शिक्षक हैं या कोल्हू के बैल

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  • डीईओ ने शिक्षकों को लगाया तालाब सफाई में
  • शिक्षक सरकारी कर्मचारी हैं या कि जर खरीद गुलाम

अर्जुन झा

जगदलपुर शिक्षकों को उस बैल की तरह मान लिया गया है, जिसे चाहे कोल्हू में फांद दो, या गाड़ी में या फिर नांगर में। बेचारे शिक्षक सरकारी कर्मचारी नहीं, जर खरीद गुलाम सरीखे हो गए हैं। ऐसा ही कुछ तानाशाही वाला फरमान कांकेर के जिला शिक्षा अधिकारी ने भी शिक्षकों के लिए जारी किया है। इस आदेश में शिक्षकों को तालाब की सफाई करने कहा गया है।

छत्तीसगढ़ में ऐसा कौन सा काम नहीं है, जो शिक्षकों से न लिया जाता हो? जनगणना, योजनाओं के प्रचार, मतदान, मतगणना, गांव से बच्चों को ढूंढ ढूंढ कर लाना और स्कूल में दाखिला दिलाना और भी कई कार्य शिक्षकों से कराए जाते हैं। ऊपर से तुर्रा यह कि परीक्षा परिणाम का स्तर नहीं गिरना चाहिए, वरना कार्रवाई का डर। ऐसे में बेचारे शिक्षक बच्चों को पढ़ाएं या बेगारी करें? उनके लिए तो नौकरी दोधारी तलवार पर चलने जैसी हो गई है। पंच सरपंच से लेकर जनपद पंचायत के सीईओ तक और शिक्षा विभाग के संकुल समन्वयक व बीईओ से लेकर डीईओ तक शिक्षकों को हड़काने में लगे रहते हैं। कांकेर के जिला शिक्षा अधिकारी ने तो हद ही कर दी है। एक अजीबो गरीब आदेश कांकेर के डीईओ ने जारी किया है, जिसमें शिक्षकों को तलाब की सफाई के काम में लगने को कहा गया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश में कांकेर डीईओ द्वारा दढ़िया तालाब ऊपर नीचे रोड कांकेर में जलकुंभी सफाई अभियान के तहत कांकेर, चारामा एवं नरहरपुर विकासखंडों के व्यायाम शिक्षकों व सीएसी से 17 जुलाई को सुबह 7 बजे से 8.30 बजे तक जलकुंभी सफाई कार्य दिया गया है। कितने शिक्षकों ने अपने जिला शिक्षा अधिकारी के इस फरमान पर अमल किया, यह तो ज्ञात नहीं हो पाया, मगर यह तय है कि नाफरमानी करने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं पर शामत जरूर आ सकती है।