बस्तर/बकावंड – केंद्र सरकार द्वारा जनहित के सारे दस्तावेज लोगों के पहुंच में हो इसीलिए सूचना के अधिकार अधिनियम कानून लागू किया है और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार इसको अक्षरशः पालन कर रही है किंतु ऐसा प्रतित होता है कि करपावंड़ वन परिक्षेत्र कार्यालय में सूचना के अधिकार अधिनियम कानून लागू करने में दिलचस्पी नहीं है जिसके फलस्वरूप जनता को किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिल रहा है और बेवजह आवेदक भटकने को मजबूर हैं। वहीं आवेदक डीएफओ कार्यालय से भी मायूस है क्योंकि संबंधित डीएफओ के आदेश को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
बकावंड ब्लाक के नेगानार निवासी सामाजिक कार्यकर्ता डमरु कश्यप द्वारा करपावंड़ वन परिक्षेत्र अधिकारी व सूचना अधिकारी से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत् 15 नवम्बर 2019 को पत्र लिखकर वांछित जानकारी चाही गई थी जिसके फलस्वरूप विधिवत शुल्क भी जमा किया तथा उसके फलस्वरूप करपावंड़ कार्यालय से पत्र क्रमांक 1068 दिनांक 21नवंबर 2020 के तहत् पत्र भेजा जिसमें 100 पन्ने से अधिक होने पर अवलोकन करने को कहा।
इसी तारतम्य में सामाजिक कार्यकर्ता डमरु कश्यप ने करपावंड़ वन परिक्षेत्र के पत्र के परिपालन में 11-12-2019 को पत्र लिखकर स्पष्टतौर पर कहा कि वह अवलोकन नहीं करना चाहते बल्कि दस्तावेजों के लिए शुल्क अदा करने को तैयार हैं जिसके बावजूद करपावंड़ कार्यालय द्वारा 28-12-2019 तक जानकारी नहीं मिलने पर भी पत्राचार किया गया जिसके बाद 13 मार्च 2020 को घुमावदार पत्र लिखकर बेवजह गुमराह किया गया और इस तरह सूचना के अधिकार अधिनियम कानून की धज्जियां उड़ाई गई जबकि निर्धारित 30 दिवस के भीतर नि: शुल्क जानकारी देने का प्रावधान है।
इसी परिपेक्ष्य में सामाजिक कार्यकर्ता डमरु कश्यप ने दिनांक 14-10-2020 को करपावंड़ वन परिक्षेत्र अधिकारी व सूचना अधिकारी के खिलाफ अपील आवेदन प्रस्तुत किया और 27फरवरी 2020,30जून2020 व 18जून2020 को पेशी हेतु बुलाया गया और दो बार कोरोना के कारण पेशी स्थगित हो गई तथा तिसरी बार यह आदेश पारित हुआ कि आवेदक सामाजिक कार्यकर्ता डमरु कश्यप को दस्तावेज नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए बकायदा 2 जुलाई 2020 को डीएफओ ने हस्ताक्षर आदेश पत्र में जानकारी 10 दिवस में देने को कहा है फिर भी 4माह गुजरने के बाद भी किसी प्रकार की जानकारी नहीं देकर करपावंड़ वन परिक्षेत्र कार्यालय के सूचना अधिकारी ने अपने आलाअधिकारी के आदेश की अवहेलना करने के साथ उनके आदेश को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
ज्ञात हो कि सूचना के अधिकार अधिनियम कानून का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई नहीं करने से उनके हौसले बुलंद हो रहें हैं और जनता भटकने को मजबूर हैं तथा जनता के लिए बनी यह कानून दम तोड रही है।