बकावंड जनपद में भ्रष्टाचार की हद हो गई, दो साल से मेहनताना के लिए भटक रहे हैं ग्रामीण

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  •  ग्राम पंचायत सतोषा-2 में सड़क, डबरी निर्माण की मजदूरी का भुगतान नहीं

अर्जुन झा

बकावंड विकासखंड बकावंड में सरकारी धन की लूट और मजदूरों का हक मारने के नित नए मामले आते ही रहते हैं। अब तो बकावंड ब्लॉक से एक ऐसा मामला सामने आया है जो भ्रष्टाचार के खुले खेल की पोल खोल रहा है। पसीना बहाने वाले मजदूर दो साल से अपने मेहनताना के लिए भटक रहे हैं। जिस डबरी और सड़क का निर्माण इन मजदूरों से कराया गया है, वह सड़क और डबरी अपना अस्तित्व खो रही हैं, मगर मजदूरों को उनका हक आज तक नहीं मिल पाया है।

विकासखंड बकावंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत सतोषा 2 में दो साल पहले मुख्य मार्ग से माता मंदिर तक 500 मीटर द्वितीय श्रेणी सड़क निर्माण कार्य ग्राम पंचायत सतोष द्वारा महात्मा गांधी रोजगार गारंटी के तहत कराया गया था। सड़क निर्माण में लगे मजदूरों को मजदूरी का भुगतान दो साल बीत जाने के बाद भी नहीं किया गया है। बताया जाता है सड़क निर्माण की पूरी स्वीकृत राशि आहरित की जा चुकी है। बावजूद मजदूरों का हक मारकर जिम्मेदार लोग अपनी जेबों में डाल चुके हैं। किसी मजदूर की मजदूरी राशि 8 हजार रुपए बनती है, तो किसी की 10 हजार रुपए। इसी तरह रोजगार गारंटी योजना के तहत सतोषा -2 पंचायत में ही डबरी का निर्माण कराया गया था, लेकिन डाबरी के काम में पसीना बहाने वाले मजदूरों को भी मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। ग्रामीण मजदूरों ने कहा कि डबरी और सड़क निर्माण के लिए उनसे गोदी खुदाई करवाई गई थी, लेकिन ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक, सरपंच, सचिव और मेट द्वारा महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में काम कराने के बाद भी सतोषा-2 के ग्रामीण मजदूरों को महात्मा गांधी के नाम पर छला गया।

इस मौन के मायने क्या?

रोजगार सहायक सोनाधर कश्यप से चर्चा करने पर उनका कहना है कि सभी मजदूरों के नाम पर मजदूरी डिमांड नोट जमा करा दिया था। राशि का आहरण भी हो चुका है, लेकिन ग्रामीणों मजदूरों के खाते में 2 साल बाद भी रोजगार गारंटी योजना की मजदूरी राशि नहीं पहुंच पाई है। सड़क और डबरी निर्माण में काम करने वाले मजदूरों ने रोजगार सहायक, सचिव और सरपंच पर दोनों कार्यों की राशि का गबन करने का आरोप लगाया है। ग्राम पंचायत सतोषा -2 के सचिव शंभूनाथ बघेल ने कहा कि मजदूरी का भुगतान होना चाहिए। वहीं बकावंड जनपद पंचायत के सीईओ एएस मांडवी ने इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया। इस विषय पर परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा से भी चर्चा की गई, लेकिन उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। इससे जाहिर होता है कि दोनों कार्यों की स्वीकृत राशि की नीचे से ऊपर तक बंदरबांट हुई है। इससे इस बात की भी तस्दीक होती है कि बकावंड जनपद क्षेत्र में शीर्ष अधिकारी के संरक्षण में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है। यहां निर्माण कार्य तो घटिया स्तर के कराए ही जाते हैं, अब मजदूरों की मेहनत की कमाई को हजम करने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा है।