फाइनल होने के पहले ही पंचायत सचिवों की तबदला सूची आम करने के मायने आखिर क्या

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  •  जिला पंचायत के बाबू के कृत्य को लेकर चर्चा तेज
  • तबादला प्रभावित सचिवों से सौदेबाजी के आरोप

अर्जुन झा

बकावंड जनपद पंचायत बकावंड की 11 ग्राम पंचायतों के सचिवों की जो सूची जनपद पंचायत द्वारा बस्तर जिला पंचायत को भेजी गई है, उस सूची पर अभी जिला पंचायत सीईओ की मुहर लगने से पहले ही एक चतुर सयाने बाबू ने सूची को सार्वजनिक कर दिया है। बाबू के इस कृत्य के मायने आखिर क्या हो सकते हैं? चर्चा छिड़ गई है कि बाबू ने ऐसा सिर्फ सौदेबाजी के लिए किया है। सौदेबाजी का खेल शुरू भी हो गया है। तबादला प्रभावित सचिवों से उन्हें मनचाही ग्राम पंचायत में पदस्थ करने अथवा उनका तबादला रद्द करवाने के नाम पर वसूली भी शुरू कर दी गई है। हालांकि इसमें जिला पंचायत सीईओ का कोई रोल नहीं है, मगर लोग उन पर भी उंगली उठाने लगे हैं।

दरअसल बकावंड जनपद पंचायत के सीईओ ने विकासखंड की 11 ग्राम पंचायतों के सचिवों का तबादला कर उस सूची को जनपद पंचायत की सामान्य सभा में अनुशंसा के लिए प्रस्तुत किया था। सामान्य सभा ने सूची की अनुशंसा भी कर दी। इसके बाद जनपद सीईओ ने सूची को अनुमोदन के लिए अपने उच्च कार्यालय जिला पंचायत को प्रेषित की थी। जिला पंचायत सीईओ की टेबल तक इस सूची को पहुंचाने के बजाय जिला पंचायत के एक चतुर सयाने बाबू ने इस सूची को सार्वजनिक कर दिया। जबकि जिला पंचायत सीईओ द्वारा सूची को अनुमोदित या संसोधित किए जाने से पहले उसे सार्वजनिक करना विभागीय कर्तव्य आचरण के विपरीत है। मगर सयाने बाबू ने इस तरह का दुस्साहस कर दिखाया है। इसके मायने आखिर क्या हो सकते हैं? जाहिर सी बात है कि सूची की आड़ में रोटी सेंकना ही है। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस बाबू ने जिला पंचायत सीईओ की साख पर भी बट्टा लगाने में कमी नहीं की है। पंचायत सचिवों की तबादला सूची को इस सयाने बाबू ने अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। सूची में शामिल सचिवों को उनकी मनोवांछित ग्राम पंचायतों में पदस्थ करने अथवा उनका तबादला निरस्त करवाने के लिए बेजा उगाही का खेल बाबू द्वारा खेला जा रहा है। चुनाव के पूर्व बकावंड जनपद के दर्जनों पंचायत सचिवों का स्थानांतरण हुआ था। जिन्हें चुनावी आचार संहिता का हवाला देते हुए रिलीव नहीं किया गया था। लेकिन अब विधानसभा और लोकसभा चुनाव निपटे अरसा गुजर चुकने के बाद भी संबंधित पंचायत सचिवों को रिलीव नहीं किया गया है। बताते हैं कि इन सचिवों के तबादले में जनपद पंचायत के सीईओ की मर्जी नहीं चली थी, इस कारण जिला पंचायत सीईओ द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद भी यह तबादला अब तक रुका है। लेकिन पिछले माह 11 सचिवों की तबादला सूची को जनपद पंचायत की सामान्य सभा से अनुशंसित कर जिला पंचायत में अंतिम अनुमोदन हेतु भेजा गया है। आज तक उस सूची का भी अनुमोदन जिला पंचायत द्वारा नहीं किया गया है। इसके पीछे कारण बताए जा रहे हैं कि जिला पंचायत में पदस्थ एक बाबू सूची में जो टीप लिख देंगे, उसी अनुरूप अधिकारी साइन कर देंगे। खबर है कि स्थानांतरित ग्राम पंचायत सचिवों से उनकी मनचाही ग्राम पंचायत में पदस्थापना हेतु सौदेबाजी की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि सूची में नामजद अधिकांश सचिव मोटी रकम भेंट कर चुके हैं।

सूची में इन सचिवों के नाम

जनपद पंचायत बकावंड द्वारा जो तबादला सूची सामान्य सभा की अनुशंसा के बाद जिला पंचायत को प्रेषित की गई है, उसमें कुल 11 सचिवों के नाम हैं। जिला पंचायत के बाबू द्वारा सार्वजनिक की गई सूची की प्रति इस संवाददाता को भी मिली है। उसी सूची में दिए गए सचिवों के नाम हम दे रहे हैं। सचिव हरिनाथ पटेल राजनगर से करपावंड, सुखराम कश्यप किंजोली को राजनगर का अतिरिक्त प्रभार, श्याम लाल कश्यप छिंदगांव -1 से सांवरा पंचायत, सकरू राम कश्यप छोटे जीराखाल को छिंदगांव -1, धरम नाग को धनपुर से मोखागांव, नीलम कश्यप को सोनपुर से धनपुर, सुंदरनाथ चंद्राकर चिऊंरगांव को सोनपुर का अतिरिक्त प्रभार, प्रभुनाथ बघेल भिरिंडा को मैलबेड़ा, जयदेव सिंह ठाकुर कोलावल को भिरिंडा का अतिरिक्त प्रभार, पीलाराम बघेल बोरपदर को जनपद पंचायत तोकापाल और हाड़ीराम नायक चोलनार को बोरपदर का अतिरिक्त प्रभार।