नक्सल हिंसा प्रभावित परिवारों के पुर्नवासमें फिसड्डी साबित हो रहा है बस्तर संभाग

0
40
  •  1640 मामलों में महज 617 को ही मिल पाई है सरकारी नौकरी
  • सर्वाधिक 583 मामले बीजापुर जिले के हैं
  • अनुकंपा नियुक्ति के लिए विशेष शिविरों का आयोजन

अर्जुन झा

जगदलपुर राज्य सरकार नक्सली हिंसा से प्रभावित परिवारों और नक्सल गतिविधियों में लिप्त लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष पुनर्वास कार्यक्रम चला रही है, मगर सर्वाधिक नक्सल हिंसाग्रस्त बस्तर संभाग में इस कार्यक्रम की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। पुनर्वास नीति के तहत बीते 20 सालों के दौरान महज 617 मामलों में ही पीड़ित पक्ष के लोगों को सरकारी नौकरी मिल पाई है। जबकि बस्तर संभाग के सभी सात जिलों में इस तरह के कुल 1640 प्रकरण हैं।

राज्य सरकार की पुनर्वास नीति का ही असर है कि बस्तर संभाग में बड़े पैमाने पर नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं और नक्सलवाद की कमर टूट रही है।वहीं संभाग में सैकड़ों लोग नक्सली हिंसा में मारे जा चुके हैं, घर से बेघर हो गए हैं। पुनर्वासनीति के तहत आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी देने संबंधी संभाग में कुल पुराने 1640 प्रकरण हैं। इनमें से 617 प्रकारणों में सरकारी नौकरियां दी जा सकी हैं। अगर पुनर्वास नीति पर अमल में प्रशासन तंत्र ऐसा ही ढीला रवैया अपनाता रहा, तो नक्सल समस्या के उन्मूलन में बाधा आ सकती है। बस्तर संभाग के कमिश्नर श्याम धावड़े ने यहां आयोजित समीक्षा बैठक में पुनर्वास, अनुकंपा नियुक्ति समेत तमाम मुद्दों की समीक्षा की। श्री धावड़े ने कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति संबंधी प्रकरणों के निराकरण में संवेदनशीलता के साथ पक्षकारों की समस्याओं को प्राथमिकता देें। इसके लिए कार्यालय प्रमुखों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के मामलों को जिला स्तरीय समिति के द्वारा अनुमोदित कर शासन के नियमानुसार नियुक्ति की कार्यवाही कर 10 जून तक सभी प्रकरणों का शत- प्रतिशत निराकरण के निर्देश दिए। साथ ही अधिसूचित क्षेत्रों में शासकीय सेवकों के निधन से उसके परिवार के आश्रित सदस्य को विभाग में तृतीय श्रेणी के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति हेतु निर्धारित 10 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाकर 25 प्रतिशत सीमा के पद पर आरक्षित करने के शासन के निर्देशानुसार पहल करने को कहा। कमिश्नर ने कहा कि वर्तमान में आचार संहिता प्रभावशील है इस बीच अनुकम्पा नियुक्ति संबंधी सभी कागजी कार्यवाही पूर्ण कर ली जाए। अनुकंपा नियुक्ति के लिए शासन ने प्राथमिकता से प्रकरणों के लिए निराकरण हेतु विशेष निर्देश दिए हैं। इसके लिए जिला स्तर पर समय-सीमा की बैठक में लगातार समीक्षा किया जाए। साथ ही तृतीय, चतुर्थ श्रेणी पर अनुकंपा नियुक्ति की कार्यवाही जिला स्तर पर की जानी है। उन्होंने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए जिलों में विशेष शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए, जिसमें सभी विभाग के द्वारा अनुकंपा के प्रकरणों से संबंधित आवश्यक दस्तावेजों की जांच कर आवश्यकता वाले दस्तावेजों को शिविर स्थल पर ही बनवाने की कार्यवाही करते हुए प्रकरणों का निराकरण करें।

तृतीय श्रेणी के 14357 पद रिक्त

कमिश्नर ने बताया कि संभाग स्तर पर तृतीय श्रेणी के 48,487 स्वीकृत पदों में से 14,357 रिक्त हैं। इसमें स्वीकृत पदों के आधार पर तृतीय श्रेणी में 25 प्रतिशत पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति कार्यवाही की जा सकती है।जबकि चतुर्थ श्रेणीं के 12,535 स्वीकृत पद में से 3272 पद रिक्त हैं। सभी जिलों में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु नोडल अधिकारी अपर कलेक्टर को बनाया गया है। संभाग में अनुकम्पा नियुक्ति के लगभग 188 लंबित प्रकरण हैं जिसमें कांकेर जिले में 32, बस्तर में 07, सुकमा में 23, कोंडागांव में 31, बीजापुर में 11, नारायणपुर में 20 और दंतेवाड़ा में 25 मामले लंबित है और शेष 39 शिक्षा विभाग के है। कमिश्नर ने अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में संभाग स्तर पर शिकायतों के निराकरण हेतु डिप्टी कमिश्नर बीएस सिदार मोबाईल नम्बर 9977124830 और कमिश्नर कार्यालय के स्टेनो हरेन्द्र जोशी दूरभाष नंबर 07782-231190 को अधिकृत किया है। इसके अलावा जिला कार्यालय से भी टोल फ्री नम्बर जारी करने के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने जिलावार समीक्षा करते हुए कोण्डागांव मे विधानसभा निर्वाचन के दौरान हुई दुर्घटना में मृतक शासकीय सेवकों के आश्रित परिजनों को जल्द अनुकंपा देने के निर्देश दिए।

कोंडागांव में सिर्फ 7 मामले

बैठक में नक्सल हिंसा से पीड़ित व्यक्ति व परिवार के सदस्य को नक्सल पुर्नवास नीति के तहत पात्रता और योग्यता के आधार पर शासकीय सेवा में नियुक्ति के प्रावधानों पर भी चर्चा की गई। पुनर्वास नीति के तहत आर्थिक सहायता के साथ सातों जिलों में 1640 प्रकरणों में से 617 पर ही शासकीय सेवा में नियुक्ति दी गई है। वर्ष 2004 से 2024 तक बस्तर जिले के 102, कांकेर के 144, दंतेवाड़ा के 69, बीजापुर के 583, नारायणपुर के 39, कोंडागांव के 7 और सुकमा जिले के 79 लंबित प्रकरणों को जिला स्तरीय पुनर्वास नीति के समिति द्वारा नियुक्ति के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बैठक में केंद्रीय पुनर्वास नीति 2009 की योजना पर भी जानकारी दी गई और योजना का पालन करने के निर्देश दिए।

पेंशन प्रकरणों पर भी मंथन

बैठक में लंबित पेंशन प्रकरणों का विभाग स्तर पर तत्काल निराकृत करने, मसाहती सर्वे कार्य भी समीक्षा, वनाधिकार मान्यता पत्र और राजस्व अधिकारियों के विभागीय कार्यों हेतु प्रशिक्षण के लिए कार्ययोजना बनाने पर चर्चा की गई। बैठक में डिप्टी कमिश्नर बीएस सिदार, माधुरी सोम, संयुक्त संचालक कोष लेखा पेंशन कमलेश रायस्त, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर के अपर कलेक्टर, संयुक्त संचालक शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा, नगरीय प्रशासन, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, लोक स्वास्थय यांत्रिकी अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण, जल संसाधन, लोक निर्माण विभाग, विद्युत मंडल, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के संभाग स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।