अर्जुन झा – जगदलपुर
गांधी जयंती के अवसर पर सरकार ने लगभग 700 नए पंचायतों का लोकार्पण करने की योजना बनाई थी, लेकिन अफसरों की लेट लतीफी से एक माह अधिक गुजर जाने के बाद भी यह योजना जस की तस है और अब तक एक भी पंचायतों का लोकार्पण नहीं हो पाया है।
सरकार की जनहितैषी योजनाओं पर नौकरशाही किस तरह अवरोध उत्पन्न करती है, इसकी एक बानगी यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गठित करीब 700 पंचायतों का लोकार्पण महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर को किया जाना था मगर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की उदासीनता के कारण इनका लोकार्पण अधर में लटक गया। विडंबना यह है कि फंड का रोना -रोकर कार्य प्रभावित किया जा रहा है। इन सबके बीच पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के ठेकेदार पैंडुलम बने हुए हैं। जब सरकार ने नवीन पंचायतों का गठन किया है और पूरे राज्य में सरकार ने बड़ी पंचायतों को विखंडित कर 704 नई पंचायतों का पुनर्गठन किया है तो इनके संचालन के लिए पंचायत भवनों का निर्माण किया जा रहा है।
इनका लोकार्पण गांधी जयंती पर किया जाना था किंतु फंड की कमी के नाम पर निर्माण कार्य की गति नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली है। जिसके कारण नवीन पंचायतों के लोकार्पण में फिलहाल एक माह का विलंब हो गया है और ऐसा लग रहा है कि कुछ माह का विलंब और हो सकता है। जिसके कारण जनता को नवीन पंचायतों के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है। पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पंचायत भवन निर्माण हेतु 14.5 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं जिसमें मनरेगा से 8.15 लाख, समग्र विकास से 5 लाख व अन्य मदों से 1लाख रुपए में निर्माण कार्य किया जाना है। कहा जा रहा है कि मनरेगा फंड की राशि नहीं मिलने पर निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है।
अब पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के आदेश के तहत् 14 वें व 15 वें वित्त आयोग की राशि से निर्माण किया जाना है और पंचायतों में इससे कार्य हो रहा है। किंतु बड़े खर्चे मनरेगा योजना से होते हैं जिसकी राशि आबंटित करने से विभाग हाथ खींच रहा है ।जिसके कारण निर्माण सामग्री मिलने में दिक्कत आ रही है। बस्तर में 30 से ज्यादा व जगदलपूर में 11 नये पंचायत भवनों का निर्माण किया जा रहा है, जिसका कार्य पिछड़ रहा है लेकिन जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा।