- फर्जी फर्म, फर्जी अकाउंट और भुगतान भी फर्जी
अर्जुन झा-
बकावंड ग्राम पंचायत बकावंड में फर्जी बिलों, फर्जी फर्म और फर्जी अकाउंट के जरिए लाखों के वारे न्यारे किए जा रहे हैं। यह सारा खेल अधिकारियों के संरक्षण में सरपंच और सचिव द्वारा किया जा रहा है।
ग्राम पंचायत में बकावंड में काम तो कुछ कराया जाता नहीं, मगर कार्यों के नाम पर सरकारी धन की बंदरबांट जरूर की जाती है। यह बंदरबांट दस्तावेजों में फर्जी कार्य दर्शाकर, फर्जी बिल लगाकर और फर्जी फर्मों को फेक पेमेंट शो करके की जा रही है। ग्राम पंचायत को शासन के विभिन्न मदों और जिला खनिज न्यास ट्रस्ट से प्राप्त लाखों की लूट बकावंड ग्राम पंचायत में चल रही है। बकावंड ग्राम पंचायत का सारा कामकाज सचिव ही सम्हाल रहे हैं और सरपंच को महज कठपुतली बनाकर रख दिया गया है। यहां लगातार फर्जी बिल लगाकर राशि का भुगतान प्राप्त किया जा रहा है। अगर जमीनी स्तर पर देखा जाए तो सन 2020 से 2024 के बीच कोई निर्माण कार्य ही नहीं हुआ है, मगर इस अवधि में करोड़ों रुपयों का भुगतान फर्जी बिल लगाकर प्राप्त कर लिया गया है। आंगनबाड़ी, स्कूल, पंचायत, गोठान, बाजार स्थल शेड, शौचालय, रनिंग वाटर, हैंडपंप मरम्मत, पाइप लाइन मरम्मत, नाली निर्माण व सफाई का काम यहां वर्षों से हुआ ही नहीं हैं, मगर इन कार्यों के नाम पर फर्जी बिल लगाकर राशि जरूर प्राप्त कर ली गई है। लाखों रुपए गबन यहां किया जा चुका है। जिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार रोकने की जवाबदारी है, वे भी पैसों की चमक के आगे नतमस्तक हो चुके हैं और भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे दी गई है
35 हजार से फर्नीचर मरम्मत
भुगतान के दस्तावेज और बिलों से यह जाहिर नहीं हो पाता कि बिल असली है या फेक? ऐसे भुगतान की एक प्रति हमें मिली है, जिसमें मरम्मत कार्य के नाम पर तथाकथित पिंकी फर्नीचर मार्ट को मरम्मत कार्य के नाम पर 35 हजार रुपए के भुगतान का उल्लेख है। चूंकि भुगतान फर्नीचर व्यवसाय से जुड़े फर्म को किया गया है, तो जाहिर सी बात है कि फर्नीचर्स की ही मरम्मत कराई गई होगी। हालांकि ग्राम पंचायत में ऐसे फर्नीचर हैं ही नहीं जिनकी मरम्मत की नौबत आई हो। जितनी बड़ी रकम तथाकथित मरम्मत में खर्च की गई है, उतनी रकम में तो 4 -5 सेट नए फर्नीचर ही खरीदे जा सकते हैं।दूसरी बात यह कि पिंकी फर्नीचर मार्ट कहां का है, इसका भी कोई अता पता नहीं है।आखिर ऊपर बैठे उच्च अधिकारी इस करप्शन को रोक क्यों नहीं पा रहे हैं, यह भी एक बड़ा सवाल है। कहीं उच्च अधिकारी की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है? शायद इसी वजह से उच्च अधिकारी मौन रहते हैं। ऊपर बैठे अधिकारी पंचायत के कर्मचारियों के काले कारनामों व फेक बिलों की कभी जांच तक नहीं करते। कुल मिलाकर कार्रवाई न होना अधिकारियों की कमीशनबाजी की तरफ इशारा करता है। ग्राम पंचायत में लाखों रुपए की हेराफेरी की जा रही है, परंतु जिला पंचायत को इसकी कोई जानकारी जनपद पंचायत द्वारा दी जाती।
वर्सन
तो होगी कार्रवाई
एसडीम बकावड़ गगन शर्मा
अगर ग्राम पंचायत में फर्जी बिल लगाकर राशि की गड़बड़ी की जा रही है, तो कार्रवाई जरूर होगी।
–गगन शर्मा,
एसडीएम, बकावंड