नया शिक्षा सत्र शुरू, मगर छत्तीसगढ़ का शिक्षा विभाग फिलहाल है बेसहारा, केदार कश्यप सम्हालेंगे विभाग?

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  • ‘जंगल’ के जंजाल से मुक्त होना चाहते हैं कश्यप
  • शिक्षा मंत्री रह चुके केदार बस्तर और छग में शिक्षा की नई क्रांति लाने बेताब
  • वन विभाग छोड़कर शिक्षा मंत्रालय सम्हालने इच्छुक हैं केदार कश्यप

अर्जुन झा

जगदलपुर छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र आरंभ हो चुका है, मगर प्रदेश का शिक्षा विभाग फिलहाल बेसहारा जैसा ही है। इस बीच चर्चा सुनाई दे रही है कि प्रदेश के वन मंत्री और बस्तर संभाग के ऊर्जावान युवा आदिवासी नेता केदार कश्यप वन मंत्रालय छोड़कर शिक्षा विभाग सम्हालने के इच्छुक हैं। हालांकि यह बात पुष्ट नहीं है, मगर सियासी गलियारों में चल रही चर्चा तो कुछ ऎसी ही दास्तां बयां करती दिख रही है। कहा जा रहा है कि केदार कश्यप वन विभाग को छोड़कर शिक्षा मंत्रालय सम्हालने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। इन चर्चाओं को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि केदार कश्यप डॉ. रमन सिंह मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं और उन्हें इस विभाग का खासा तजुर्बा भी है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने और शिक्षा मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद फिलहाल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री विष्णु देव सम्हाल रहे हैं। विष्णु देव साय अनुभवी नेता हैं, मगर उन पर काम का बोझ ज्यादा है और देर सबेर मुख्यमंत्री  साय शिक्षा मंत्रालय किसी और मंत्री को सौंप सकते हैं। ऐसे में  साय के समक्ष सबसे बेहतर विकल्प केदार कश्यप ही हो सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि केदार कश्यप जंगल के जंजाल से मुक्त होना चाहते हैं और साफ सुथरे माने जाने वाले शिक्षा विभाग को ही सम्हालने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में केदार कश्यप क्योंकि शिक्षा मंत्री रह चुके हैं और शिक्षा विभाग में बढ़िया काम करते हुए शानदार परफॉरमेंस दिखा चुके हैं। तब राज्य में शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए उन्होंने बड़े ही सार्थक और उत्कृष्ट परिणाम मूलक कार्य किए थे। अपने पिछले कार्यकाल में केदार कश्यप शिक्षा विभाग के आधारभूत ढांचे को बेहतर ढंग से समझ चुके हैं और इस विभाग में और क्या कुछ करना है, इसका अंदाजा भी लगा चुके हैं। केदार कश्यप सुशिक्षित और अनुभवी नेता हैं और उनमें अकूत क्षमता भी है, मगर एक मुख्यमंत्री होने के नाते उन पर जिम्मेदारियों का बड़ा बोझ है। इसलिए वे शिक्षा विभाग का जिम्मा किसी और को सौंप सकते हैं। इस बीच जानकारी मिल रही है कि मौजूदा वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप वन मंत्रालय छोड़कर शिक्षा मंत्रालय की बागडोर सम्हालने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक केदार कश्यप की मंशा है कि जंगल (वन विभाग) के जंजाल से मुक्त होकर एकबार फिर शिक्षा मंत्रालय सम्हालने की जिम्मेदारी उन्हें मिल जाए। हालांकि इस संबंध में केदार कश्यप के करीबी सूत्रों ने न तो इसकी पुष्टि की है और न ही इस बात से इंकार किया है। इन चर्चाओं को बल इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि केदार कश्यप डॉ. रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व के दौरान शालेय शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी कुशलता पूर्वक सम्हाल चुके हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग को राज्य में मजबूत आधार दिया था, बस्तर संभाग सहित समूचे छत्तीसगढ़ में केदार कश्यप ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की दिशा में बेहतरीन काम किया था। शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों से लेकर जिला और ब्लॉक स्तर तक के अधिकारी कर्मचारी और शिक्षक शिक्षिकाएं सभी केदार कश्यप की कार्यप्रणाली और व्यवहार से बेहद खुश थे। कश्यप ने छात्र छात्राओं से लेकर शिक्षक शिक्षिकाओं और अधिकारी कर्मचारियों के हित में बतौर शिक्षा मंत्री शानदार काम किया था। बस्तर संभाग के स्कूलों में शिक्षा के स्तर में काफी सुधार आया था। यहां के ग्रामीणों में भी अपने बच्चों की पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी जागने लगी थी।बस्तर के लोग शिक्षा मंत्री के रूप में केदार कश्यप के योगदान को आज भी याद करते हैं। इस लिहाज से आम जनता भी यही चाहती है कि केदार कश्यप फिर से शिक्षा मंत्रालय सम्हालें। वैसे किसे किस विभाग की जिम्मेदारी देना है, यह मुख्यमंत्री पर निर्भर है, मगर आमजन चाहते हैं कि शिक्षा विभाग सम्हाल चुके केदार कश्यप को ही शिक्षा मंत्रालय दिया जाए, भले ही वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उनसे वापस ले लिया जाए। बस्तर और राज्य के विद्यार्थियों के हित में यही श्रेयष्कर होगा।

बलिराम कश्यप का था सपना

बस्तर में भाजपा के मजबूत आधार स्तंभ रहे दिवंगत नेता बलिराम कश्यप का भी यही सपना था कि बस्तर और छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था मजबूत हो, यहां के हर बच्चे को उत्कृष्ट शिक्षा मिले। अपने पिता के इस सपने को पूरा करने में शिक्षा मंत्री रहते केदार कश्यप पूरी ताकत से जुटे रहे। उच्च शिक्षित केदार कश्यप अपने पिता के इस सपने को पूरा करने की दिली इच्छा आज भी रखते हैं। संभवतः इसीलिए केदार कश्यप जंगल महकमे से मुक्त होकर साफ सुथरे शिक्षा विभाग का मंत्रालय सम्हालने सहर्ष राजी हो सकते हैं। केदार कश्यप के निर्वाचन क्षेत्र नारायणपुर के लोगों का तो यहां तक कहना है कि केदार कश्यप को पहले ही वन वन मंत्रालय की जगह शिक्षा मंत्रालय दे दिया जाना चाहिए था। वैसे अभीभी देरी नहीं हुई है यह विभाग अब श्री कश्यप को ही दे देना चाहिए। वैसे भी छत्तीसगढ़ में वन मंत्रालय को अभिशप्त माना जाता है। जिसने भी यह मंत्रालय सम्हाला, वह राजनीतिक रूप से हाशिये पर चला गया, या उसके साथ कोई न कोई अनहोनी जरूर हुई है।