कांग्रेसमय हो रहा बस्तर संभाग, भाजपाई व कम्युनिस्ट थाम रहे हैं ‘हाथ

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  • कभी कम्युनिस्टों का गढ़ रहा है बस्तर डिवीजन, हो गया सफाया
  • भारतीय जनता पार्टी का भी निकलने लगा है यहां दीवाला

(अर्जुन झा)

जगदलपुर बस्तर संभाग लगातार कांग्रेसमय होता जा रहा है। दूसरे दलों के कार्यकर्ता और समर्थक मतदाता भी तेजी से कांग्रेस का ‘हाथ’ थामने लगे हैं। बस्तर से कम्युनिस्ट पार्टी का करीब – करीब सफाया हो चुका है, वहीं भाजपा का भी दीवाला निकलने लगा है। एक दौर था, जब बस्तर संभाग में कम्युनिस्ट पार्टी की तूती बोलती थी। यहां के अनेक विधानसभा सीटों से कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी विधायक चुने जाते थे। बस्तर के गांव – गांव में कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक बड़ी संख्या में हुआ करते थे। यही वजह रही कि हर चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवारों को थोक में वोट मिला करते थे। कांग्रेस को इक्का दुक्का सीटें ही मिल पाती थीं। तब चुनावी मुकाबले कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के बीच ही हुआ करते थे। बाद में यहां कांग्रेस का जनाधार बढ़ा और अधिकांश सीटों पर कांग्रेस फतह हासिल करने लगी। इसी के साथ कम्युनिस्ट पार्टी के पतन का दौर शुरू हो गया। भारतीय जनता पार्टी के अभ्युदय के बाद इस पार्टी ने भी बस्तर में धीरे धीरे पांव जमाने शुरू कर दिए और एक मौका ऐसा भी आया, जब पूरे बस्तर में अपना परचम लहराने में भाजपा कामयाब हो गई। कांग्रेस लगभग हासिये पर चली गई। छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद बस्तर संभाग में भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई। बस्तर के सभी जिलों में कार्यकर्त्ताओं की बड़ी फौज बनाने में भाजपा सफल हो गई। छत्तीसगढ़ राज्य को पहला मुख्यमंत्री कांग्रेस से ही मिला था, बावजूद कांग्रेस का जनाधार बस्तर में अपेक्षा के अनुरूप नहीं बढ़ पाया। उसके बाद भाजपा दो दशक तक छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज रही, लेकिन तीसरी पारी वह खेल नहीं पाई। उसे बस्तर की एक भी विधानसभा सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी। सभी ग्यारह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर ली। भाजपा हाथ मलती रह गई। भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद बस्तर की सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की पकड़ लगातार मजबूत होने लगी है। बस्तर के सांसद दीपक बैज, कोंटा के विधायक तथा भूपेश बघेल सरकार में आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा, जगदलपुर के विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन, बस्तर के विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, नारायणपुर के विधायक हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप, चित्रकोट के विधायक राजमन बेंजाम, शहर जिला कांग्रेस कमेटी बस्तर के अध्यक्ष राजीव शर्मा आदि कांग्रेस नेता पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से जुट गए। यहां सांसद दीपक बैज, संसदीय सचिव रेखचंद जैन और विधायक लखेश्वर बघेल की विशेष सक्रियता की दाद देनी होगी, जिन्होंने भाजपाई किले को दहाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। सांसद श्री बैज, संसदीय सचिव श्री जैन व विधायक श्री बघेल गृहनगर में रहने के दौरान एक दिन भी जाया किए बिना अपने निर्वाचन क्षेत्रों के दौरे पर रहते हैं। ये तीनों जनप्रतिनिधि दलगत भावना से ऊपर उठकर ग्रामीणों को शासन की योजनाओं, अनुदान आदि से लाभान्वित करने और गांवों में बिजली, पानी, सड़क, नाली, जैसी बुनियादी सुविधाएं कराने के के लिए जुटे रहते हैं। यही वजह है कि ये तीनों ही जनप्रतिनिधि लोगों के दिलों पर राज करने लगे हैं। उनके निस्वार्थ और निष्काम सेवा से प्रभावित होकर ग्रामीणों का झुकाव कांग्रेस की ओर तेजी से बढ़ा है। आम ग्रामीणों के साथ ही भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक एवं कार्यकर्त्ता भी कांग्रेस का दामन थामने लगे हैं। लोगों के कांग्रेस प्रवेश की खबरें आएदिन मिलती रहती हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नीतियों और विधायक लखेश्वर बघेल की कार्यशैली से प्रभावित होकर कुछ दिनों पहले भाजपाई गांव बड़े जीराखाल के 170 ग्रामीणों ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। बड़े जीराखाल बस्तर विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर पर बसा हुआ है और गांव की लगभग पूरी आबादी भाजपा की झंडाबरदार रही है। अब वहां भाजपा का झंडा उठाने वाला भी कोई नहीं रह गया है। इसी तरह दो दिन पहले ही अति संवेदनशील माने जाने वाले वनांचल के कोलेंग गांव निवासी दर्जनों ग्रामीणों ने कांग्रेस प्रवेश किया था। सांसद दीपक बैज और संसदीय सचिव रेखचंद जैन की उपस्थिति में कांग्रेस से जुड़ने वाले ग्रामीणों में कई तो भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्त्ता भी रहे हैं।

संसद और गांवों में दिखती है बैज की सक्रियता

संसद के हर सत्र में बस्तर लोकसभा सीट के सांसद दीपक बैज की उपस्थिति जरूर रहती है। संसद में बैज सदैव सक्रिय नजर आते हैं। वे बस्तर संभाग में विमानसेवा के विस्तार, जगदलपुर रेलवे स्टेशन में वाशिंग लाईन निर्माण, नेशनल हाईवे के उन्नयन, संभाग के धुर नक्सल प्रभावित एवं दुर्गम क्षेत्रों की ग्रामीण सड़कों, स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे से जोड़ने, आरक्षण व अन्य शासकीय सुविधाओं व योजनाओं के लाभ से वंचित छत्तीसगढ़ के महरा, महारा जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने जैसे मुद्दे संसद में उठा चुके हैं। श्री बैज द्वारा उठाए गए ज्यादातर मुद्दों को केंद्र सरकार से सहमति भी मिल चुकी है। सड़कों का काम शुरू हो चुका है और महरा, माहरा जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके साथ ही सांसद श्री बैज अपने निर्वाचन क्षेत्र के गांवों के दौरे पर भी सतत रहते हैं। उनकी इस सक्रियता का लाभ कांग्रेस को मिल रहा है। उनकी पहल से प्रभावित होकर ग्रामीण कांग्रेस से जुड़ रहे हैं।

सबके सुख – दुख के साथी हैं विधायक रेखचंद

जगदलपुर के विधायक तथा नगरीय प्रशासन एवं श्रम विभाग के संसदीय सचिव रेखचंद जैन को उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग अपने सुख दुख का साथी मानते हैं। मानें भी क्यों न! जैन सुख के काम में भले ही न जाएं, लेकिन अपने विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों के समक्ष आई दुख की घड़ी में वे लोगों के आंसू पोंछते जरूर नजर आ जाते हैं। क्षेत्र के हर दुखी और संकटग्रस्त परिवार को मुख्यमंत्री से विशेष आग्रह कर आर्थिक सहायता पहुंचाने की पहल करते हैं। आर्थिक तंगी के चलते किसी युवा को उच्च शिक्षा से वंचित न रहना पड़े, किसी गरीब को ईलाज के लिए जमीन, जेवर न बेचना पड़े इस बात का रेखचंद जैन विशेष ध्यान रखते हैं। अब तक जैन ईलाज, उच्च शिक्षा, स्वरोजगार आदि के लिए सैकड़ों लोगों को शासन से अनुदान राशि दिला चुके हैं। इसी तरह प्राकृतिक आपदाओं में मृत पचासों त लोगों के परिजनों को भी मुख्यमंत्री की स्वेच्छानुदान निधि से लाखों रु. की मदद पहुंचा चुके हैं। संसदीय सचिव रेखचंद जैन की एक पहल को तो शायद कभी भुलाया ही न जा सकेगा। बात पिछली दिवाली के मौके की है, जब जैन ने कोरोना के चलते बेसहारा हो चुके बच्चों के संग त्यौहार मनाया था। जैन ने इन बच्चों की नीरस और बेरंग हो चुकी दुनिया में खुशियों के रंग बिखेर दिए थे। जैन की दिल को छू लेने वाली ऐसी पहल के कारण ही क्षेत्र के लोगों का झुकाव कांग्रेस की ओर तेजी से बढ़ रहा है। जैन की पहल पर अब तक सैकड़ों लोग कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।