाह पर निगम को जमकर लूटा और कुछ हिस्सा किंगपिन को भी भेजकर अपनी मनमानी कांग्रेस और नगर निगम में करते रहे। इनका जलवा ए जलाल ऐसा था कि उन्होंने स्थनीय विधायक को भी कांग्रेस के आश्रम से बेदखल करा दिया। इन दोनों कथित निष्ठावान कांग्रेसियों के जलवा ओ जलाल के सामने सब चुप रहते थे। आज वे ही बीजेपी के सुपारी किलर बनकर कांग्रेस को खत्म करने तुल गए हैं। कल कांग्रेस भवन के सामने हुआ धरना प्रदर्शन को मौनी बाबा बने कांग्रेसी और तथाकथित निष्ठावान कांग्रेसी की ही चाल का हिस्सा माना जा है। दोनों ओर से उनके ही लोग बीजेपी के साथ होकर जांच करो और कराओ की मांग कर रहे थे।