- सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों के हाट बाजारों में लगेंगे शिविर
- जहां बैंक शाखाएं दूर वहां के संग्राहकों को सहूलियत
अर्जुन झा-
जगदलपुर बस्तर संभाग के सुदूर इलाकों के तेंदूपत्ता संग्राहकों को अब अपने पसीने की कमाई के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। अब उन्हें अपने गांव अथवा गांव के करीब के हाट बाजारों में ही उनकी मेहनत की कमाई नगद मिलेगी। प्रदेश के वन मंत्री केदार कश्यप ने संवेदनशीलता दिखाते हुए नगद भुगतान की व्यवस्था करा दी है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मागर्दर्शन में वनमंत्री केदार कश्यप ने नगद भुगतान के संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों में बैंक शाखाएं या तो बड़े कस्बों में या फिर रिमोट इलाकों के गांवों से काफी दूर स्थित हैं। ऐसे में तेंदूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक राशि के लिए जमकर पसीना बहाना पड़ता रहा है। इन जिलों में बैंकों की शाखाएं दूर-दूर हैं। इसलिए वनमंत्री ने तेंदूपत्ता संग्राहकों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को यह निर्देश जारी किए हैं। सुकमा बीजापुर और नारायणपुर जिलों के हाट-बाजारों में शिविर लगाकर तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2024 में पारिश्रमिक राशि का नगद भुगतान किया जाएगा। वन मंत्री केदार के मार्गदर्शन में विभाग द्वारा इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश रविवार को मंत्रालय से जारी कर दिए गए हैं। सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों के अलावा अन्य जिलों में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनके खाते में पारिश्रमिक राशि का भुगतान किया जाता है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि समस्त नगद भुगतान की कार्यवाही जिला कलेक्टर के पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण में संपन्न की जाएगी।
कलेक्टर करेंगे निर्धारण
नगद भुगतान के लिए कौन से संग्राहक पात्र होगें, इसका निर्धारण कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक प्रकरण का नगद भुगतान कलेक्टर की अनुमति से होगा। हर जिले में जिला कलेक्टर तथा वन मंडलाधिकारी एवं प्रबंध संचालक जिला यूनियन द्वारा आपसी समन्वय से प्रस्तावित क्षेत्र के अंतर्गत हाट बाजार या अन्य उपयुक्त स्थान पर शिविर का आयोजन कर संबंधित संग्राहकों को तेंदूपत्ता संग्रहण कार्ड में उचित प्रविष्टि कर नगद भुगतान करते हुए पावती प्राप्त की जाएगी। नगद भुगतान के पूर्व पर्याप्त प्रचार प्रसार किया जाएगा तथा नगद भुगतान से संबंधित समस्त कार्य की संपूर्ण वीडियोग्राफी करते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। संबंधित जिला कलेक्टर के मार्गदर्शन में आयोजित किए जाने वाले शिविरों के दौरान संग्राहकों को आवश्यकता के अनुसार आधार कार्ड जारी करने, बैंक खाता खुलवाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इस हेतु सीएससी, स्थानीय बैंक आदि से आवश्यक सहयोग लिया जाएगा। संग्राहकों द्वारा प्राप्त बैंक खाता विवरण के अनुरूप संग्राहक सर्वेक्षण साफ्टवेयर तेंदूपत्ता पेमेंट साफ्टवेयर में आवश्यक पंजीयन आदि जिला यूनियन तथा सीएससी के माध्यम से कराया जाएगा। संग्राहकों को पारिश्रमिक राशि के भुगतान की कार्यवाही 15 दिन के भीतर पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं।
दर्द से वाकिफ हैं कश्यप
वन मंत्री बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में जन्मे और पले बढ़े हैं। तेंदूपत्ता संग्राहकों की तकलीफ और दर्द को केदार कश्यप बचपन से ही बेहद करीब से देखते और महसूस करते आए हैं। चूंकि कश्यप स्वयं आदिवासी समुदाय से हैं और तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में ज्यादातर आदिवासी समुदाय के लोग ही लगे हुए हैं, लिहाजा तेंदूपत्ता संग्राहकों के कष्ट से वाकिफ हैं। उन्होंने तेंदूपत्ता संग्राहकों को अपनी मेहनत की राशि पाने के लिए कई कई दिन तक भटकते देखा है। इसलिए वे नहीं चाहते थे कि विष्णु देव साय सरकार के राज में तेंदूपत्ता संग्राहकों को त्रासदी झेलनी पड़े। इसीलिए मंत्री केदार कश्यप ने रिमोट इलाके में रहने वाले तेंदूपत्ता संग्राहकों यह बड़ी राहत दी है। इससे तेंदूपत्ता संग्राहकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।