पूरे हो गए हड़ताल के सवा माह, सरकार ने नहीं ली वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सुध

0
26
  • जंगलों में अवैध कटाई व अवैध कब्जे के मामले बढ़े

अर्जुन झा

जगदलपुर छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग में बीते 20- 25 वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर नया रायपुर तूता के धरना स्थल पर 11 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं। शासन ने उनकी सुध अब तक नहीं ली है। हड़ताल के चलते वन विभाग का मैदानी कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। बस्तर संभाग के जंगलों में भी हड़ताल का असर दिखने लगा है।

हड़ताल में बस्तर संभाग के बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर जिलों के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी शामिल हैं। भाजपा के नेताओं ने सत्ता में आने से पहले हड़ताली कर्मचारियों के मंच पर आकर ऐलान किया था कि सत्ता में आने पर 100 दिनों में कमेटी बनाकर वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण कर दिया जाएगा। परंतु आज 200 दिन बीत जाने के बाद भी शासन प्रशासन अपने वादे से मुंह फेर रही है। उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग वन बाहुल्य है। संभाग के सभी जिले सघन जंगलों से आच्छादित हैं। इन जंगलों के बेशकीमती पेड़ों की अवैध कटाई और वनभूमि पर अतिक्रमण पर ज्यादातर यही दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नजर रखते हैं और फारेस्ट गार्ड एवं डिप्टी रेंजरों को सूचना देते हैं। उनकी ही सूचना पर ऎसी अवैध गतिविधियों को नियंत्रित किया जाता है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी वनोपजों की खरीदी और डिपो में बांस बल्ली विक्रय में भी इनकी महति भूमिका रहती है। हाल ही में वन विभाग ने बस्तर में बड़ी कार्रवाईयां करते हुए वन विभाग की पचासों एकड़ जमीन को कब्जामुक्त कराया था। इसकी सूचना इन्हीं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों से अफसरों को मिली थी। अगर लंबे समय तक हड़ताल चलती रही, तो जंगलों को बड़ा नुकसान हो सकता है।

अधिकारी इसलिए हैं परेशान

यह तथ्य सर्व विदित है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों से अधिकारी अपने आवासों में झाड़ू पोंछा, सफाई, कपड़े धुलवाने, खाना बनाने, बाजार से सब्जियां और अन्य सामान लाने, बच्चों को स्कूल छोड़ने आदि काम करवाते हैं। इसके साथ ही वे ज्यादा संख्या में दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की उपस्थिति दर्ज कर रकम हजम कर लेते हैं। दैनिक वेतनभोगी कर्मियों से सेवाएं लेने में डीएफओ, एसडीओ, रेंजर, डिप्टी रेंजर, वनपाल, फारेस्ट गार्ड और बीट गार्ड आगे रहते हैं। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से ये सारे कर्मचारी और अधिकारी परेशान हैं। वे भी चाहते हैं कि डेली वेज वाले कर्मियों की समस्या का जल्द से जल्द हल हो जाए, ताकि उन्हें भी राहत मिल सके।