काम कैसा भी कराओ चलेगा, मगर कमीशन जरूर दो : एसडीओ का जलवा

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  • 300 करोड़ का काम मिलने से पीडब्ल्यूडी अफसर की हो गई है बल्ले बल्ले
  • भानुप्रतापपुर सब डिवीजन के एसडीओ हो गए मालामाल

भानुप्रतापपुर /जगदलपुर एक लोकप्रिय पुराना फिल्मी गाना है – मुझे खुशी मिली इतनी कि दिल में न समाए, पलक बंद कर लूं, कहीं छलक न जाए। वैसे तो यह गीत प्रेमी प्रेमिका पर आधारित है, मगर यह लोक निर्माण विभाग के भानुप्रतापपुर सब डिवीजन में पदस्थ एसडीओ पर बिल्कुल फिट बैठता है। इन साहब के लिए सरकारी दौलत ही उनकी असली मेहबूबा है। अब उन्हें 300 करोड़ के कार्य कराने की जिम्मेदारी मिल गई है, तो कमाई के चक्कर में वे बावले हो गए हैं और कमीशन के लिए विभागीय मापदंडों की सीमा रेखा को भी लांघ रहे हैं।

बीस साल तक लोक निर्माण विभाग में सब इंजीनियर के तौर पर पदस्थ रहे यह एसडीओ कई कारगुजारियों को अंजाम दे चुके हैं। इस वजह से वे सस्पेंड भी कर दिए गए थे। बताते हैं कि ये इंजीनियर साहब एक बुरी लत के भी शिकार हैं और जब यह लत उनके सिर पर चढ़कर बोलने लगती है, तब वे अपनी करतूत को खुद उगलने लग जाते हैं। ऐसी हालत में वे अपने हम प्याला मित्रों के सामने कई बार कह चुके हैं कि यार अपने पास अब पैसा बहुत हो गया है, अब मुझे काम से ज्यादा इन पैसों को सम्हालने की जरूरत है। अब 300 करोड़ का काम क्या मिल गया है, एसडीओ साहब की तो बल्ले बल्ले हो गई है। वे खुलकर कहने लगे हैं कि काम कैसा भी कराओ चलेगा, मुझे तो बस कमीशन चाहिए। लोक निर्माण विभाग के भानुप्रतापपुर सब डिवीजन में पदस्थ इस अनुविभागीय अधिकारी को करीब 300 करोड़ रुपए की लागत वाले सड़क निर्माण व अन्य कार्यों की जिम्मेदारी मिल गई है। इससे एसडीओ साहब की बांछें खिल गई हैं। वर्षों बाद कमाई का जरिया मिल जाने से उनकी खुशी का कोई पारावार नहीं रह गया है। सरकारी धन लूटने के चक्कर में वे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को भी पूरी तरह नजरअंदाज करने पर तुल गए हैं। इतनी बड़ी रकम से कई सड़क निर्माण कार्य इस एसडीओ के माध्यम से कराए जा रहे हैं। इस एसडीओ को पिछले कई वर्षों से लोक निर्माण विभाग के बड़े अधिकारी द्वारा लूप लाइन में डाल दिया गया था। बिल्ली के भाग्य से सींका टूटा और इस एसडीओ के भाग्य जाग गए। राज्य में सरकार बदलते ही उन्हें लूप लाईन से निकाल कर मेन लाईन में ला दिया गया है। बताते हैं कि एकसाथ इतने सारे काम की जिम्मेदारी मिलते ही कमीशनखोरी के फेर में यह एसडीओ सुर्खियों में हैं।विभागीय ठेकेदारों से अनबन भी शुरू हो गई है। वे काम कराने वालों खुलकर दबाव डालने लगे हैं कि मुझे इतना कमीशन चाहिए मतलब चाहिए। बाकी तुम कुछ भी करो, काम कैसा भी कराओ, मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। एसडीओ गुणवत्ता विहीन कार्य करा रहे हैं।

सच आ ही जाता है सामने

आदमी अपनी करतूत को छुपाने के लिए कितना भी जतन कर ले, लेकिन जब दो चार घूंट गले से नीचे उतर जाते हैं तब व्यक्ति सच्चाई खुद ब खुद उगलने लग जाता है। ऐसा ही कुछ इन एसडीओ साहब के साथ भी हो रहा है। बताते हैं कि इन जनाब को सरकारी दौलत से जितनी मोहब्बत है, उतना ही प्यार वे सुरा सुंदरी से भी करते हैं। वे अक्सर अपने खास दोस्तों के साथ मिलकर महफिल सजाते और जाम छलकाते हैं। जब अंगूरी रानी इन साहब पर सवार हो जाती है तब वे अब वे अपनी कमाई और उसका जरिया खुद बताने लग जाते हैं। ये अधिकारी नशे की हालत में अपने निकटतम मित्रों से अक्सर कहा करते हैं कि यार मेरे पास पैसा बहुत हो गया है। अब मुझे नौकरी से ज्यादा इन पैसों को सम्हालने की लगी रहती है। मतबल साहब ने अपार संपत्ति अर्जित कर ली है। उनकी इस करतूत से राज्य की भाजपा सरकार की भी बदनामी हो रही है। कहा जा रहा है कि ईओडब्ल्यू वाले किसी भी दिन इस जनाब की गर्दन पकड़ सकते हैं।